Jabalpur Lokayukta action
जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने छिंदवाड़ा में शिक्षा विभाग के सहायक ग्रेड-3 क्लर्क सतीश तिवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी क्लर्क ने शिक्षक बलिराम भारती से जीपीएफ (जनरल प्रोविडेंट फंड) आहरण के एवज में 30 हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी। मामले में शिकायत के बाद जबलपुर लोकायुक्त ने कार्रवाई की है।
जीपीएफ निकालने के लिए मांगी गई थी रिश्वत
छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकासखंड में प्राथमिक शाला बम्हनी के शिक्षक बलिराम भारती ने अपने पार्ट-फाइनल जीपीएफ आहरण (withdrawal) के लिए आवेदन किया था। शिक्षक को 8 लाख 85 हजार रुपए निकालने थे। इस प्रक्रिया को पूरा कराने के बदले शिक्षा विभाग के बाबू सतीश तिवारी ने बलिराम से 30 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। काफी बातचीत के बाद रिश्वत की रकम 28 हजार रुपए तय हुई। आरोपी ने पहली किश्त के रूप में 10 हजार रुपए की मांग की। आरोपी क्लर्क ने रिश्वत की रकम देने शिक्षक को विकासखंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में बुलाया था, लेकिन जैसे ही बलिराम भारती ने क्लर्क को 10 हजार रूपए दिए तो जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
टीचर की शिकायत के बाद कार्रवाई
लोकायुक्त पुलिस को इस रिश्वतखोरी की सूचना मिलने के बाद बलिराम भारती की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की योजना बनाई गई। 27 सितंबर को उप पुलिस अधीक्षक दिलीप झरबड़े के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, जिसमें निरीक्षक कमल सिंह उईके, निरीक्षक नरेश बेहरा सहित चार अन्य सदस्यों शामिल किया गया। आरोपी की बताई जगह पर पहुंचकर आवेदक बलिराम भारती ने जब 10 हजार रुपए की पहली किस्त आरोपी सतीश तिवारी को दी। उसी समय लोकायुक्त की टीम ने कलर्क गिरफ्तार कर लिया।
शिक्षा विभाग में फैला भ्रष्टाचार
रिश्वतखोर कलर्क की गिरफ्तारी ने छिंदवाड़ा जिले के शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें खोली हैं। इस मामले ने सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बीते दिनों लगातार लोकायुक्त के द्वारा की जा रही कार्रवाई के बाद भी रिश्वतखोर अधिकारी और कर्मचारी सीख लेते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
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