संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम इंदौर के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले ( Indore Municipal Corporation bill scam ) में मास्टरमाइंड माने जाने वाले गिरफ्तार इंजीनियर अभय राठौर (Abhay Rathore ) ने निगम के पूर्व कमिशनर (निगमायुक्त) के साथ ही एडिशनल कमिशनर (अपर आयुक्तों) को राहत दे दी है। यह राहत इस तरह से मिली है कि राठौर ने अभी तक इनमें से किसी भी अधिकारी की मिलीभगत को लेकर नाम नहीं लिया है। इस कारण से सभी पूर्व, वर्तमान उच्च अधिकारी पुलिस की जांच से बाहर है।
फिर किनका नाम लिया है राठौर ने
राठौर ने पुलिस पूछताछ में अभी तक अपने समकक्ष इंजीनियरों के साथ ही अधीनस्थ इंजीनियर, लेखा विभाग व ऑडिट विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के नाम लिए हैं। इन सभी को उसने इस बड़े घोटालों में शामिल माना है। इसमे से कुछ उनके साथ गैंग में शामिल होकर हिस्सा बांटी कर रहे हैं तो तो कुछ अपने स्तर पर ही निगम में घोटाले कर रहे हैं, इस मामले में राठौर ने ड्रेनेज विभाग के इंजीनियर सुनील गुप्ता का ही बारबार नाम लिया है। गुप्ता की कार से ही इस घोटाले की फाइल 3 मार्च को चोरी गई थी।
फिर राठौर की ली जाएगी रिमांड
वहीं राठौर की पुलिस रिमांड 15 मई बुधवार को खत्म हो रही है। डीसीपी पंकज पाण्डे ने बताया कि राठौर से अभी भी लंबी पूछताछ बाकी है, इसलिए कोर्ट मे पेश कर और रिमांड मांगी जाएगी। अभी तक राठौर की प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी नहीं मिली है। यह जानकारी जरूरी है क्योंकि इसी को कुर्क कर इस घोटाले की राशि की वसूली की जा सकती है।
राठौर ने रिश्तेदारों के नाम ही ली संपत्तियां
हालांकि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ईओडब्ल्यू छापे के बाद राठौर ने काफी सर्तकता बरती और अपने और करीब परिजन के नाम पर कोई बड़ी संपत्ति नहीं ली है। जो भी किया दूर के रिश्तेदार, बेनामी संपत्तियां ही ली है। एक बड़े मेडिकल कॉलेज में भी लंबा उसका पैसा लगा है लेकिन अभी तक उसके कागजों पर मिलीभगत के सबूत पुलिस को नहीं मिले हैं। होटल और जमीन में भी उसका निवेश मिला है, जो दूर के रिश्तेदारों के नाम पर है।
ठेकेदार महंगा फोन देते, विदेश यात्राएं कराते
वहीं यह भी सामने आया है कि घोटालों की इस राशि से ठेकेदार से लेकर निगम के अधिकारी, कर्मचारियों सभी ने जमकर ऐश की है। ठेकेदार ने सभी को महंगे गिफ्ट बांटे हैं। खुद राठौर को ही एक लाख का मोबाइल फोन दिया। वहीं विदेश यात्राएं भी कराई है। ठेकेदार भी विदेश जाते रहते थे।
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चार ऑडिट अधिकारी भी हो चुके निलंबित
मप्र शासन के वित्त विभाग ने ऑडिट शाखा के चार वरिष्ठ अफसरों को निलंबित किया है. लोकल फंड ऑडिट की ओर से इंदौर नगर निगम में पदस्थ संयुक्त संचालक अनिल कुमार गर्ग, डिप्टी डायरेक्टर समर सिंह, असिस्टेंट ऑडिटर रामेश्वर परमार के अलावा सीनियर ऑडिटर जे एस ओहरिया के खिलाफ यह निलंबन की कार्रवाई की गई है। मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग के अवर सचिव विजय क्ठाने ने ऑडिट विभाग के इन चारों अफसरों के निलंबन आदेश जारी किए है।
जांच कमेटी ने जिसे आरोपी माना उसमें अभी यह बचे
जांच कमेटी ने नगर निगम के लेखा विभाग के सुनील भंवर के लिए कहा था कि लापरवाही सिद्ध होती है और भूपेंद्र पुरोहित के लिए कहा था कि संलिप्तता संदिग्ध है, इन्हें पहले ही हटाया जा चुका है। लेकिन जांच कमेटी ने इसके साथ ही सहायक ऑडिटर विक्रम वर्मा और कमम्प्यूर आपरेटर जगदीश चौकसे की भूमिका में लिखा था कि गंभीर लापरवाही सिद्ध होती है। इन पर अभी निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
निगम घोटाले में फरार सिद्दकी भी पकड़ाया
उधर नगर निगम बिल घोटाले में फरार चल रहे ठेकेदार मोहम्मद सिद्दकी की गिरफ्तारी हो गई है। वह ग्रीन कंस्ट्रक्शन कंपनी का ठेकेदार है और साथ ही ठेकेदार जाकिर और साजिद का पिता है जो किंग कंस्ट्रक्शन और नीवं कंसट्रक्शन के संचालक है। सिद्दकी ने हाईकोर्ट में वादा किया था कि सात दिन में सरेंडर कर देगा लेकिन बाद में वह फरार हो गया।
अभी तक इतने गिरफ्तार, दो फरार
अभी तक पुलिस मूल घोटाले में शामिल पांच फर्मों के सभी ठेकेदारों को पकड़ चुकी है जिसमें सिद्दकी, साजिद, जाकिर के साथ रेणु वढेरा और राहुल वढेरा शामिल है। इसमें रेणु की जमानत हो चुकी है। वहीं नगर निगम से पुलिस राठौर के साथ ही उदय भदौरिया, चेतन भदौरिया, राजकुमार साल्वी, मुरलीधरन को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं अभी भी ईश्वर कंपनी का मौसम व्यास और क्रिस्टल कंपनी का इमरान ठेकेदार फरार है, दोनों पर 5-5 हजार का ईमाम पुलिस घोषित कर चुकी है।