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नगर निगम इंदौर की रिमूवल टीम पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला कर गायों को छुड़ाया गया। घटना बुधवार सुबह नौ बजे करीब हुई थी और पुलिस एफआईआर घटना होने के करीब 12 घंटे बाद रात के साढ़े नौ बजे दर्ज की गई थी। इसमें भी खासी मशक्कत हुई। निगमायुक्त शिवम वर्मा ना केवल सीपी संतोष सिंह से मिले बल्कि शाम से रात तक फॉलोअप लेते रहे। इससे पूरी पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहीं नहीं बीते दो माह में आए एक के बाद एक हाई प्रोफाइल मामलों में पुलिस की कार्यशैली संतोष दे पाने में विफल हुई है।
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निगम टीम पर हमले में पुलिस की कमजोरियां
- सुबह जब बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने रिमूवल टीम पर हमला किया, उसके बाद उपायुक्त लता अग्रवाल ने चंदननगर पुलिस से बल मांगा। लेकिन पुलिस यह बोलती है कि यदि भीड़ ने हमारे थाने पर हमला कर दिया तब क्या होगा? यह हालत है।
- जब रिमूवल टीम पर हमला हुआ तो पुलिस बल भी साथ थे, लेकिन भीड़ उन्हीं पुलिस वालों के डंडे छीनकर निगम कर्मचारियों को मारने की कोशिश की। यह वीडियो में आसानी से देखा जा सकता है।
- मौके पर जो पुलिस बल था उनकी ओर से भीड़ पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई वह थोड़ा रोकते जरूर दिख रहे हैं लेकिन उनके हाथ में जो कानून का डंडा था वह इस भीड़ पर चलाया नहीं गया, पुलिस बचाव में थी, कार्रवाई में बिल्कुल नहीं।
- जब एफआईआर हुई तो मात्र तीन लोग- विजय कालखोर, संजय महाजन और तेजसिंह राठौर पर नामजद केस हुआ। यह करीब सौ लोगों की भीड़ का हमला था और कई सारे वीडियो सामने आए हैं, लेकिन इसमें से पुलिस केवल तीन की ही पहचान कर सकी है। यह अन्य व अज्ञात हमेशा रहेंगे, इसकी पूरी आशंका है।
- इसकी आशंका इसलिए है, क्योंकि पलासिया थाना घेराव, चक्का जाम के दौरान पुलिस ने उपद्रव करने वाले 200 से ज्यादा अज्ञात कार्यकर्ताओं पर केस किया था जो आज तक अज्ञात ही है और कुछ नहीं हुआ। वहीं लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों की विदाई और हो गई थी। इसलिए भी पुलिस डरी हुई है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव व निगमायुक्त शिवम वर्मा, एमआईसी मेंबर अश्विनी शुक्ला व अन्य ने अस्पताल में जाकर हमले में घायल निगमकर्मियों से मुलाकात की।
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निगमायुक्त को करनी पड़ी मशक्कत
इस पूरे मामले में निगमायुक्त शिवम वर्मा का शुरू से ही रुख सख्त था और उन्होंने पहले निगम कर्मियों से अस्पताल में जाकर मुलाकात की और घटना के बारे में जाना और फिर सीधे पहुंचे सीपी संतोष सिंह के पास। साफ कहा कि कार्रवाई जरूरी है, एफआईआर होना चाहिए और गिरफ्तारी भी। दोपहर में सीपी ने पुलिस को आदेश दिए। हालांकि इसके बाद भी दोपहर से रात तक निगमायुक्त को पुलिस अधिकारियों ने बार-बार यही कहा कि केस कर रहे हैं, जल्द हो जाएगी, जो रात के साढे नौ बजे दर्ज किया गया। इसके बाद भी रात को गिरफ्तारी नहीं हुई। रात को फिर से अवैध बाड़ों पर कार्रवाई की बात थी लेकिन फिर पुलिस सुस्त हो गई और इतना बल नहीं था कि कार्रवाई हो सके। क्योंकि उधर से खबर थी कि बजरंग दल कार्यकर्ता भी भारी संख्या में बाड़ों के पास जमा हुए हैं।
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इन हाईप्रोफाइल मामलों में भी पुलिस ने कुछ नहीं किया
- बीआरटीएस कॉरिडोर के अंदर से बीजेपी नेता बलजीत सिंह ने 300 से ज्यादा कारों की रैली निकाली। एआईसीटीएसएल से सीईओ आईएएस दिव्यांक सिंह ने ट्रैफिक पुलिस को लिखकर दे दिया कि इसमें कानूनी कार्रवाई की जाए, लेकिन आज तक पुलिस ने वह लेटर डस्टबिन में डाला हुआ है। किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया।
- एमजीएम मेडिकल कॉलेज की ऐतिहासिक बिल्डिंग किंग एडवर्ड में हैलोवीन पार्टी हुई, जिसमें कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता अक्षय बम की भारी भूमिका थी, कई बार पुलिस को आवेदन दिए, लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर मामला टाल दिया और आज तक केस नहीं हुआ
- बीजेपी नेता प्रताप करोसिया के भतीजे सौरभ करोसिया व अन्य ने ताई सुमित्रा महाजन के पोते सिद्धार्थ को पीटा, बेटे मिलिंद महाजन के शोरूम को तोड़ा लेकिन पुलिस ने मामूली धारा में केस किया। वहीं विवाद बढ़ा तो सीपी के कहने पर धाराएं बढ़ाई और गिरफ्तारी की गई, लेकिन पहली सुनवाई में कोर्ट से बेल हो गई। क्योंकि सरकार ने आपत्ति ही नहीं ली। वहीं जब इनके जुलूस निकालने के लिए रोजमोहल्ला लेकर गई तो पुलिस ने वहां भी गिनती के 42 कदम चलाए और आरोपियों के परिवार के विरोध से डरकर लौट आई।
- इसी तरह मंत्री के करीबी कारोबारी संजय जैसवानी पर लूट, मारपीट, धोखाधड़ी जैसी धाराओं में केस करने के लिए फरियादी को तीन माह चक्कर लगाने पड़े, आखिर में कोर्ट के आदेश से केस हुआ। इसमें भी पहले चालाकी की और कई धाराएं हटा दी, फिर कोर्ट ने फटकार लगाई तो केस हुआ। आज तक जैसवानी की गिरफ्तारी तो नहीं हुई, जबकि गिरफ्तारी वाली गंभीर धाराएं कोर्ट के आदेश से लग चुकी है। यह जरूर है कि पुलिस ने जैसवानी के सहयोगी से मिले आवेदन पर तत्काल रशियन नागरिक गौरव अहलावत और उनकी मांग पर केस दर्ज कर लिया।
नगर निगम की टीम के साथ हैं खड़े- इंदौर महापौर
वहीं इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने FIR देरी से दर्ज होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि किन परिस्थितियों में गाय वाली गाड़ियां वापस वहां पहुंची। इसकी भी जांच होना चाहिए। हम सभी नगर निगम की टीम के साथ खड़े हुए हैं।
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