INDORE. दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ.विकास दिव्यकीर्ति ( Indore Vikas Divyakirti ) की नजर में MPPSC यानी मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन 'लड्डू' है। इस लड्डू को कोई भी उठाकर खा लेता है। जी हां, सही पढ़ा आपने।
विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि UPPSC यानी संघ लोक सेवा आयोग के मुकाबले स्टेट सर्विस के एग्जाम आसान होते हैं। इसमें भी दूसरे राज्यों के स्टेट सर्विस एग्जाम के सामने MPPSC को क्लीयर करना कहीं ज्यादा आसान है।
दरअसल, विकास दिव्यकीर्ति ने पिछले दिनों इंदौर में अपना इंस्टीट्यूट खोला है। वे यहां बच्चों की क्लास लेने पहुंचे थे। इसी क्लास में बच्चों ने उनसे कई सवाल किए। एक स्टूडेंट ने जब उनसे MPPSC से जुड़ा सवाल पूछा तो दिव्यकीर्ति ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
बस लड्डू उठाकर खा लेना है...
स्टूडेंट्स से खचाखच भरी क्लास में दिव्यकीर्ति ने इंदौर को खूबसूरत शहर बताया। यहां के खान-पान और बोलचाल की तारीफ की। स्टूडेंट के सवाल पर उन्होंने कहा, 'MPPSC (एमपी पीएससी) तो कोई एग्जाम ही नहीं है, वो तो बहुत आसान होता है। लड्डू भरे हुए हैं, लड्डू उठाकर खा लेना है। उसी को MPPSC कहते हैं। एग्जाम तो UPPSC होता है, MPPSC तो बहुत आसान है। विश्वास कीजिए मेरी बात पर।'
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MPPSC स्ट्रगल क्यों?
उन्होंने अपनी बात को दुरुस्त करते हुए आगे कहा कि अगर MPPSC में स्ट्रगल है तो इसका सिर्फ इतना मतलब है कि आप सही डायरेक्शन में, सही रणनीति के साथ मेहनत नहीं कर पा रहे हैं, वरना स्टेट्स के एग्जाम सेंट्रल से आसान होते हैं। विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, एग्जाम को समझने में मेरा ठीक-ठाक दखल होता है, इसलिए मैं बहुत सोच- समझकर यह बात कह रहा हूं।
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खतरनाक मूड में लग रहा है आयोग
विकास दिव्यकीर्ति ने स्टूडेंट्स से बातचीत में MPPSC पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, 'आयोग (MPPSC) खतरनाक मूड में लग रहा है। एक का इंटरव्यू चल रहा है। एक का मेंस अभी हुआ ही है और तीसरे का प्रिलिम्स (prelims) चल रहा है। कुल मिलाकर MPPSC प्रायश्चित वाले मूड में चल रहा है। अकर्मों की भरपाई की जा रही है। मतलब पिछले कई साल की परीक्षाओं की भरपाई की जा रही है। बैकलॉग खत्म किए जा रहे हैं।'
बच्चों को सुनाया दोस्त का किस्सा
अब पूरा मामला समझाते हैं। क्या है कि डॉ.विकास दिव्यकीर्ति की अगुआई वाले दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट ने इंदौर में ब्रांच खोली है। पहले बैच की इंट्रोडक्टिली क्लास लेने के लिए दिव्यकीर्ति इंदौर पहुंचे थे। क्लास में उन्होंने इंदौर की तारीफ की। अपने एक दोस्त का किस्सा बताया, जो कभी उनके साथ रूम शेयर करते थे और आज कर्नाटक कैडर में आईपीएस हैं। इसी के साथ उन्होंने आईपीएस मनोज शर्मा के बारे में भी बताया। आईपीएस मनोज शर्मा मूल रूप से मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले हैं। अभी मुंबई में पदस्थ हैं।
पोहा खाने से कर दिया था इनकार
विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, जब मैं 1998 दिल्ली में आईएएस की पढ़ाई कर रहा था, तब तराना (उज्जैन) के आनंद सोमानी उनके साथ पढ़ते थे। एक बार आनंद ने उन्हें नमकीन और मीठा पोहा बनाकर दिया था, जिसे विकास दिव्यकीर्ति ने खाने से मना कर दिया। बाद में जब मालवा के विशेष व्यंजन माने जाने वाले इस पोहे को उन्होंने खाया तो वे इसके मुरीद हो गए। आपको बता दें कि आनंद सोमानी 1998 बैच के टॉपर हैं। इन दिनों तमिलनाडु में एडीजी हैं।
हर चौथी दुकान खाने की, आगे अस्पताल
बच्चों से बातचीत में विकास दिव्यकीर्ति ने इंदौर के खान-पान और रहन-सहन पर भी बात की। बोले, इंदौर में मैंने देखा कि यहां हर चौथी दुकान खाने की है। उसके आगे अस्पताल देखने को मिलते हैं। हर 10 भवन के बाद मंदिर है। खूबसूरत शहर है इंदौर। महानगर होते हुए भी इसका कस्बाई चरित्र बचा हुआ है। लोग अजबनी नहीं हुए हैं, जो बड़े शहरों में होता है। दिव्यकीर्ति ने हओ, अपन और भिया शब्द का भी जिक्र किया।