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Photograph: (THESOOTR)
विधानसभा में बीजेपी विधायक अजय बिश्नोई के सवाल खड़ा करने के बाद जबलपुर में शुरू हुई धान घोटाले की जांच में एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं। सामने आए ताजा मामले में सरकारी रिकॉर्ड में कार और बाइक से धान का परिवहन करते हुए MPSCSC के कर्मचारी और मिलर्स ने मिलकर 43 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा किया है।
2.45 लाख क्विंटल धान फर्जी वाहनों से हुआ ‘पेपर ट्रांसपोर्ट’
जबलपुर जिले में उपार्जित धान की मिलिंग के नाम पर बड़ा धान घोटाला सामने आया है, जिसमें करोड़ों रुपये के सरकारी धान को राइस मिलर्स ने कागजों पर ही उठाव और ट्रांसपोर्ट दिखाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। जांच में पाया गया कि कई ट्रक नंबर जिनसे धान के परिवहन का दावा किया गया था, वह असल में कार, बाइक और अन्य श्रेणी के निजी वाहन हैं।
जांच प्रतिवेदन के अनुसार 56.44 करोड़ रुपए कीमत की कुल 2,45,400 क्विंटल धान का फर्जी ट्रांसपोर्ट दिखाया गया। हालांकि जांच में क्लर्कियल गलतियां अलग करने के बाद इस फर्जीवाड़े की कुल रकम 43.02 करोड़ रुपये है।
43 मिलर्स दोषी, 16 के खिलाफ FIR, 28 पर कार्रवाई
शासन के निर्देश पर गठित जांच दल ने जिले की सभी 46 राइस मिलर्स की जांच की। इनमें से 43 मिलर्स को दोषी पाया गया। परीक्षण दल की रिपोर्ट के अनुसार 43.02 करोड़ रुपए कीमत की 1,87,026 क्विंटल धान खुर्दबुर्द की गई, जिसमें से 16 मिलर्स ने अकेले 33.81 करोड़ रुपये के धान का फर्जीवाड़ा किया।
इन 16 मिलर्स सहित MPSCSC के 11 कर्मचारियों और सहकारी समितियों के अन्य संदिग्धों सहित कुल 28 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा अन्य मिलर्स पर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
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इन आरोपियों पर दर्ज हुई FIR
इस घोटाले में दर्ज एफआईआर में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं -
अनिल सिंगला (राधेकृष्णा एग्रो, सिहोरा), राकेश शिवहरे (मां नर्मदा एग्रो फूड, पनागर), अंकित जैन (त्रिगुण एग्रो फूड, सिहोरा), राजेश हेमराजानी (महालक्ष्मी इंडस्ट्रीज, पनागर), कमल कुमार जैन (जैनम फूड्स, शहपुरा), आशीष हसवानी (हंसवानी एंड संस, परियट), प्रांजल केशरवानी (मां नर्मदा एग्रो इंडस्ट्रीज, उमरिया डुगरिया), निधि पटेल (मां भगवती इंडस्ट्रीज, सिहोरा), आनंद जैन (सुविधि राइस मिल, सिहोरा), पारस जैन (चिन्मय सागर, शहपुरा), रीता शिवहरे (छवि इंडस्ट्री, अधारताल), मनोज सहजवानी (जय भगवान जी प्रोडक्ट्स, सिहोरा), विनय कुमार (शिवाय राइस एंड जनरल मिल्स, सिहोरा), जितेन्द्र जग्गी (शाहजी फूड्स, रिछाई), नीरज असाटी (वैष्णवी ट्रेडिंग कंपनी एंड राइस मिल, मझौली), सोनम साहू (आयुषी एग्रो इंडस्ट्रीज, पहाड़ीखेड़ा), दिलीप किरार (प्रभारी जिला प्रबंधक, MPSCSC), सुनील प्रजापति (ऑपरेटर, कलेक्ट्रेट), राम किशोर बैगा (प्रभारी इश्यू सेंटर मण्डी), रामेन्द्र शर्मा (प्रभारी इश्यू सेंटर रिछाई व शहपुरा), सुमित कोरी (कंप्यूटर ऑपरेटर, रिछाई), गोविंद अवस्थी (कंप्यूटर ऑपरेटर, शहपुरा), धर्मेन्द्र सिंह चंद्रौल (प्रभारी, सिहोरा मण्डी), सौरभ शुक्ला (कंप्यूटर ऑपरेटर, सिहोरा), बी. एस. मेहर (प्रभारी, पाटन), विक्रम सिंह यादव (कंप्यूटर ऑपरेटर, पाटन) पर मामला दर्ज किया गया है इसके साथ ही कुछ अन्य कर्मचारीयों के नाम भी जांच के बाद सामने आएंगे।
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कार, पिकअप और बाइक को कागजों में बनाया ट्रक
