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इंदौर के एमवाय अस्पताल में नवजातों को चूहों द्वारा कुतरे जाने को लेकर अब एचओडी ने शर्मनाक बयान दे डाला है। उनके मुताबिक बच्चों को दुनिया का कोई भी अस्पताल नहीं बचा सकता था। इधर, डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया एजाइल कंपनी पर जुर्माना लगाने की बात को अपने बयान में कई बार ऐसे दोहरा रहे हैं, जैसे कि उन्होंने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। इस घटनाक्रम ने पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए इसे बच्चों की हत्या बताया था।
HOD का चौंकाने वाला बयान
इसी बीच NICU इंचार्ज डॉ. ब्रजेश लाहोटी का बयान विवादों में आ गया है। उन्होंने कहा –"अस्पताल में चूहे मौजूद हैं और कई बार ड्यूटी के दौरान हमें भी काट लेते हैं। लेकिन चूहों से किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता।" उनका यह बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है और इसे गंभीर लापरवाही को हल्के में लेने वाला रवैया बताया जा रहा है।
"विश्व का कोई अस्पताल इन बच्चों को नहीं बचा सकता था"
डॉ. लाहोटी ने आगे कहा कि दोनों नवजात पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। एक बच्चे की आंख पूरी तरह खराब थी, जिसे सर्जरी के जरिए बाईपास किया गया था। दोनों ही बच्चों को जन्म से ही क्रिटिकल प्रॉब्लम्स थीं। उन्होंने दावा किया कि इन बच्चों की हालत ऐसी थी कि "दुनिया के किसी भी अस्पताल में इनका इलाज कर भी दिया जाता, तो भी ये जीवित नहीं रह पाते।
जांच में सख्ती, दो दिन में रिपोर्ट की समय सीमा
एमवाय अस्पताल में चूहों द्वारा नवजातों को कुतरे जाने के मामले में गुरुवार को राज्य स्तरीय जांच टीम इंदौर पहुंची। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने खुद अस्पताल का निरीक्षण किया। आयुक्त तरुण राठी ने अस्पताल प्रशासन पर सख्ती दिखाई और अधीक्षक के कक्ष में बैठकर पूरी घटना की जानकारी ली। उन्होंने स्पष्ट किया कि दो दिन के भीतर जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और इसमें जिनकी भी लापरवाही सामने आएगी, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब तक 7 कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है, वहीं डीन और अधीक्षक से भी लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
यह कहा राहुल गांधी ने
इंदौर में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत - यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है। यह घटना इतनी भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील है कि इसे सुनकर भी रूह कांप जाए। एक मां की गोद से उसका बच्चा छिन गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार ने अपनी सबसे बुनियादी जिम्मेदारी नहीं निभाई। हेल्थ सेक्टर को जानबूझकर प्राइवेट हाथों में सौंपा गया - जहां इलाज अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है, और गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल अब जीवनदायी नहीं, मौत के अड्डे बन चुके हैं। प्रशासन हर बार की तरह कहता है - “जांच होगी” - लेकिन सवाल यह है - जब आप नवजात बच्चों की सुरक्षा तक नहीं कर सकते, तो सरकार चलाने का क्या हक़ है?
डीन तो हंसते हुए बोले, हमने जुर्माना लगा दिया
इसके पूर्व एमजीएम डीन डॉ. घनघोरिया ने इस मामले की जानकारी बेशर्म हंसी के साथ दी थी। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मृतक नवजात का वजन मात्र 1.2 किलो था, हीमोग्लोबिन बेहद कम था और जन्म से ही कई जटिलताएँ थीं। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। डीन ने स्पष्ट किया कि “चूहे के काटने का घाव बहुत छोटा था, मौत का कारण सेप्टिसीमिया (इन्फेक्शन) और जन्मजात समस्याएँ हैं। डीन ने कहा कि चूहों की सक्रियता की जानकारी समय पर न देने और सतर्कता में चूक के चलते कंपनी व स्टाफ पर कार्रवाई की गई।