इंदौर मोयरा ग्रुप के विमल तोड़ी, सिंघानिया ने 26 करोड़ बोगस शेयर से किए व्हाइट, हवाला कारोबारी, सीए से लेकर दलाल की पूरी चैन

इंदौर के मोयरा ग्रुप पर आयकर विभाग ने 2015 में छापा मारा था, जिसमें 26 करोड़ रुपए के बोगस शेयर के जरिए काले धन को सफेद किया गया था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश और देश के सबसे बड़े सरिया उत्पादकों में से एक मोयरा ग्रुप, जयदीप इस्पात एंड एलाय प्रालि कंपनी/ग्रुप पर 17 जून 2015 को आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस छापे के बाद टैक्स डिमांड का मामला एसेसमेंट ऑफिसर से कमिश्नर आईटी अपील, फिर ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट तक पहुंच गया। 

द सूत्र के पास इस छापे से संबंधित एक एक्सक्लूसिव एसेसमेंट रिपोर्ट मौजूद है। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में सीए, इंट्री ऑपरेटर, हवाला कारोबारी और दलालों के रैकेट का भी उल्लेख है। यह रैकेट यह दर्शाता है कि किस प्रकार से काले धन को सफेद किया जा रहा है।

विमल तोड़ी और पवन सिंघानिया के साथ इनके नाम

  • आयकर विभाग की बनी एसेसमेंट रिपोर्ट में है कि लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के नाम पर विमल तोड़ी, उनकी पत्नी साधना तोड़ी, पुत्र अविनाश तोड़ी, करीबी पवन सिंघानिया, निधि सिंघानिया के नाम पर यह राशि चली है।
  • इसमें विमल तोड़ी की एलटीसीजी से कमाई 7.36 करोड़, साधना तोड़ी की 4.09 करोड़, अविनाश की 6.55 करोड़, पवन सिंघानिया की 3.07 करोड़ और निधि सिंघानिया की 5.10 करोड़ रुपए रिपोर्ट में बताई गई।
  • विविध कंपनियों और अन्य के नाम पर करीब 35 करोड़ की अघोषित आय सामने आई थी।

पहले समझते हैं कि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) क्या होता है

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) सालों तक कॉर्पोरेट जगह में ब्लैक मनी को व्हाइट करने का जरिया रहा है। इसमें बोगस या पैनी स्टॉक कंपनियों के शेयर सस्ते भाव में खरीदे जाते हैं। फिर कई फर्जी खातों के जरिए इन शेयर की खरीदी-बिक्री दिखाकर भाव बढ़ाए जाते हैं। फिर जितनी व्हाइट मनी करने की डील होती है वहां तक शेयर के भाव ले जाए जाते हैं और फिर इसे बेच दिया जाता है।

जैसे A को अपनी ब्लैक मनी खपानी है, तो वह एक कंपनी X के शेयर खरीदे जैसे 1 रुपए के भाव में खरीद लिए, फिर दलालों का रैकेट फर्जी खातों से इसके भाव 100 या मनचाहे स्तर पर ले जाता है और फिर A के 1 रुपए में खरीदे शेयर बेच देता है। फिर शेयर बिक्री पर नंबर एक में राशि खाते में डाल देता है। वहीं A व्यक्ति इस राशि को पहले ही दलालों के रैकेट को ब्लैक में दे देता है। इसमें रैकेट को 6 से 10 फीसदी तक का कमीशन मिलता है। एक साल बाद इसे बेचा जाता है, क्योंकि शेयर की कमाई पर एक साल बाद टैक्स नहीं होता है।

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अब देखिए तोड़ी, सिंघानिया ने क्या किया

आयकर रिपोर्ट में दलाल, सीए, हवाला रैकेट, शेयर सिक्योरिटी कंपनियों के बयान व अन्य सबूत भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, तोड़ी, सिंघानिया व अन्य ने पैनी स्टॉक कंपनी टर्बोजेट इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयर खरीदे। यह शेयर 16 दिसंबर 2011 में खरीदे गए थे वह भी 1 रुपए के भाव से। फिर जब यह शेयर जुलाई-अगस्त 2013 में बेचे गए 435.66 रुपए के भाव पर यानी करीब 20 माह में 43467 फीसदी रिटर्न मिल गया।

विमल तोड़ी की ही बात करें तो उन्होंने केवल 1.70 लाख शेयर खरीदे थे वह भी 1 रुपए के भाव से कुल 1.70 लाख रुपए में। लेकिन जब अगस्त 2013 में इसे बेचा तो यह राशि हो गई 7.40 करोड़ रुपए। यानी यह राशि पूरी दलाल चैन, फर्जी खातों से होते हुए तोड़ी के पास व्हाइट में पहुंच गई। इसे बाद में सरेंडर किया गया। दरअसल यह राशि खुद तोड़ी की ही थी, जो ब्लैक मनी थी और हवाला के जरिए अहमदाबाद पहुंचाई गई। जैसा आयकर रिपोर्ट में है।

