इंदौर में द्वारकापुरी और क्षिप्रा पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है। यहां की पुलिस ने सड़क हादसे में घायल व्यक्ति से उसका नाम, पता तो पूछा, लेकिन उसके परिजनों को सूचना तक नहीं दी। इधर, इलाज के दौरान जब उसकी मौत हो गई तो उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। कोटा के बीजेपी जिलाध्यक्ष जब अपने भाई काे तलाशते हुए एमवाय अस्पताल पहुंचे तो उन्हें भाई की अस्थियों की जानकारी लगी।
परिजन को बताने के बजाए कर दिया अंतिम संस्कार
इंदौर के गुमास्ता नगर में रहने वाली बहन के घर कोटा से 51 वर्षीय मेडिकल व्यापारी पंकज जैन आए थे। इस दौरान वे घायल हो गए थे। तब पुलिस ने उनसे नाम-पता पूछा, लेकिन मौत के बाद परिजन से संपर्क करने के बजाय लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया। उधर, परिजन भी चार दिन से उन्हें तलाश रहे थे। गुरुवार को परिजन जब एमवाय अस्पताल पहुंचे तो उन्हें अस्थियों की जानकारी मिली।
कोटा में मेडिकल का है व्यापार
बताया गया कि मामला द्वारकापुरी थाना क्षेत्र के गुमाश्ता नगर का है। मृतक पंकज (51) पिता रिकबचंद जैन निवासी विज्ञान नगर कोटा (राजस्थान) हैं। उनके भांजे गगन जैन ने बताया कि मामा का कोटा में मेडिकल का व्यापार है। इनके भाई राकेश जैन कोटा में भाजपा के जिला अध्यक्ष हैं।
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घर से घूमने का बोलकर निकले थे
बताया गया कि व्यापारी पंकज 10 दिन पहले गुमाश्ता नगर में रहने वाली बहन के यहां आकर ठहरे थे। 25 मई को वे पैदल घूमने का बोलकर निकल गए थे। उनका मोबाइल रिचार्ज भी नहीं था। वे घूमते हुए लसूड़िया थाने से आगे शिप्रा थाना क्षेत्र में एक ढाबे तक पहुंचे थे। यहां उनका एक्सीडेंट हो गया और सिर में चोट लगने से घायल हो गए थे।
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इलाज के दौरान हो गई थी एमवाय में मौत
घायल अवस्था में लोगों ने डायल 100 को बुलाकर उन्हें शिप्रा पुलिस के जवानों की मदद से निजी अस्पातल में भर्ती किया। वहां पुलिस ने उनसे पूछताछ कर एमवायएच भेज दिया, वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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मर्चुरी में तीन दिन तक रखा रहा था शव
भांजे ने बताया कि मामा के लापता होने पर उन्होंने द्वारकापुरी थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई। यहां भी पुलिस ने जांच ठंडे बस्ते में रखी। परिजन तलाश में जुटे रहे। तभी गुरुवार को उनका मोबाइल ऑन हुआ। जब बात की तो एक ट्रक ड्राइवर ने कहा कि ये मोबाइल शिप्रा थाना क्षेत्र में एक ढाबे के पास मिला था। परिजन पुलिस को लेकर वहां पहुंचे तो सड़क हादसे की जानकारी मिली। बाद में एमवाय अस्पताल आए तो यहां सभी वार्डों में तलाशा। पता चला कि यहां मर्चुरी में तीन दिन तक शव रखा रहा। फिर लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया।
पुलिसकर्मी ने पर्स से पैसे निकाले पर आईकार्ड नहीं देखा
परिजनों ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक वीडियो मिला है, जिसमें घायल अवस्था में व्यापारी पंकज पुलिस जवान से बात करते दिख रहे हैं। जवान भी उनकी जेब से उन्हीं का पर्स निकालकर दवाई के पैसे देता नजर आ रहा है, लेकिन पर्स में आईडी कार्ड से उनकी पहचान नहीं की गई। साथ ही यह भी कहता नजर आ रहा है कि कौन झेले इनका खर्चा–पानी।
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अस्पताल ने भी परिजनों को सूचना नहीं दी
इधर परिजनों का यह भी आरोप है कि जिस निजी अस्पताल में पंकज को ले गए वहां से भी उनकी सूचना परिजन को नहीं दी। वहीं एमवाय में लाए तो उनके पर्स व सामान से शिनाख्त नहीं की। एमवायएच की चौकी वालों ने भी लावारिस लाश लाने वालों से पूछताछ नहीं की। शव को मर्चुरी में रखवा लिया। एमवाय लाने के दौरान वे जिंदा थे या नहीं, उनका उपचार हुआ या नहीं, ये अब जांच का विषय है, लेकिन परिजन का आरोप है कि उनकी मौत की वजह पुलिस व प्रबंधन की लापरवाही है।
द्वारकापुरी पुलिस पर भी लापरवाही के लगे आरोप
परिजनों इस मामले में द्वारकापुरी पुलिस पर भी लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि लापता होने की सूचना द्वारकापुरी पुलिस को दे दी थी। उनके मोबाइल नंबर से जानकारी क्यों नहीं जुटाई। 27 तारीख को उनके फोटो सहित उन्होंने जो कपड़े पहने थे, उसमें फोटो सहित विज्ञापन अखबारों में क्यों नहीं दिया।
टीआई बोले, हम मामले की जांच करेंगे
इस संबंध में शिप्रा टीआई जगदीश मोहबिया का कहना है कि हमारे जवानों ने उपचार करवाया था। वहां से परिजन को जानकारी क्यों नहीं मिली, इसकी जांच करवाएंगे। जवानों में क्या लापरवाही हुई, इसकी भी हम जांच करवाते हैं फिर कुछ कह सकेंगे।