सिख समाज को अब और कितनी बेअदबी देखनी है? दो गुटों (रिंकू और मोनू) के सत्ता संघर्ष में हालत यह हो गई कि श्री अकाल तख्त के खिलाफ ही दो-दो बार कोर्ट केस हो गया, गुरुद्वारे में पुलिस आ गई, हंगामा अलग चल रहा है। इससे समाज में भारी नाराजगी है। खंडा पैनल के जगजीत सिंह टूटेजा सुग्गा ने कुछ महीने पहले भी मतदाता सूची को लेकर हाईकोर्ट में केस लगाया था और श्री अकाल तख्त को पार्टी बना लिया था, जिस पर उन्हें नोटिस देकर तलब कर जवाब लिया गया था। अब एक फिर सुग्गा और खुद श्री गुरुसिंघ सभा के प्रधान रिंकू उर्फ मनजीत सिंह भाटिया ने एक बार फिर श्री अकाल तख्त को पार्टी बनाया है। उधर मोनू ने सभी तरह के टेस्ट देने से मना करते हुए दावा किया है कि वह अमृतधारी सिख है।
इन्हें केस में बनाया पार्टी, जो है बेअदबी
चुनाव में मोनू उर्फ हरपाल सिंह भाटिया (खालसा-फतेह पैनल से प्रधान पद के उम्मीदवार) और बंटी यानी प्रीतपाल सिंह भाटिया सचिव पद के दावेदार की अमृतधारी सिख है या नहीं इसकी पहचान होनी थी? इसके लिए रिंकू भाटिया गुट की ओर से आपत्ति लगी तो वहीं मोनू गुट से भी आपत्तियां लगी। इसपर चुनाव अधिकारी हरप्रीत सिंह सूदन (बक्शी) ने दोनों से आपत्तियों के जवाब लेकर मामला खत्म कर दिया। इसके बाद रिंकू और सुग्गा दोनों हाईकोर्ट चले गए। इसमें उन्होंने मप्र शासन, रजिस्ट्रार के साथ ही जत्थेदार, श्री अकाल तख्त साहेब, श्री हरमंदिर साहेब जी अमृतसर को भी चौथे नंबर पर पक्षकार बनाया है, साथ ही श्री गुरुसिंघ सभा को भी पार्टी बनाया है। इसे समाज में गलत तरीके से देखा जा रहा है।
फिर आई गुरुदवारे में पुलिस
सिख समाज में गुरुघर में पुलिस का आना भी बड़ी बेअदबी के रूप में देखा जाता है। दोनों गुटों के सत्ता संघर्ष में यह हालत हो गई कि पुलिस को आना पड़ा। मोनू भाटिया और उनके समर्थकों ने चुनाव अधिकारी के सामने धरना, प्रदर्शन सब कुछ कर डाला, लेकिन टेस्ट देने के लिए तैयार नहीं हुए। मप्र में पहली बार गुरुमुखी टेस्ट होना था, उन्होंने लिखित जवाब दिया, जो नहीं लिया गया तो हंगामा हो गया। मामला बिगड़ता देख पुलिस आ गई। हालांकि इतनी उन्होंने लाज रखी कि सिर ढंककर गुरुघर में प्रवेश किया था, लेकिन समाज में काफी नाराजगी है।
तंबाकू खाने का मेडिकल टेस्ट से अमृतधारी सिख का फैसला
देश में संभवत: यह पहली बार होता कि कोई सिख अमृतधारी है या नहीं, रहत मर्यादा का पालन करते हुए गुटखा, तंबाकू खाता है या नहीं, इसका पता मेडिकल टेस्ट से होना था। इसके लिए चुनाव अधिकार ने डेंटिस्ट को भी बुला लिया था। यह ओरल टेस्ट करके बता देते कि तंबाकू, गुटखा सामने वाला खाता है या नहीं। मोनू भाटिया ने यह टेस्ट देने से मना कर दिया कि हाईकोर्ट ने यह टेस्ट देने को कोई आदेश नहीं दिया, लिखित जवाब दे रहे हैं, वही मान्य है और मैं अमृतधारी हूं यह श्री अकाल तख्त से लिखा हुआ है मेरे पास। उन्होंने कहा यदि यह टेस्ट होता यह देश में पहली घटना होती जब सिख समाज में यह टेस्ट होता। गुरुमुखी टेस्ट की यह दूसरी घटना होती दिल्ली में एक बार हो चुका है। लेकिन मोनू ने टेस्ट दिया नहीं और बंटी भाटिया ने बताया कि बेटी की तबीयत खराब है इसलिए वह भी नहीं गए।
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