इस पूरे रैकेट में यह सीए, दलाल, सिक्योरिटी कंपनी वाले

आयकर विभाग की रिपोर्ट में है कि इस रैकेट की शुरुआत होती है विमल तोड़ी के फायनेंस एडवाइजर सीए शंकरलाल सोमानी से। वह इस ब्लैक मनी को व्हाइट कराने के लिए स्टॉक ब्रोकर आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक की फ्रेंचाइजी लेने वाले मेसर्स सुयोग सिक्योरिटीज प्रालि के निशांत न्याती से मिलते हैं। इसकी एक और फ्रेंचाइजी बिकास शर्मा के नाम पर होती है। यह कोई नहीं बल्कि न्याती द्वारा ही अपने एक कर्मचारी दीपक शर्मा के भाई के नाम पर की जाती है। इस काम में सोमानी को भी 4 लाख का कमीशन मिलता है। पूरा खेल 6 फीसदी कमीशन पर होता है।

इसके बाद इसमें सीए मोतीलाल लक्षकर और उनके रिश्तेदार मनोज लक्षकर शामिल होते हैं। यह दोनों अहमदाबाद के दलाल व फर्जी बोगस शेयर चलाने वाले रैकेटियर अशोक शाह से बात करते हैं। इसमें लक्षकर एंट्री ऑपरेटर की भूमिका में रहते हैं और शाह मैन एंट्री ऑपरेटर।

मनोज लक्षकर ने आयकर विभाग को बयान में बताया कि- उन्होंने विमल तोड़ी, साधना, अविनाश, पवन, निधि के साथ ही सुषमा चौधरी, शिवकुमार चौधरी एंड परिवार, राकेश खंडेलवाल, संतोष खंडेलवाल एंड परिवार स्नेह नगर इन सभी के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन की व्यवस्था की।

लक्षकर ने ही खुलासा किया कि तोड़ी, सिंघानिया के लिए 25-26 करोड़ रुपए ब्लैक से व्हाइट करने की व्यवस्था की बात हुई थी। इसके लिए सोमानी से राशि आती थी और यह हवाला के जरिए अहमदाबाद शाह को पहुंचा दी जाती थी। वह पैनी स्टॉक कंपनी के शेयर की व्यवस्था करता था, फिर न्याती की कंपनी उन्हें मल्टीलेवल पर घुमाती थी इसके लिए कर्मचारी रखे हुए थे जिन्हें साल के 5-6 हजार रुपए दिए जाते थे। हवाला के जरिए कभी 10-15 लाख रुपए तो कभी 50 लाख से 1 करोड़ तक पहुंचाए गए। हवाला के लिए इसमें प्रेम ट्रेड सेंटर स्थित विकास गुप्ता जिसे मामा के नाम से लोग जानते हैं इसका उपयोग किया गया और उसके जरिए राशि अहमदाबाद गई।

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यह भी करते हैं एंट्री ऑपरेटर का काम

लक्षकर ने अपने बयान में आयकर विभाग को बताया कि सीए हेमंत दांगी, सीए सुनील खंडेलवाल, जबलपुर के सीए ग्रोवर, इंदौर के निशांत न्याती यह सभी लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए इंट्री ऑपरेटर का काम करते हैं। इसमें शरद दरक की कंपनियां पूर्वी फिनवेस्ट, त्रिमूर्ति फिनवेस्ट के साथ ही कई लोग शामिल हैं।

आयकर विभाग और मोयरा ग्रुप में अभी क्या हुआ

इस मामले में ग्रुप पर छापे के बाद एसेसमेंट ईयर 2010-11 से 2015-16 तक की अघोषित आय की गणना की गई और टैक्स डिमांड निकाली गई। इसमें एसेसमेंट ऑफिसर ने लंबा-चौड़ा आदेश जारी किया और इसमें सभी के बयान व अन्य दस्तावेज शामिल रहे। इसके बाद विमल तोड़ी अपनी अघोषित 7.36 करोड़ की आय को लेकर अपील में गए, लेकिन वहां उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद वह इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल इंदौर गए, जहां पर तकनीकी आधार पर राहत मिली और उनके पक्ष में फैसला हुआ। इसके खिलाफ अब आयकर विभाग इंदौर ने हाईकोर्ट में अपील दायर की है। जिसमें अब सुनवाई शुरू होगी।

बता दें कि द सूत्र ने इस मामले में पवन सिंघानिया को सवाल मेसेज किया था लेकिन उसका जवाब अब तक नहीं आया।

NOTE- पूरी खबर आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक लिखी गई है। रिपोर्ट द सूत्र के पास है।

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