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MP News: इंदौर में इस वर्ष सामान्य से बेहद कम बारिश होने के चलते अब शहरवासी बड़ी संख्या में धार्मिक आयोजन करने में जुटे हैं। रविवार को शहर के ऐतिहासिक साढ़े 4 हजार साल पुराने इंद्रेश्वर महादेव मंदिर सहित कई शिवालयों में अच्छी वर्षा के लिए रुद्राभिषेक और विशेष अनुष्ठान किए गए। श्री अहिल्योत्सव समिति के इस आयोजन में विशेष रूप से पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी भगवान शिव का जलाभिषेक किया। उसके बाद दोपहर में महाआरती भी की गई।
जुलाई आधा निकला, लेकिन सिर्फ 1 इंच बारिश
इंदौर में जुलाई के 13 दिन बीत जाने के बावजूद सिर्फ 19 मिमी (लगभग पौन इंच) बारिश हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 10 इंच से अधिक वर्षा हो चुकी थी। अब तक कुल मानसूनी बारिश मात्र 6 इंच दर्ज हुई है, जो औसत से 28% कम है। यशवंत सागर में जहां 19 फीट की क्षमता है, वहां सिर्फ 9.5 फीट पानी बचा है। बिलावली में 15 फीट और सिरपुर तालाब आधा खाली हो चुका है।
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मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी अरब सागर में कोई विशेष सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिससे इंदौर सहित पश्चिमी मप्र में बारिश नहीं हो रही। हालांकि, आने वाले 48 घंटों में ट्रफ, वेस्टर्न डिस्टरबेंस और साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम के कारण कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई गई है।
इंद्रेश्वर मंदिर को लेकर यह है कहानी
इंदौर के पंढरीनाथ थाने के पीछे बना करीब साढे 4 हजार साल पुराना इंद्रेश्वर मंदिर इंदौर की पहचान है। इंदौर को भले ही देवी अहिल्या बाई होलकर की नगरी के रूप में जाना जाता हो लेकिन इंदौर का नाम इस शिव मंदिर पर रखा गया है। पहले इसे इंदूर कहा जाता था लेकिन बाद में इसका नाम इंदौर हो गया। इंदेश्वर मंदिर में देवराज इंद्र से लेकर देवी अहिल्या बाई होलकर तक भगवान शिव की आराधना करने आया करती थीं। कहा जाता है कि वृत्रासुर नामक दैत्य से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। सबसे पहले इंद्र के हाथों पूजा होने के कारण ही इस शिवलिंग का नाम इंद्रेश्वर महादेव पड़ा।
शिवलिंग का जलाभिषेक करने से होती है अच्छी बारिश
इंद्रेश्वर महादेव धाम में देवी अहिल्या बाई होलकर भगवान शिव की नियमित आराधना करने आया करती थी। कहते हैं इसी शिवधाम में उन्हें राजमाता बनने और ख्याति प्राप्त करने का आशीष मिला था। देवी अहिल्या भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं। पति और ससुर की मृत्यु के बाद जब उन्हें सत्ता मिली तो उन्होंने राजगादी भगवान शिव को समर्पित कर दी और खुद एक सेविका की भांति मालवा राज्य की देखरेख की।
इंद्रेश्वर महादेव की कृपा से ही सालों से इंदौर में कभी अकाल नहीं पड़ा। कहा जाता है कि अकाल की स्थिति होने पर इंद्रेश्वर महादेव का जल से अभिषेक किया जाता है एवं के गर्भ गृह को जल से भर दिया जाता है। ऐसा करने से भगवान इंद्र को संकेत मिलता है और इंदौर में वर्षा होती है।
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मंदिर से जुड़े हैं चमत्कार के कई किस्से
इस शिवलिंग से चमत्कार के कई किस्से जुड़े हैं। कहा जाता है कि यदि कोई प्राकृतिक जल स्रोत सूख जाए तो उसमें इंद्रेश्वर महादेव के अभिषेक का जल अर्पित कर देने से वह जल स्रोत पुनर्जीवित हो जाता है। यही वजह है कि इंदौर शहर में लोग अपने ट्यूबवेल में उत्खनन के समय इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक किया हुआ जल डालते हैं।
ये भी कहा जाता है कि इंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करने से व्यक्ति को कभी भी सफेद दाग की बीमारी नहीं होती। यदि कोई इस रोग से पीड़ित है तो इंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करने से उसे इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।
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