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इंदौर के एमवाय अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों ने नवजातों को कुतरा नहीं था। उसके अंग ही खा गए। द सूत्र के पास आई भयावह फोटो में साफ है कि एक नवजात की चारों उंगलियां खा लीं और दूसरे के कंधे भी खा लिए। बच्चों की दर्दनाक मौत पर बेशर्म हंसी हंसने वाले एमजीएम डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अधीक्षक डॉ. अशाेक यादव के साथ विभागाध्यक्ष डॉ. बृजेश लाहोटी के बेहूदा बयान और लगातार झूठ सामने आ रहे। जब बच्चों के शव परिजनों को सौंपे गए तब जो हकीकत सामने आई वह इतनी भयानक थी कि उसे देखकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो गए। शव पर से जैसे ही कपड़ा हटाया तो बच्चे की खून से सनी हथेली दिखने लगी।
नवजात की मौत की खबर परिजनों से छिपाई
एमवाय अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों द्वारा नवजात को कुतरने और उसकी मौत की घटना ने एक नया मोड़ ले लिया है। मृत बच्ची के पिता देवराम ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बच्ची की मौत की जानकारी उनसे छिपाई गई। यहां तक कि उसे लावारिस घोषित कर अंतिम संस्कार की तैयारी भी कर ली गई थी।
"ना इलाज बताया, ना मौत की सूचना"
बच्ची के पिता देवराम ने बताया कि बच्ची को भर्ती कराने के बाद अस्पताल प्रशासन ने न तो उन्हें इलाज की जानकारी दी और न ही मौत की सूचना दी। उनके पास सिर्फ 200 रुपए थे, जो एम्बुलेंस वाले ने ले लिए। उन्हें न तो एडमिशन की पर्ची दी गई, न ही पास, जिससे बच्ची से मिलने का कोई अधिकार नहीं मिला। दो दिन तक वे अस्पताल में भूखे बैठे रहे, लेकिन बच्ची से मिलने नहीं दिया गया। शुक्रवार रात अचानक उन्हें पता चला कि बच्ची की मौत हो चुकी है। जब मां मंजू को यह खबर मिली तो वह बेहोश हो गई।
बच सकती थी बच्ची
एमवाय प्रबंधन ने बताया था कि बच्ची की अंगुलियां चूहों ने कुतरी हैं, लेकिन असल में चूहे उसकी पूरी अंगुलियां ही खा गए थे। सूत्रों के मुताबिक, बच्ची शायद जिंदा रह सकती थी पर चूहों के काटने के कारण उसे इन्फेक्शन हुआ और कार्डियक शॉक के कारण बच्ची की मौत हो गई। भास्कर ने कुछ पीडियाट्रिक्स से भी बात की। उनका कहना था कि ऐसे गंभीर केस में चूहे के कारण इन्फेक्शन और शॉक से डेथ होने के चांस बढ़ जाते हैं।
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इन पर हुई कार्रवाई
डॉ. ब्रजेश लाहोटी विभागाध्यक्ष, पीडीयाट्रिक सर्जरी विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
डॉ. मुकेश जायसवाल, सहायक अधीक्षक एवं भवन प्रभारी को निलंबित किया गया।
मारग्रेट जोजफ, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाया।
आकांक्षी बेंजामिन, नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
श्वेता चौहान नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
कलावती बलावी सहायक प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (NICU) को शोकाज नोटिस दिया।
प्रवीणा सिंह प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (PICU) को निलंबित किया गया।
डॉ. मनोज जोशी प्रभारी व प्राध्यापक (पीडियाट्रिक सर्जिकल) को शोकाज नोटिस दिया।
एजाइल कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
पत्नी को धार छोड़ बेटी को लेकर आया था पिता
देवराम पत्नी मंजू को धार के जिला अस्पताल में भर्ती कर नवजात बेटी को लेकर इंदौर पहुंचे। राजोद PHC से धार और जिला अस्पताल धार से इंदौर रैफर करने के दस्तावेज भी दिए थे।
गर्भवती, गंभीर और बच्चों को एक जैसा खाना
अस्पताल में सर्जरी के मरीज, गर्भवती, कैंसर मरीज या अन्य भर्ती मरीजों को एक जैसी डाइट ही दी जाती है। प्रबंधन का कहना था कि 49 रुपए प्रति व्यक्ति डाइट खर्च है। इसमें सुबह चाय-नाश्ता दूध, दोपहर में खाना, शाम में स्नैक्स व रात का खाना शामिल है।
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बेटी से मिलने नहीं दिया, दो दिन बाद लौट गया
पिता दो दिन में कई बार वार्ड में गया, पर स्टॉफ ने उसे पास नहीं होने पर भगा दिया। फिर एक कर्मचारी ने कहा कि जैसे ही जानकारी मिलेगी, तुम्हें फोन आ जाएगा। इसके बाद देवराम लौट गया।
