इंदौर के राऊ एसडीएम ने एक बार फिर अपने आदेश से कोर्ट की सीमाएं लांघ दी। इससे नाराज हाईकोर्ट इंदौर ने उनका न केवल आदेश खारिज किया, बल्कि उन पर पांच हजार का हर्जाना भी लगा दिया। यह कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के लिए लगाया गया।
इसलिए लगाया हर्जाना
एसडीएम गोपाल वर्मा ने एक मां के आवेदन पर बच्चे के लिए सर्च वारंट जारी कर दिया, जो उसके पिता के पास था। राजस्थान में पिता निवास करता है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। वहीं दस वर्षीय बच्चे की मां इंदौर की है। मां के आवेदन पर एसडीएम वर्मा ने यह सर्च वारंट जारी कर दिया। इसके खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
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पिता ने एसडीएम आदेश के खिलाफ तर्क दिए
पिता ने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न केस रखे और बताया कि बच्चा उसके साथ कानूनी तौर से रह रहा है और एसडीएम द्वारा अपने दायरे से बाहर आकर यह आदेश जारी किया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने याचिका स्वीकार करते हुए एसडीएम के आदेश को खारिज किया और पांच हजार का अर्थदंड रोपित किया।
इसके पहले किराएदारी मामले में किया था
इसके पहले भी एसडीएम वर्मा कोर्ट के आदेश के परे जाकर काम कर चुके हैं। अप्रैल माह में ही उन्होंने मकान मालिक और किराएदारी विवाद में कोर्ट के स्टे के बाद भी आदेश जारी कर दिया था। इसमें किराएदार को बेदखल करने पर कोर्ट ने स्टे आर्डर दिया था और 6 माह तक का समय दिया था। लेकिन इसी बीच एसडीएम राऊ वर्मा ने बेदखली आदेश भी जारी किया और साथ ही तहसीलदार भेजकर उन्हें बाहर भी कर दिया, जबकि कोर्ट की निषेधाज्ञा लागू थी।
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