संजय गुप्ता@ INDORE.
मप्र में सरकारी सेवा में आने के लिए सबसे बड़ी परीक्षा राज्य सेवा परीक्षा है। इसकी तैयारी के लिए पूरे प्रदेश से अभ्यर्थी इंदौर आते हैं। इसमें से कितने अभ्यर्थियों को कौन सी कोचिंग लेने में कामयाब होगी यह हमेशा से लड़ाई चलती रही है।
इसके लिए यह विज्ञापन देते हैं, लेकिन अब दिल्ली के विकास दिव्यकीर्ति की दृष्टि आईएएस कोचिंग के इंदौर में आने से कोचिंग वॉर तेज हो गया है। हालत यह है कि अन्य कोचिंग को अभ्यर्थियों का संकट हो गया है और खासकर छोटे सेंटर के लिए तो अस्तित्व पर ही संकट आ गया है।
क्या हुआ है दृष्टि के आने से
पीएससी कोचिंग में एक साल की नई बैच शुरू हो रही है। दृष्टि की अभी तक तीन बैच बन चुकी है और बाकी कोचिंग के हाल यह है कि वह एक बैच भी नहीं बना पार रहे हैं।
पहले जो कोचिंग एक लाख औसतन फीस साल भर की लेते थे, वह अब 80 हजार पर आ गए हैं और यदि और मोलभाव करें तो यह घटकर 70 हजार पर भी आ रहे हैं।
हालत यह हो गई है कि छोटे सेंटर पर तो फैकल्टी को वेतन देने में संकट आ चुका है।
ऐसा क्यों हो रहा है?
इसका बड़ा कारण है विकास दिव्यकीर्ति का ब्रांड नेम। खासकर 12वीं फेल परीक्षा के बाद इस ब्रांड को भारी फायदा पहुंचा है। वहीं यह आर्थिक रूप से इतना सक्षम है कि यह घाटे में भी लंबे समय तक संस्थान चला सकता है, इसलिए इसने फीस में भारी कटौती की है और औसतन 75 हजार साल की फीस पर प्रवेश दे रहा है।
इंदौर सेंटर खुलने पर पहले ही भाषण में दिव्यकीर्ति ने बोल दिया था कि हम यहां काम करने आए हैं और टिकने आए हैं, अभी कमाने के लिए नहीं आए थे। वहीं इस कोचिंग से जुड़कर उम्मीदवारों को लगता है कि वह पीएससी के साथ ही आईएएस के लिए भी मंत्र ले सकेगा और इससे उसे यूपीएससी की तैयारी के लिए काफी लाभ होगा।
महात्मा गांधी कोचिंग ने छात्र जुटाने यह कर डाला
उधर इसी कोचिंग वॉर में छात्र जुटाने के लिए कई कोचिंग प्रचार-प्रसार में जुट गई है। इसी में एक है महात्मा गांधी कोचिंग, जो आशीष पटेल द्वारा स्थापित की गई थी, जो डीएसपी चयनित होने के बाद वर्तमान में एसीपी है और अब कोचिंग उनके भाई राहुल पटेल संभालते हैं।
हालांकि वह अभी भी मार्गदर्शक है, उनके साथ ही इंदौर में ही पदस्थ ज्वाइंट कलेक्टर प्रिया वर्मा जो उनकी पत्नी भी है, वह भी यहां मार्गदर्शक है। इसके साथ ही कुछ और अधिकारी भी मार्गदर्शक है।
इस कोचिंग में हाल ही में राज्य सेवा परीक्षा 2021 के आए अंतिम रिजल्ट में टॉपर्स के साथ अपनी कोचिंग का लोगो लगाकर वीडियो बनाया और फोटो भी बधाई देने वाली वायरल की। इस तरह प्रचार किया गया कि यह उन्हीं की कोचिंग से आए उम्मीदवार है।
कोचिंग पर द सूत्र ने जब अभ्यर्थी बनकर बात की तो उन्होंने दावा किया कि 24 डिप्टी कलेक्टर में से 17 उन्हीं के यहां पढ़ चुके हैं। लेकिन यह उन्होंने माना कि पीएससी की लंबी जर्नी होती है और कई उम्मीदवार आते हैं और कोई भी कोर्स कर, जिसमें वह कमजोर होते हैं उसमें मदद लेकर चले जाते हैं। यानी अभी यह 17 टॉपर्स यहीं पढ़ते थे और अभी चयनित हुए ऐसा नहीं है। लेकिन उनके विज्ञापन से उम्मीदवारों के बीच भ्रम की स्थिति बनती है।
बाकी कोचिंग भी अभ्यर्थी की कमी से जूझ रही
इसके साथ ही सबसे ज्यादा हालत खराब कौटिल्य की है। वहां एक भी बैच नहीं बन पा रही है और यह कोचिंग एक समय जो सबसे ज्यादा फार्म में थी, वह अब आर्थिक संकट से जूझ रही है। इसके साथ ही विनर्स कोचिंग ने तो महाछूट का ऑफर ही दे डाला है और विज्ञापन दे दिया है कि पीएससी की नई बैच पर 90 फीसदी तक के फायदे जैसे विज्ञापन जारी कर दिए हैं। ऐसे ही शर्मा कोचिंग, पीएस एकेडमी, प्रयास, उत्कर्ष क्लास इन सभी को भी अभ्यर्थियों की कमी का संकट झेलना पड़ रहा है।
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