विश्व का कोई अस्पताल इन बच्चों को नहीं बचा सकता था
NICU इंचार्ज डॉ. ब्रजेश लाहोटी का बयान विवादों में आ गया है। उन्होंने कहा "अस्पताल में चूहे मौजूद हैं और कई बार ड्यूटी के दौरान हमें भी काट लेते हैं। लेकिन चूहों से किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है और इसे गंभीर लापरवाही को हल्के में लेने वाला रवैया बताया जा रहा है। डॉ. लाहोटी ने आगे कहा कि दोनों नवजात पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। एक बच्चे की आंख पूरी तरह खराब थी, जिसे सर्जरी के जरिए बाईपास किया गया था। दोनों ही बच्चों को जन्म से ही क्रिटिकल प्रॉब्लम्स थीं। उन्होंने दावा किया कि इन बच्चों की हालत ऐसी थी कि "दुनिया के किसी भी अस्पताल में इनका इलाज कर भी दिया जाता, तो भी ये जीवित नहीं रह पाते।
छह घंटे चले प्रदर्शन के बाद कार्रवाई का आश्वासन
शनिवार को सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल और जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा एमवाय अस्पताल पहुंचे। परिजनों और समाजजनों ने मिलकर करीब छह घंटे तक अस्पताल परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रशासन ने पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी। दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने और अस्पताल अधीक्षक के निलंबन का प्रस्ताव शासन को भेजने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि मासूम बच्ची की उंगलियां चूहों द्वारा कुतर खा जाने की घटना ने न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। प्रशासन की मंशा साफ थी कि शव परिजनों को न सौंपा जाए ताकि सच्चाई छुपी रह सके। जब परिजनों ने शव की तस्वीर खोली तो सबकी रूह कांप उठी। मासूम बच्ची के दाहिने हाथ की चारों उंगलियां चूहों द्वारा खाई जा चुकी थीं।
कितना तड़पे होंगे बच्चे
जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने बताया कि जो तस्वीरें सामने आई हैं यह केवल एक तस्वीर नहीं, बल्कि मानवता की हत्या का जीता-जागता प्रमाण है। अंगुली में सुई चुभ जाए तो इंसान दर्द से कराह उठता है। सोचिए… उस मासूम पर क्या बीती होगी, जब उसकी चारों उंगलियां चूहों ने कुतर दीं। कितना तड़पी होगी… कितना खून बहा होगा। इस दर्दनाक घटना के बावजूद अस्पताल प्रशासन और बड़े अधिकारियों को बचाने का खेल चल रहा है। इंदौर शहर के नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की आत्मा मर चुकी है और सरकार अब भी कमीशनबाज व लापरवाह अधिकारियों को बचा रही है।
कांग्रेस ने भी लिया संज्ञान
मामले की गूंज राजनीति तक पहुंच गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना की जानकारी मांगी है। वहीं, परिजन और सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि इस मामले में दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर की जाए।
मुख्यमंत्री पर भी साधा निशाना
वहीं, कांग्रेस पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री इंदौर के प्रभारी मंत्री हैं। वे गुरुवार को इंदौर में मौजूद थे और कई कार्यक्रमों में शामिल हुए, लेकिन एमवाय अस्पताल जाकर स्थिति देखने की फुर्सत नहीं मिली। यह उनकी संवेदनहीनता को दिखाता है।”
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल
पटवारी ने कहा कि जिन दो बच्चों की मौत हुई है, उनमें से एक का पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ। दूसरे बच्चे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने अधीक्षक से इस पोस्टमार्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी ताकि सच्चाई सामने आ सके।
चूहा कांड पर यह बोले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह
एमवाय में दो नवजातों की चूहे कुतरने से हुई मौत पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब यहां मोहंती कलेक्टर थे, तब हम लोगों ने यहां कायाकल्प अभियान चलाया और 12 हजार चूहे मारे गए। यह चौंकाने वाली बात है कि यह दुर्घटना हुई और अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।