/sootr/media/media_files/2025/09/04/sourabh255-2025-09-04-15-55-39.jpg)
इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों द्वारा बच्चों को कुतरने के मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। पूर्व में इसी तरह का मामला भोपाल में सामने आने पर पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान ने तत्कालीन एसीएस और डीन को हटा दिया था। इंदौर में घटना को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का कहा था। दो नवजातों की मौत पर डीन, अधीक्षक और पूरा सिस्टम एक-एक कर झूठ बोल रहा है।
यह था वह मामला
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला गुलाब बाई की मौत हो गई थी। शव को अस्पताल परिसर के टीन शेड में रखा गया था। जब परिजन पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चूहों ने उसकी आंखें कुतर दी हैं। मामले में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान अस्पताल पहुंचे थे। उस दौरान निरीक्षण में अस्पताल परिसर में गंदगी और अव्यवस्थाएं मिलने पर उन्होंने सख्त नाराजगी जताई और एसीएस चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रभांशु कमल और गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. उल्का श्रीवास्तव को पद से हटा दिया था।
सफाई एजेंसी का ठेका निरस्त करने के निर्देश
सीएम ने अस्पताल में फैली गंदगी देखकर सफाई व्यवस्था को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने सफाई एजेंसी का ठेका तत्काल निरस्त करने और नई एजेंसी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर भी जवाबदेही तय करने को कहा गया।
डीन और अधीक्षक का एक और झूठ
एमजीएम के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने अपने बयानों में झूठ फैलाया था। यही नहीं, उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह को भी झूठी जानकारी दी थी कि बच्चों का पीएम कराया था, जिसमें ऑर्गन फेल्यूअर और बीमारियां होने की बात बताई थी। जब बच्चे को गंभीर बीमारियां थीं तो फिर भी अस्पताल प्रबंधन ने इस कदर लापरवाही बरती कि उसे चूहों के बीच में छोड़ दिया। निगरानी के लिए भी कोई मौजूद नहीं था।
बेशर्म हंसी के साथ ऐसा झूठ बोला डीन ने
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मृतक नवजात का वजन मात्र 1.2 किलो था, हीमोग्लोबिन बेहद कम था और जन्म से ही कई जटिलताएँ थीं। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। डीन ने स्पष्ट किया कि “चूहे के काटने का घाव बहुत छोटा था, मौत का कारण सेप्टिसीमिया (इन्फेक्शन) और जन्मजात समस्याएँ हैं। डीन ने कहा कि चूहों की सक्रियता की जानकारी समय पर न देने और सतर्कता में चूक के चलते कंपनी व स्टाफ पर कार्रवाई की गई।
अस्पताल अधीक्षक बोले, 5 साल से पेस्ट कंट्रोल नहीं हुआ
इस संबंध में सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव ने कहा अस्पताल में पांच साल पहले पेस्ट कंट्रोल कराया गया था। उसके बाद अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। मरीजों के परिजन अक्सर खाद्य सामग्री वार्ड तक ले आते हैं, जिसकी वजह से चूहों की संख्या बढ़ गई है। इस पर जल्द ही नियंत्रण के उपाय किए जाएंगे। दोनों बच्चों की मौत का कारण चूहों द्वारा कुतरा जाना नहीं है। एक बच्चा बेबी ऑफ मंजू 3 दिन का था। वह देवास से रैफर होकर आया था। उसके परिजन बच्चे को मरा हुआ समझकर छोड़कर चले गए थे। वहीं, दूसरा बच्चा 12 दिन का बच्चा था। वह अज्ञात है, क्योंकि उसे भी परिजन छोड़कर चले गए थे। दोनों को जन्मजात कई तरह की बीमारियां थीं।
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें