इंदौर श्री गुरुसिंघ सभा चुनाव पर रोक के लिए वर्तमान प्रधान और एक बार फिर इसी पद के खंडा पैनल के उम्मीदवार मनजीत सिंह उर्फ रिंकू भाटिया ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी है। यह शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ है। इसमें सीधे चुनाव पर स्टे की मांग की गई है। अभी चुनाव शेड्यूल के हिसाब से 6 अक्टूबर को वोटिंग और 7 अक्टूबर को रिजल्ट है।
इन सभी ने लगाई याचिका
याचिका लगाने वालों में रिंकू के साथ ही उनके खास साथी व कार्यकारिणी मेंबर के उम्मीदवार जगजीत सिंह टूटेजा उर्फ सुग्गा, बलवीर सिंह, चरणबीर सिंह, बलविंदर सिंह, संदीप सिंह शामिल है।
फिर श्री अकाल तख्त को बनाया पार्टी
इन्होंने चुनाव याचिका में एक बार फिर श्री अकाल तख्त को जत्थेदार के माध्यम से पक्षकार बनाया है। इसके साथ ही प्रमुख सचिव मप्र शासन, रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी, असिस्टेंट रजिस्ट्रार, कलेक्टर, श्री गुरुसिंघ सभा इंदौर, हरपाल सिंह उर्फ मोनू भाटिया, प्रीतपाल सिंह उर्फ बंटी भाटिया, मुख्य चुनाव अधिकारी श्री गुरुसिंघ सभा कुल नौ को पक्षकार बनाया गया है।
वही अमृतधारी सिख का उठाएंगे मुद्दा
अभी तक इस चुनाव में अमृतधारी सिख होने का मुद्दा छाया रहा है। सोमवार 30 सितंबर को भी इस लेकर इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी। इसमें हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि मंगलवार यानी एक अक्टूबर को चुनाव अधिकारी मोनू और बंटी भाटिया को बुलाकर दोनों पक्षकारों के पक्ष सुने और आपत्तियों का निराकरण करें।
आपत्ति थी कि यह दोनों अमृतधारी सिख नहीं है, गुटका खाते हैं, रहत मर्यादा का पालन नहीं करते हैं। मांग थी कि गुरमुखी टेस्ट करें क्योंकि इन्हें पंजाबी भी लिखना -पढ़ना नहीं आती है। इसके लिए मंगलवार को चुनाव अधिकारी हरप्रीत सिंह सूदन (बक्शी) ने पोथी और पंच ज्ञानी को भी बुला लिया था ताकि गुरमुखी टेस्ट हो और डेंटिस्ट को भी ओरल मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया था। लेकिन इसमें मोनू ने लिखित जवाब दिया और कहा कि वह अमृतधारी है, टेस्ट नहीं देंगे।
चुनाव अधिकारी ने हंगामे के बाद श्री अकाल तख्त को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा। इसके बाद गुरुवार दोपहर में लिखित में फैसला आया कि हरपाल सिंह भाटिया यानी मोनू के खिलाफ सभी आपत्ति निरस्त की जाती है। अब इस फैसले के खिलाफ यह सभी फिर हाईकोर्ट पहुंचे हैं और मांग है कि अमृतधारी सिख होने का टेस्ट ही नहीं हुआ, इसलिए चुनाव पर रोक लगाई जाए।
सिख समाज की सत्ता लड़ाई में हो चुकी फजीहत
चुनाव 12 साल बाद हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी रिंकू-मोनू की सत्ता लड़ाई नहीं थम रही है। रिंकू तो 12 साल से प्रधान पद पर है और उनकी मंशा है कि चुनाव नहीं हो और यदि हो तो मोनू अमृतधारी सिख नहीं होने से बाहर हो। इससे वह इकलौते उम्मीदवार होने से निर्विरोध प्रधान पद पर फिर से आसीन हो जाएं।
उधर, मोनू भाटिया का बाहर से सपोर्ट कर रहे ब़ॉबी छाबड़ा इस पूरे मामले में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि वह सामने नहीं आ रहे हैं ताकि समाज में कोई बुराई नहीं हो। मंगलवार को टेस्ट के दिन गुरुद्वारे में पुलिस को भी बुलाना पड़ा। बार-बार हाईकोर्ट में श्री अकाल तख्त और श्री गुरुसिंघ सभा इंदौर को पक्षकार बनाया जा रहा है। इसके चलते सिख समाज की जमकर फजीहत हो रही है।
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