जबलपुर में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण जिले के कई उपार्जन केंद्रों पर रखी गई सैकड़ों मीट्रिक टन धान गीली हो गई है। इससे किसानों और प्रशासन के सामने एक भारी समस्या खड़ी हो गई थी। ऐसे में जबलपुर जिला प्रशासन ने इस संकट से निपटने के लिए किसानों को राहत देने की दिशा में तुरंत कदम उठाए हैं। प्रशासन के अनुसार, कुल 2,06,000 मीट्रिक टन (MT) धान उपार्जित की गई थी, जिसमें से लगभग 9300 मीट्रिक टन धान बारिश की चपेट में आकर गीली हो गई। हालांकि 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान पूरी तरह से सुरक्षित रूप से भंडारित है। इस स्थिति में प्रशासन ने धान को सुखाने और नुकसान को नियंत्रित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
बारिश से गीली हुई 5200 मीट्रिक टन धान
जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, बारिश के दौरान 23 हजार मीट्रिक टन धान किसानों द्वारा बिक्री के लिए उपार्जन केंद्रों के परिसर में लाकर रखी गई थी। इसमें से लगभग 5200 मीट्रिक टन धान गीली हो गई, जो लगभग 650 किसानों की थी। किसानों की यह धान बारिश के अचानक हुए प्रकोप के कारण प्रभावित हुई। हालांकि, प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि गीली धान को धूप में सुखाने और गुणवत्ता में सुधार करने का कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। गीली हुई धान के सूख जाने के बाद के बाद ही वास्तविक क्षति का आकंलन किया जा सकेगा।
उपार्जन केंद्रों में लापरवाही उजागर
निरीक्षण अधिकारियों का मानना है कि अधिकांश गीली धान को सुखाकर और गुणवत्ता में सुधार कर इसे उपार्जन के मानकों के अनुरूप बनाया जा सकता है। इससे प्रभावित किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा। आपको बता दें की बारिश की संभावना के चलते मौसम विभाग सहित जबलपुर जिला प्रशासन के द्वारा भी जानकारी प्रसारित की गई थी और धान उपार्जन को भी कुछ दिनों के लिए स्थगित भी कर दिया गया था। इसके बाद भी उपार्जन केंद्रों में लापरवाही के चलते खुले में धान पड़ी रही और सैकड़ों मीट्रिक टन धान गीली हो गई थी।
उपार्जन समितियों पर होगी कार्रवाई
ज्वाइंट कलेक्टर पुष्पेंद्र अहाके बताया कि जिन उपार्जन केंद्रों पर लापरवाही या प्रबंधन की कमी के कारण धान खराब हुई है, उन केंद्रों की जिम्मेदार समितियों और अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों का पालन करें और हर संभव प्रयास करें कि किसानों का नुकसान न हो। उपार्जन समितियों को इस बात के लिए भी सतर्क किया गया है कि भविष्य में बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान धान की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रबंधन प्रणाली अपनाई जाए।
किसानों को मिलेगा पूरा भुगतान
एफएक्यू (Fair Average Quality) मानकों पर खरीदी गई धान के लिए किसानों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि इन किसानों को उनकी धान का पूरा भुगतान समय पर किया जाएगा। यदि किसी कारणवश गीली धान को अपग्रेड नहीं किया जा सका और उसकी गुणवत्ता में गिरावट आई, तो इसकी वसूली संबंधित उपार्जन समितियों से की जाएगी। इस फैसला के जरिए किसानों को किसी भी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होगा और उन्हें उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिलेगा। प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि किसानों की उपज को लेकर सरकार की नीतियां पूरी तरह से उनके हित में हैं और उनका सम्मान बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
प्रभावित किसानों के लिए राहत
बारिश से प्रभावित किसानों के लिए प्रशासन ने एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है। गीली धान को सुखाने और उसकी गुणवत्ता को बहाल करने के लिए उपार्जन केंद्रों पर युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। किसानों को यह भरोसा दिया गया है कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा और उनके हितों की रक्षा की जाएगी। इस मामले में जबलपुर कलेक्टर ने कहा है कि प्रशासन किसानों के साथ है और उनकी उपज को नुकसान से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। धान को अपग्रेड करने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो यह सुनिश्चित कर रही हैं कि प्रभावित धान को सुखाकर उपयोगी बनाया जाए।
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