राइस मिलर्स ने धान उठाने के लिए फर्जी ट्रक नंबर दर्ज कराए। जांच में पाया गया कि 23 वाहन ट्रक के बजाय कार, पिकअप या बाइक के नंबर थे । इनसे 19,490 क्विंटल धान फर्जी रूप से ट्रांसपोर्ट करना दिखाया गया।वहीं 55 ट्रक नंबर फर्जी पाए गए जिनसे 72,720 क्विंटल धान का ट्रांसपोर्ट दिखाया गया। 165 वाहनों में तो लोडिंग की क्षमता से भी ज्यादा धान ले जाने का दावा किया गया जिनसे 1,53,200 क्विंटल धान कागजों में ट्रांसपोर्ट हुई।
इस तरह कुल 1033 फर्जी ट्रिप में 2.45 लाख क्विंटल धान कागजों पर उठा लिया गया। जब इन ट्रकों की जानकारी पोर्टल पर ट्रेस की गई तो कई नंबर असलियत में किसी भी गाड़ी के नहीं पाए गए।
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मिलर्स बोले, MPSCSC के अधिकारियों की गलती
मिलर्स ने अपना बचाव करते हुए कहा कि यह गलती कंप्यूटर ऑपरेटरों की है। लेकिन जांच दल ने यह दावा खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रक नंबर का मास्टर डेटा मिलर खुद पोर्टल पर फीड करता है और इश्यू सेंटर ऑपरेटर केवल वही नंबर चुनता है। इसलिए जिम्मेदारी मिलर की ही बनती है। ऑपरेटरों की भी गलती यह थी कि उन्होंने वाहनों का सत्यापन नहीं किया।
सिर्फ कागजों में उठा वेयरहाउस से चावल
मिलर्स ने जो गेट पास और कांटा पर्चियां जमा कीं, उनमें पार्टी या समान का नाम ही नहीं था। साथ ही गाड़ियों के नंबर भी पोर्टल में दर्ज ट्रक नंबर से मेल नहीं खाते थे। इससे यह भी साफ हुआ कि सोसाइटी और उपार्जन केंद्रों से भी फर्जीवाड़ा किया गया है, और वहां के समिति प्रबंधक, उपार्जन प्रभारी और ऑपरेटर की भूमिका भी जांच के दायरे में आई है।
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पहले भी उजागर हुआ था बड़ा घोटाला
इससे पहले साल 2024 में और मार्च 2025 में भी जबलपुर जिले में फर्जी धान खरीदी का मामला सामने आया था, जिसमें साल 2025 में तो 17 थानों में एफआईआर दर्ज की गई थी और 74 लोगों को आरोपी बनाया गया था। तब भी उपार्जन केंद्रों से फर्जी किसानों के नाम पर धान खरीदी का मामला सामने आया था।
आरोपियों के ऊपर हुई एफआईआर दर्ज
इस पूरे मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 318(4), 336(3), 338, 340(2), 316(2), 316(4), 61(2) बीएनएस और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धाराओं के तहत FIR दर्ज कर ली है। इस मामले कि आगे की जांच में और भी दोषी अधिकारियों साहित मिलर्स के नाम सामने आ सकते हैं।
जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक ने दी क्लीन चिट
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जबलपुर की जिला आपूर्ति और खाद्य नियंत्रक नुजहत बानो ने मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन को एक पत्र जारी करते हुए इस फर्जीवाड़े में शामिल मिलर्स को क्लीन चिट दे दी थी।
नुजहत बानो ने बिना किसी जांच के जारी किए इस लेटर में यह दर्शाया था कि यह लेटर जबलपुर कलेक्टर के आदेश पर जारी किया गया है। अब इस मामले में नुजहत बानो की मिली भगत सामने आने के बाद उनके ऊपर भी जल्द ही विभागीय कार्यवाही होगी।
सरकारी योजना की आड़ में करोड़ों का खेल
यह पूरा घोटाला सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत किसानों से खरीदे गए धान की मिलिंग में किया गया, जहां शासन की ओर से धान खरीद, मिलिंग, परिवहन और चावल वितरण तक का खर्च उठाया जाता है। लेकिन जब पूरे सिस्टम को ही मिलर्स और अफसरों ने मिलकर घेर लिया, तो किसानों का हक और जनता की थाली का चावल, कागजों में ही खत्म कर दिया गया।
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