इंदौर कलेक्टोरेट में रिश्वत का खुल्ला खेल सामने आया है। द सूत्र को मिली विश्वनीय सूत्रों की खबर के अनुसार इंदौर में नायब तहसीलदार और पटवारी के गठजोड़ के साथ मध्यस्थ के बने गठबंधन ने एक-दो लाख नहीं पूरे 50 लाख की रिश्वत मांगी। वह भी केवल फौती नामांतरण केस के लिए। पटवारी सस्पेंड हो चुके हैं और नायब तहसीलदार को नोटिस जारी हो चुका है।
यह है अधिकारी और यह हुआ कांड़
यह कांड किया है इंदौर मल्हारगंज के नायब तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी ने और साथ ही विवादित पटवारी परीक्षा में पास होकर पटवारी बने ओम त्रिपेश ने। इनके साथ त्रिपाठी का मध्यस्थ शान पटेल भी है। इन तीनो ने मिलकर रिश्वत की मांग की थी।
रिश्वत में किसका कितना हिस्सा
इस मामले में रिश्वत की राशि में से 10 लाख पटवारी को मिलना थे बाकी त्रिपाठी रखते और इसमें से कुछ हिस्सा मध्यस्थ को दिया जाता। यह मध्यस्थ नया नहीं है यह लगातार त्रिपाठी के चेंबर में ही बैठकर पूरी डील किया करता था। इस मामले में बताया जाता है कि पुख्त सबूत, आड़ियो भी उच्च अधिकारियों को मिल चुके हैं। इसके आधार पर ही पटवारी को सस्पेंड किया गया और नायब तहसीलदार को नोटिस जारी हो चुके हैं।
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आप तो साहब से मिल लो, मेरा हिस्सा मुझे दे दो
फरियादी को फौती नामांतरण कराना था लेकिन इसमें कुछ तकनीकी बाधा थी। इस मामले में मध्यस्थ ने पहले फरियादी के अधिवक्ता राहुल दवे से बात की और रिश्वत मांगी, जिसे उन्होंने सिरे से मना कर दिया। इसके बाद त्रिपाठी ने मध्यस्थ शान पटेल से कहा कि सीधे पार्टी से बात करो, इसके बाद पटवारी और मध्यस्थ ने पार्टी यानी पक्षकार को घेरा। फिर एक-दो मुलाकात की और फोन पर बात की।
इसके बाद पक्षकार ने भी इस राशि पर आपत्ति ली और मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंच गया। इसमें सभी को बुलाकार मामले की जानकारी ली और इसमें मामला नायब तहसीलदार से डिमांड का निकला, जिसमें सभी का हिस्सा था। यह भी सामने आया कि मध्यस्थ के जरिए त्रिपाठी लगातार कलेक्टोरेट में रिश्वत की डील कर रहे थे।
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