आए दिन बहन-बेटियों से छेड़छाड़ के मामले सामने आते रहते हैं। मनचलों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है लेकिन कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि जांच में छेड़छाड़ के आरोप झूठे पाए गए हैं। यह पूरी घटना एक निर्दोष आदमी की छवि और पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती है। दरअसल, हम इस बारे में इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें एक लड़की ने छेड़छाड़ के साथ ही एक युवक पर अपहरण का आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस लड़की से छेड़छाड़ के मामले में युवक को पकड़कर ले गई। इस मामले में नया मोड़ तब आया जब युवक ने पुलिस से बार-बार यह कहने की कोशिश की कि वह लड़की को नहीं जानता। तो चलिए आपको बताते हैं कि यह मामला है क्या?
क्या है मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का है। जिले के भंवरकुआं में 6 सितंबर को बीबीए की छात्रा से छेड़छाड़ और अपहरण की कोशिश का मामला सामने आया था। बदमाशों पर लड़की के दोस्त के साथ मारपीट करने का भी आरोप था। लड़की के दोस्त ने अपने दोस्तों को बुला लिया और बदमाश भाग गए। हालांकि, युवकों ने उनकी कार की फोटो खींच ली थी। इसी आधार पर बदमाशों की पहचान हुई।
भोपाल से हुए थे गिरफ्तार
इस घटना के बाद कुछ अपराधी गुना और कुछ भोपाल भाग गए थे। इंदौर पुलिस ने 9 सितंबर को भोपाल से कुछ अपराधियों को गिरफ्तार किया था। इनमें मंजीत रघुवंशी, संदीप सोलंकी, रवि नरवरिया, संजय रघुवंशी, सौरभ रघुवंशी, शुभम शर्मा को आरोपी बनाया गया, ये सभी गुना के रहने वाले हैं। गिरफ्तारी के बाद इंदौर पुलिस ने इन सभी का जुलूस भी निकाला। इसके बाद इन्हें जेल भेज दिया गया। इनमें एक संजय रघुवंशी नाम का लड़का भी था।
युवती ने अदालत में क्या कहा?
पुलिस ने इस मामले में भोपाल से संजय रघुवंशी नामक एक युवक को भी गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद इंदौर में पुलिस ने उसका भी जुलूस निकाला था, लेकिन युवती ने अदालत में शपथ पत्र देकर स्पष्ट किया कि आरोपियों में से एक युवक उस घटना में शामिल नहीं था। युवती के इस बयान से पहले, वह युवक 22 दिन जेल में बिताने के बाद रिहा हो पाया। आरोपी युवक का कहना है कि वह युवती को जानता तक नहीं और वह घटना के दौरान उस स्थान पर मौजूद नहीं था।
पीड़ित ने क्या बताया?
संजय के अनुसार, घटना के दिन वह इंदौर में नहीं था और उसी दिन वह अपने छोटे भाई को पेपर दिलाने भोपाल गया था। वहीं, भोपाल में संजय अपने दोस्तों के साथ था, जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। संजय ने मीडिया से बताया कि उसने पुलिस को बार-बार समझाने की कोशिश की कि वह निर्दोष है। उसने यह भी सुझाव दिया कि उसकी मोबाइल लोकेशन और CCTV फुटेज से सत्यापन किया जा सकता है, लेकिन पुलिस ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। संजय ने कहा कि उसे उसके कथित अपराध के लिए शर्मिंदा किया गया और जेल में भेज दिया गया।
न्याय की अपील
संजय का कहना है कि 22 दिन जेल में रहना उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक था। उन्होंने हर दिन यही सवाल किया कि वह कैसे इस मामले में फंसे, जबकि उनकी निर्दोषता स्पष्ट थी। संजय ने आरोप लगाया कि पुलिस की ओर से उनकी निर्दोषता की जांच नहीं की गई और उन्हें अपराधी बना दिया गया। कोर्ट में युवती के शपथ पत्र के बाद संजय को जमानत मिली और वह जेल से रिहा हुआ। उनका कहना है कि अब वह न्याय के लिए अपील करेंगे और अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
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