/sootr/media/media_files/UBmdH3ywi42uczPzO0yr.jpg)
इंदौर में भूमाफियाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित स्कीम 171 अब आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) से मुक्त होने वाली है। यह प्रक्रिया 30 साल बाद हो रही है। इससे इस स्कीम के दायरे में चल रही 13 सोसायटी के छह हजार से ज्यादा प्लाटधारकों को राहत मिलेगी। वह यहां पर खुद का घर बना सकेंगे।
क्या करने जा रहा है आईडीए
आईडीए ने इस स्कीम के दायरे में आने वाली सभी सोसायटी व अन्य निजी सर्वे की जानकारी सोसायटी और जिला प्रशासन से ले ली है। इसका परीक्षण करने के बाद अब यह सूची का अखबारों में प्रकाशन होगा। इसमें होगा कि किसे कितनी राशि आईडीए में 60 दिवस में भरनी है। यह पूरी राशि जमा होने के बाद आईडीए स्कीम से मुक्त करेगा। आईडीए बोर्ड में पास प्रस्ताव के अनुसार कुल राशि 5.84 करोड़ रुपए है, जो सभी में समानुपातिक रूप से बांटने का काम हो रहा है। यह होते ही इसकी लिस्ट इसी सप्ताह प्रकाशित करने की तैयारी है।
यह सोसासटी आती है स्कीम 171 में
देवी अहिल्या श्रमिक कामगार, न्याय विभाग, इंदौर विकास गृह निर्माण, मजदूर पंचायत, लक्ष्मण गृह निर्माण, सूर्या, मारूती गृह, सन्नी को आपरेटिव, रजत गृह, त्रिशला गृह, संजना गृह, श्रीकृपा गृह और अप्सरा गृह निर्माण सहकारी संस्था।
इस तरह चलती रही लड़ाई
आईडीए ने 1991-92 के करीब यहा पर स्कीम 132 लागू की। यहां पर लोगों के पास खासकर पुष्पविहार सोसायटी में लोगों के पास 1988 से ही रजिस्ट्री थी। इसके 1150 सदस्य थे, लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर स्कीम लागू हुई। इसके बाद अपील-दलील, कोर्ट केस चले। स्कीम हाईकोर्ट के आदेश पर निरस्त हुई, लेकिन साल 2009 में आईडीए ने स्कीम का नाम बदलकर 171 करके फिर लागू कर दिया।
- लगातार स्कीम से मुक्त होने की मांग चलती रही। वहीं इसी दौरान विविध संस्थाओं में घुसे भूमाफिया दीपक मद्दा और उनके लोगों ने जमीन के टुकड़े कर हनी, टनी व अन्य लोगों को बेच मारी।
- कुछ लोगों ने इस जमीन को गिरवी रखकर बैंक लोन भी ले लिया।
- 17 फरवरी 2020 को सरकार ने फैसला लिया कि जिस स्कीम में कोई काम नहीं हुआ, वह आज रात 12 बजे से ही निरस्त की जाती है।
- इसमें 10 फीसदी से कम काम हुआ, वह आईडीए की व्यय राशि भरकर स्कीम से मुक्त हो जाएगी।
- इसके लिए विधानसभा में एक्ट पास हुआ। बाद में शिवराज सरकार ने नियम लागू किए कि राशि भरने के लिए प्रारूप प्रकाशन होगा और दो माह के भीतर यह राशि भरना होगी।
- जिला प्रशासन द्वारा तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह के नेत़त्व में भूमाफिया अभियान चलाकर स्कीम को भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराया, लोगों को रजिस्ट्री के आधार पर कब्जे दिलवाए।
- इसके बाद से ही लोग स्कीम मुक्त होने की राह देख रहे थे।
- कलेक्टर आशीष सिंह के बाद यह मुद्दा फिर उठा तो उन्होंने इसमें पहल करते हुए नियमानुसार स्कीम मुक्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद इसमें सूची बनाने का काम हुआ। इसी दौरान हाईकोर्ट में आईडीए ने शपथपत्र दिया कि हम स्कीम मुक्त कर रहे हैं, बस सूची फाइनल हो जाए।
- अब यह काम हो गया है और बस प्रारूप जारी होना बाकी है।
हम जल्द जारी कर रहे सूची
आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार ने कहा कि सूची पर काम चल रहा है। सोसायटी और प्रशासन से हमे यह मिल चुकी है। इसी सप्ताह इसे जारी कर दिया जाएगा और इसमें भरी जाने वाली राशि का भी विवरण होगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक