इंदौर वन विभाग का मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जवाब, पौधे नर्सरी में हैं, कीमत देकर ले जाओ

सीएम मोहन यादव से भरे मंच से वन विभाग की शिकायत करने के बाद अब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को विभाग ने प्रेस नोट जारी कर जवाब दिया। प्रेस नोट में विभाग ने कहा कीमत देकर पौधे ले जाइए।

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Sanjay Gupta
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मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 12 जुलाई को रेवती रेंज पर मां की बगिया कार्यक्रम के दौरान 51 हजार पौधे लगवाए। इस मौके पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के एक दिन पहले, मंत्री विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में मंच से ही वन विभाग की शिकायत की थी।

मंत्री ने कहा था कि विभाग सहयोग नहीं कर रहा है। अब उसी वन विभाग ने 12 जुलाई की रात जनसंपर्क के माध्यम से एक प्रेस नोट जारी कर, अप्रत्यक्ष रूप से मंत्री को जवाब दे दिया है।

मंत्री विजयवर्गीय की क्या थी शिकायत?

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 11 जुलाई को सीएम की उपस्थिति में मंच से कहा था कि सभी विभाग पौधे लगा रहे हैं, लेकिन जितना सहयोग वन विभाग से मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। माननीय मुख्यमंत्री जी, आप विदेश यात्रा पर जा रहे हैं, तो कृपया वन विभाग को निर्देश देकर जाएं।

शिकायत के पीछे की वजह क्या थी?

मंत्री का उद्देश्य इंदौर को हराभरा बनाना है, जिसके तहत उन्होंने हर साल 51 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है। बीते वर्ष सभी विभागों की सक्रियता से यह लक्ष्य पूरा हुआ था, और 12 जुलाई 2024 को रेवती रेंज पर एक साथ 12.40 लाख पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था। इस बार पौधों की कमी के कारण केवल 51 हजार पौधे ही लगाए जा सके। मंत्री इस बार लाखों पौधे वन विभाग से चाहते थे, जो उपलब्ध नहीं हो सके।

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वन विभाग ने क्या जवाब दिया?

12 जुलाई की रात वन विभाग द्वारा प्रेस नोट जारी किया गया। इसमें बताया गया कि वर्ष 2024-25 के लिए विभाग ने 6 लाख 84 हजार 900 पौधों का लक्ष्य तय किया है, जिनमें से अब तक 4 लाख 13 हजार 600 पौधे रोपे जा चुके हैं।

प्रेस नोट में यह भी कहा गया कि पौधे लगाने के इच्छुक लोगों को शासकीय दरों पर उचित गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग के पास पर्याप्त संख्या में पौधे उपलब्ध हैं।

क्या कहा विभाग ने?

वन विभाग ने साफ शब्दों में कहा कि जो भी व्यक्ति, संस्था, विभाग या एनजीओ पौधे लगाना चाहते हैं, वे शासकीय दर पर पौधे विभाग से प्राप्त कर सकते हैं। 

इंदौर की इन नर्सरियों पर पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं

  • डेमो रोपणी, खंडवा रोड
  • रेसीडेंसी रोपणी
  • नवरतनबाग रोपणी
  • भैरूघाट
  • बड़गोंदा
  • किशनपुरा

ऐसे समझें पूरी खबर

  • मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने वन विभाग पर पौधारोपण में सहयोग न करने की शिकायत की।

  • उन्होंने सीएम की मौजूदगी में कहा कि विभाग समय पर पौधे उपलब्ध नहीं करा रहा।

  • वन विभाग ने उसी दिन प्रेस नोट जारी कर जवाब दिया—“पौधे नर्सरी में हैं, कीमत देकर ले जाओ।”

  • विभाग ने बताया कि 4 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं, स्टॉक उपलब्ध है।

  • कांग्रेस नेताओं ने कहा, अब मंत्री भी बेबस हैं, अफसरशाही हावी हो चुकी है।

वन विभाग अब मुख्यमंत्री के पास

पूर्व में यह विभाग मंत्री नागर सिंह चौहान के पास था, बाद में यह कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत को सौंपा गया। उनकी चुनावी हार के बाद यह विभाग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास आ गया। अब इस विभाग को पाने के लिए मंत्री विजय शाह, नागर सिंह सहित कई दावेदार सक्रिय हैं।

यह भी पढे़ं...मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को रेवती रेंज के लिए 51 हजार पौधे ही मिले, कांग्रेस ने उन्हें शोले के ठाकुर कहा

कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा?

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा अब तो मंत्री भी बेबस हैं! वन विभाग न मंत्री की सुनता है, न मुख्यमंत्री की। मंत्री विजयवर्गीय खुद मंच से कह रहे हैं कि वन विभाग समय पर पौधे तक नहीं देता।

मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद वन विभाग ने आदिवासियों के घरों पर कार्रवाई की। सवाल यह है कि क्या प्रदेश में सरकार चल रही है या अफसरशाही?

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने बयान में कहा कि कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की पीड़ा दुखद है। पवित्र उद्देश्य के लिए भी राजनीतिक ओछापन निंदनीय है।

शहर हित में हम शोले के ठाकुर की आवाज के साथ हैं। यह राजनीतिक प्रतिशोध नहीं, घटिया सोच का प्रतीक है। भ्रष्ट अफसर अपनी हद में रहें।

शोले के ठाकुर वाला बयान क्या था?

यह डायलॉग खुद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का था। जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे और विजयवर्गीय नगरीय प्रशासन मंत्री थे, तब एक आयोजन में उन्होंने कहा था कि मेरे हाथ शोले के ठाकुर की तरह बंधे हुए हैं, ये हाथ खोल दीजिए। 

तब इस बयान को सीएम और मंत्री विजयवर्गीय के बीच तनाव के रूप में देखा गया था। इसके बाद ही विजयवर्गीय केंद्र की राजनीति में चले गए थे।

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