ट्यूबवेल का पानी पी रहे हैं केंद्रीय जेल के कैदी, मामला पहुंचा हाईकोर्ट, अब होगी जांच

जबलपुर में अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार को आरटीआई आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने जेल में कैदियों के लिए सप्लाई किया जा रहे पानी की जानकारी मांगी गई थी।

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Neel Tiwari
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Jabalpur High Court Central Jail prisoners drinking water Case

JABALPUR. आरटीआई के जरिए इस बात का खुलासा हुआ है कि जबलपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों को साफ पानी नहीं मिल रहा है। इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। अब मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार सहित जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया है।

इस मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में हुई जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अपराजिता गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष तथ्य रखें। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार सहित जेल प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए जिला जज को जेल के निरीक्षण करने का भी आदेश दिया है।

कैदियों को नहीं मिल रहा स्वच्छ पानी

दरअसल, जबलपुर में अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार को एक आरटीआई का आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने जबलपुर जेल में कैदियों के लिए सप्लाई किया जा रहे पानी की जानकारी मांगी गई थी। आरटीआई के जवाब के बाद यह बात सामने आई कि कैदियों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है। जिसके बाद यह जनहित याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई।

नगर निगम जेल में सप्लाई करता है ट्यूबवेल का पानी

आरटीआई के जवाब में सेंट्रल जेल जबलपुर के अधीक्षक ने यह जानकारी दी की जेल में निरुद्ध कैदियों के लिए नगर निगम के द्वारा एवं ट्यूबवेल के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था की जाती है। जिसे बैरकों में मटके डिब्बे बाल्टी एवं वॉटर बॉटल (कैंपर) में रखा जाता है। आरटीआई से इस बात का खुलासा हुआ है की जेल में कैदियों को मिल रहा पानी उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना सकता है।

कैदियों को मिलना चाहिए साफ पानी 

जबलपुर हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष यह तथ्य रखे की सेंट्रल जेल के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ही जेल में कैदियों के पीने के लिए जो पानी स्टोर किया जा रहा है वह साफ नहीं है। वहीं मटको, डिब्बों और कंटेनर में स्टोर किया जा रहा पानी आसानी से संक्रमित भी होता है क्योकि अलग-अलग कैदियों के द्वारा इस पानी का इस्तेमाल करने के लिए इसमें बार-बार हाथ भी लगते हैं और इस तरह का दूषित पानी डायरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस-ए जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बना सकता है।

मानव अधिकारों का हो रहा उल्लंघन

अधिवक्ता अपराजिता गुप्ता ने बताया कि जबलपुर सेंट्रल जेल में वर्तमान स्थितियों में जिस तरह का पानी कैदियों को दिया जा रहा है उससे उन्हें जल जनित बीमारियां होने की संभावना के साथ ही उनके स्वास्थ्य को भी खतरा है जो जेल में बंद कैदियों के मानव अधिकार का हनन है। कोर्ट के संज्ञान में यह बात भी लाई गई कि वर्तमान में जेल में जिस तरह से पानी की सप्लाई की जा रही है वह यूनाइटेड नेशंस स्टैंडर्ड मिनिमम रूल्स फॉर द ट्रीटमेंट ऑफ़ प्रिजनर्स के स्टैंडर्ड भी पूरे नहीं कर रहा है। द नेल्सन मंडेला रूल्स के नाम से यह मानक जाना जाता है। जिसमें यह साफ उल्लेख है कि साफ सुथरा पीने का पानी कैदियों के लिए हर वक्त उपलब्ध होना चाहिए ताकि कैदी जब भी चाहे वह पानी पी सके।

Jabalpur Central Jail

जेल में लगाया जाए वॉटर डिस्पेंसर

इस जनहित याचिका में न्यायालय से यह निवेदन किया गया कि क्योंकि जेल में सुरक्षा की दृष्टि से कैदियों को किसी भी प्रकार के बर्तन या पानी एकत्र करने के संसाधन नहीं दिए जाते पर याचिकाकर्ता ने ही कोर्ट के समक्ष फाइबर के वॉटर डिस्पेंसरों की तस्वीरें साझा करते हुए यह निवेदन किया कि इस तरह के वॉटर डिस्पेंसर जेल में लगाए जाने चाहिए। 

जिला जज करेंगे जेल का निरीक्षण

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ ने राज्य सरकार सहित सभी अनावादको को नोटिस जारी करते हुए जेल सुपरिंटेंडेंट को आदेशित किया है की जेल में कैदियों को पीने के लिए दिए जाने वाले पानी का अधिकृत लैबोरेट्री से टेस्ट करवा कर अगली सुनवाई के पहले अदालत के समक्ष पेश करें । इसके साथ यह भी आदेशित किया है कि संबंधित जिला जज जबलपुर जेल का निरीक्षण करेंगे और इसकी रिपोर्ट अदालत में सौंपेंगे। 

जबलपुर जेल के बाद अन्य जेलों की होगी जांच

एक्टिंग चीफ जस्टिस की युगल पीठ में इस मामले की सुनवाई से यह साफ स्पष्ट हो रहा है कि जबलपुर जेल मामले में पानी की जांच रिपोर्ट आने के बाद अन्य जेलों के पानी की जांच कोर्ट के द्वारा करवाई जाएगी। इस जनहित याचिका में फैसला होने के बाद यह मामला केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि देशभर की जेल में बंद कैदियों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

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