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इंदौर की नगर निगम के अफसरों पर एक विज्ञापन एजेंसी से सांठ–गांठ कर नगर निगम के राजस्व विभाग को 10 करोड़ रुपए का फटका लगाने का मामला सामने आया है। यह खुलासा नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने किया है। चौकसे ने निगम के अफसराें की शिकायत लोकायुक्त में करने के लिए महापौर को शिकायत की है। यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टैंड के प्रचार सामग्री प्रदर्शन का ठेका समाप्त होने के बाद भी 1 साल तक कंपनी द्वारा काम किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले का भंडाफोड़ करते हुए चौकसे ने बुधवार को कहा कि हालात कितने खराब हो गए हैं की नगर निगम के अधिकारी राज्य सरकार के द्वारा भेजे गए आदेश को भी मानने के लिए तैयार नहीं है।
2024 में पूरा हो चुका है टेंडर
चौकसे का आरोप है कि नगर निगम द्वारा सिटी बस कंपनी के माध्यम से बीआरटीएस कॉरिडोर पर यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टॉप का ठेका 1 मार्च 2019 को 5 वर्ष के लिए दिया गया था। यह ठेका जयपुर की कंपनी एनएस पब्लिसिटी को दिया गया था। यह ठेका 1 मार्च 2024 को पूरा हो गया है। इसके बावजूद सिटी बस कंपनी और मार्केट विभाग नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से पिछले 1 साल से यह कंपनी अपने बोर्ड और प्रचार सामग्री इन सभी स्थानों पर लगा रही है। यह सामग्री लगाने का इस कंपनी का शुल्क 10 करोड़ रुपए होता है जो कि नगर निगम को नहीं चुकाया गया है।
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प्रदेश सरकार ने बताया था गलत
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम के द्वारा कोरोना के संक्रमण काल को आधार बनाते हुए इस कंपनी को छूट देकर ठेके को निरंतर रखने का आदेश जारी किया गया। सिटी बस कंपनी के इस आदेश को राज्य सरकार के द्वारा भी गलत करार दिया गया। शासन की ओर से इस बारे में नगर निगम और सिटी बस कंपनी को पत्र भी लिखा गया और कहा गया कि इस तरह की छूट दिया जाना उचित नहीं है। शासन की ओर से निगम के अधिकारियों की मिली भगत से होने वाली टैक्स चोरी और निजी लाभ हासिल करने का खेल पकड़े जाने के बावजूद अब तक नगर निगम के अधिकारी अपने हितों के कारण इस कंपनी के विज्ञापन लगने दे रहे हैं और उसका कोई शुल्क भी नहीं ले रहे हैं।
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प्रतिमाओं व बगीचों के आसपास नहीं लगाएं यूनिपोल
चौकसे का आरोप है कि राज्य सरकार के द्वारा 2014 में इस तरह की प्रचार सामग्री को लगाने के लिए नीति का निर्धारण किया गया था। इस नीति में शासन की ओर से यह स्पष्ट कहा गया था कि रोड विभाजन में चौराहे पर व महापुरुष की प्रतिमा के आसपास और बगीचों के आसपास इस तरह के यूनिपोल नहीं लगाए जाएंगे। इसके साथ ही शासन ने पैदल नागरिकों के चलने के स्थल फुटपाथ को भी इस प्रचार सामग्री से मुक्त रखने के निर्देश दिए थे। शासन के इस निर्देश का व शासन की नीति का इंदौर नगर निगम के अधिकारियों ने बीआरटीएस कॉरिडोर पर खुला उल्लंघन किया है। इन अधिकारियों के द्वारा जयपुर की ठेकेदार कंपनी को उपकृत करने के लिए सड़क के बीच में, सड़क के किनारे पर और फुटपाथ जैसे स्थानों पर यूनिपोल लगाने के निर्देश का खुला उल्लंघन किया गया।
लॉलीपॉप पोल का आकार भी बड़ा दिया
चौकसे ने आरोप लगाया कि बीआरटीएस कॉरिडोर में लॉलीपॉप की अनुमति 3 फीट बाय 4 फीट की थी। अधिकारियों का संरक्षण मिलने के कारण ठेकेदार कंपनी के द्वारा लॉलीपॉप के आकार को बढ़ाकर 3 फीट बाय 5 फीट कर लिया गया। निगम के अधिकारियों ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव के संरक्षण के चलते हुए अपने निजी हितों के कारण इस लापरवाही को नजर अंदाज किया।
बीआरटीएस की जालियां ही निकाल लीं
चौकसे ने आरोप लगाया कि इस ठेकेदार एजेंसी के हौसले कितने बुलंद हैं इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भंवरकुआं चौराहे पर इंदौर विकास प्राधिकरण के द्वारा फ्लाईओवर ब्रिज के निर्माण का कार्य किया गया तो वहां पर बीआरटीएस कॉरिडोर की लगी हुई जालियों को निकाल कर यह एजेंसी ले गई। इसके पूर्व भी यह एजेंसी निरंजनपुर चौराहे से सत्य साइ चौराहे तक ब्रिज का निर्माण शुरू होने के कारण वहां की भी जालियां निकालकर ले गई है। इस तरह से इस कंपनी के द्वारा सरकारी संपत्ति भी हड़प ली गई है। नगर निगम के अधिकारी मुंह देख रहे हैं। निगम के द्वारा अब तक इस एजेंसी के खिलाफ सरकारी संपति बिना अनुमति के ले जाने के कारण कोई आपराधिक प्रकरण भी दर्ज नहीं कराया गया है।
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घोटाले की शिकायत लोकायुक्त में करें
चौकसे ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा है कि यदि महापौर इस मामले में लिप्त नहीं है तो मेरा आग्रह है कि महापौर खुद इस घोटाले की जांच लोकायुक्त में करें। इसके साथ ही इस घोटाले में लिफ्ट नगर निगम और सिटी बस कंपनी के अधिकारियों को तत्काल इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। नगर निगम के द्वारा राज्य शासन को भी इस घोटाले की रिपोर्ट भेजते हुए शासन से भी इस मामले की प्रथा से विशेष जांच दल बनाकर जांच करने का आग्रह किया जाए।