इंदौर में NS पब्लिसिटी को लाभ पहुंचाकर किए गए विज्ञापन घोटाले में लगी याचिका, हुए नोटिस

इंदौर में नगर निगम और एआईसीटीएसएल की मिलीभगत से हुए करोड़ों के विज्ञापन घोटाले की जांच की मांग अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुकी है। हाईकोर्ट ने नगर निगम और एआईसीटीएसएल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर में एनएस पब्लिसिटी को टेंडर की शर्तों, नियमों को ताक पर रखते हुए अधिकारियों द्वारा पहुंचाए गए करोडों के लाभ को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हो गई है। इस याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट इंदौर ने नगर निगम, एआईसीटीएसएल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 

याचिका में लगे हैं घोटाले के गंभीर आरोप

यह याचिका समाजसेवी महेश गर्ग द्वारा अधिवक्ता मनीष यादव के जरिए लगाई गई है। इसमें गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि एनएस पब्लिसिटी को एआईसीटीएसएल द्वारा बीआरटीएस पर विज्ञापन को लेकर टेंडर बुलाकर एक मार्च 2019 को टेंडर दिया गया, जो पांच साल के लिए था। 

इसकी अवधि साल 2024 में पूरी हो रही थी लेकिन अधिकारियों ने इसे नियम ताक पर रखते हुए 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया। पुरानी शर्तों पर यही यह टेंडर दिया गया, जबकि नए सिरे से यह करते तो अतिरिक्त राशि मिलती, इसके जरिए करीब 22 करोड़ का नुकसान हुआ।

कोविड के दौरान भी जहां शासन ने केवल दो माह की छूट दी थी वहां एआईसीटीएसएल ने एनएस को इससे कहीं ज्यादा छूट दी। वहीं एनएस द्वारा इस कोविड अवधि में जमकर व्यावसायिक विज्ञापन किए और कमाई की। टेंडर शर्त के अनुसार एनएस को निगम के सभी टैक्स देने थे, जो नहीं दिए यह राशि 20 करोड़ रुपए बनती है। 

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कंपनी ने जो 30-30 मीटर पर कियोस्क लगाने थे वह 20-20 मीटर पर कर दिए और भी कई शर्तों का उल्लंघन किया और जमकर आर्थिक मुनाफा कमाया। कंपनी को 15 फीसदी विज्ञापन जगह निगम, एआईसीटीएसएल के लिए रखने थे लेकिन इसमें भी कई बार उल्लंघन हुआ और कंपनी ने यह जगह आर्थिक तौर पर बेची।

8.06 करोड़ प्रति साल की दर पर दिया था

अधिवक्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट में तर्क रखे कि टेंडर की शर्तों के अनुसार एनएस को 8.06 करोड़ प्रति साल की राशि देना थी, इसमें हर साल 12 फीसदी की बढोतरी की जाना थी। इस तरह पांच साल का कुल ठेका 51.24 करोड़ का हुआ था। लेकिन जो बाद में बढोतरी की वह भी पुरानी शर्तों पर कर दी जबकि कंपनी ने कई शर्तों का उल्लंघन कर वैसे ही अनाप-शनाप कमाई की है। वहीं निगम को टैक्स नहीं दिया। इस तरह करोड़ों का नुकसान नगर निगम की आय का हुआ है। सभी तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

नेता प्रतिपक्ष लगा चुके हैं घोटाले के आरोप

नगर निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कुछ समय पहले इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस कर गंभीर आरोप लगाए थे। चौकसे का आरोप था कि नगर निगम द्वारा सिटी बस कंपनी के माध्यम से बीआरटीएस कॉरिडोर पर यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टॉप का ठेका 1 मार्च 2019 को 5 वर्ष के लिए दिया गया था।

यह ठेका जयपुर की कंपनी एनएस पब्लिसिटी को दिया गया था। यह ठेका 1 मार्च 2024 को पूरा हो गया है। इसके बावजूद सिटी बस कंपनी और मार्केट विभाग नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से पिछले 1 साल से यह कंपनी अपने बोर्ड और प्रचार सामग्री इन सभी स्थानों पर लगा रही है।

यह सामग्री लगाने का इस कंपनी का शुल्क 10 करोड़ रुपए होता है जो कि नगर निगम को नहीं चुकाया गया है। चौकसे ने आरोप लगाया कि बीआरटीएस कॉरिडोर में लॉलीपॉप की अनुमति 3 फीट बाय 4 फीट की थी। अधिकारियों का संरक्षण मिलने के कारण ठेकेदार कंपनी के द्वारा लॉलीपॉप के आकार को बढ़ाकर 3 फीट बाय 5 फीट कर लिया गया। निगम के अधिकारियों ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव के संरक्षण के चलते हुए अपने निजी हितों के कारण इस लापरवाही को नजर अंदाज किया।

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घोटाले की शिकायत लोकायुक्त में करने की थी मांग

चौकसे ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा था कि यदि महापौर इस मामले में लिप्त नहीं है तो मेरा आग्रह है कि महापौर खुद इस घोटाले की जांच लोकायुक्त में करें। इसके साथ ही इस घोटाले में लिफ्ट नगर निगम और सिटी बस कंपनी के अधिकारियों को तत्काल इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए।

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