मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की नहीं सुनना नगर निगम अधिकारियों को पड़ा भारी, दागियों के ट्रांसफर
इंदौर नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों के खिलाफ नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सख्त कदम उठाया है। डॉ. इजहार मुंशी की बिल्डिंग में विस्फोट से पहले मंत्री ने निगम को चेतावनी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
MP News: इंदौर नगर निगम के दागी अधिकारियों पर आखिरकार नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की सख्ती का डंडा चल ही गया। डॉ. इजहार मुंशी की बिल्डिंग में विस्फोट से पहले मंत्री ने निगम को इस मामले में फोन किया था, लेकिन किसी ने नहीं सुनी थी। भले ही बाद में निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इसमें जांच बैठा दी, लेकिन अब देर हो चुकी है। मंत्री ने इस केस में रिश्वत मामले के आरोपी शिवराज सिंह यादव सहित कई लोगों को इंदौर से दूरस्थ जिलों में भिजवा दिया।
नगरीय प्रशासन विभाग से 13 जून को जारी हुई ट्रांसफर सूची में इंदौर से एक साथ 10 उपयंत्रियों को ट्रांसफर किया गया है। शिवराज सिंह यादव ने डॉ. मुंशी से 15 लाख की रिश्वत मांगी थी, उन्हें रीवा भेजा गया है। असित खरे ने इस बिल्डिंग का नक्शा पास किया था, उन्हें कटनी भेजा गया है। हिमांशु ताम्रकार बिल्डिंग इंस्पेक्टर थे। वे इस केस में विवादों में आए थे। उन्हें सतना भेजा गया है।
इसके साथ अन्य ट्रांसफर में राहुल रघुवंशी को खंडवा, विनोद अग्रवाल को कटनी, अतुल सिंह को सतना, अंकुश चौरसिया को बुरहानपुर, अभिषेक सिंह को मुरैना, अतीक खान को रीवा व करतार सिंह राजपूत को पिछोर शिवपुरी भेजा गया। वहीं ग्वालियर से श्रीकांत काटे इंदौर आए हैं।
वहीं इसके पहले जोनल अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा का भी ट्रांसफर सूची में था और उन्हें सिंगरौली भेजा गया था। लेकिन अपनी पकड़ और राजनीतिक पैठ से वह इसे रुकवा लाए और तीन दिन बाद ही उनका ट्रांसफर आर्डर निरस्त हो गया।
इसके पहले जब बिल्डिंग को ब्लास्ट से मंत्री नहीं रोक सके तो उन्होंने 5 जून को पर्यावरण दिवस पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान मंच से निगमायुक्त शिवम वर्मा को तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि निगमायुक्त को जब भी किसी का काम बोलो वह हमेशा जी सर, यस सर बोलते हैं, भले ही वह काम हो या नहीं हो, मुझे भी उनसे यह सीखना है, लेकिन अभी तक सीख नहीं पाया।
निगम में लगातार जारी है ब्यूरोक्रेसी और नेताओं में खींचतान
निगम में लंबे समय से ब्यूरोक्रेसी और नेताओं के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। कई बार महापौर पुष्यमित्र भार्गव अपने ही स्तर पर जांच कमेटी बनवा चुके हैं या फिर जांच के लिए मप्र शासन को लिख चुके हैं। चाहे वह गणेशगंज में मिश्रा के मकान पर कार्रवाई का मामलो हो या फिर निगम के 150 करोड़ घोटाले का या फिर स्मार्ट सिटी द्वारा कचरा प्रोजेक्ट के लिए दिए गए टेंडर का समय बढ़ाने का। बिल्डिंग ब्लास्ट में भी महापौर आपत्ति लेकर जांच का बोल चुके थे।
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