बिना हाईकोर्ट की इजाजत के अब रज्जाक पर दर्ज नहीं हो सकेगा नया मामला

हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक की पत्नी ने एक पूर्व कैबिनेट मंत्री पर पति से रंजिश निकालने का आरोप लगाया है। साथ ही जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मामले में रज्जाक की पत्नी की ओर से याचिका दायर की गई है।

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Neel Tiwari
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Jabalpur High Court history sheeter Abdul Razzaq case
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JABALPUR. हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक उर्फ पहलवान की पत्नी ने हाईकोर्ट की शरण ली है, और एक पूर्व कैबिनेट मंत्री पर अपने पति से रंजिश निकालने का आरोप लगाया है। साल 1991 से जिस अब्दुल रज्जाक पर अब तक 42 मामले दर्ज हो चुके हैं। उसके खिलाफ अब कोर्ट के आदेश के बिना कोई मामला दर्ज नहीं हो सकेगा।

पूर्व कैबिनेट मंत्री के इशारों पर हो रही गिरफ्तारी

हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक उर्फ पहलवान की पत्नी सुबीना बेगम ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कि है जिसमें उन्होंने अपने पति को राज्य के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री के साथ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा और दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक इरादों से प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है।

अधिवक्ता मोहम्मद अली ने कोर्ट को बताया है कि साल 2021 से अब्दुल रज्जाक जेल में है और जैसे ही उनकी जमानत के आदेश के तहत उनकी रिहाई का आदेश लागू होता है। इसके तुरंत बाद ही उनकी रिहाई रोकने के लिए एक नया मामला आपराधिक मामला उजागर हो जाता है। जिससे याचिकाकर्ता के पति की रिहाई नहीं हो पाती हैं। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति के ऊपर झूठे आपराधिक मामले दर्ज करने से रोक लगाए जाने की मांग की है जिससे उनके पति जेल से रिहा हो सके।

1991 से अभी तक है 42 अपराधिक प्रकरण दर्ज

हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक को थाना विजयनगर में दर्ज मारपीट और जानलेवा हमला करने के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। आरोपी की तलाश के दौरान गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक के घर पहुंची पुलिस ने एक विदेशी सहित 5 राइफल, 10 कारतूस और 15 चाकू बरामद किए थे। जेल में रहने के दौरान आरोपी के खिलाफ 22 मामले और दर्ज किए गए हैं।

याचिकाकर्ता ने बताया 1991 से अब तक कुल 42 मामले दर्ज किया जा चुके हैं। जिनमें 20 मामलों में न्यायालय के द्वारा उनके पति को बरी (दोष मुक्त) कर दिया गया है। साथ ही 21 मामलों की सुनवाई लंबित है। 1996 के एक मामले में उन्हें 2 साल के लिए कारावास की सजा भी सुनाई जा चुकी है। याचिकाकर्ता ने अपने पति को सभी लंबित अपराधिक मामलों से अलग करने की भी मांग की है। जिसमे पुलिस के द्वारा उनकी गिरफ्तारी की जरूरत है।

कोर्ट की अनुमति के बिना दर्ज नहीं होगा नया केस 

इस याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ में हुई जिसमें उन्होंने राज्य के उप महाधिवक्ता को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। साथ ही इस मामले में अगली सुनवाई तक अब्दुल रज्जाक के खिलाफ यदि कोई नई शिकायत प्राप्त होती है तो उसे न्यायालय की अनुमति के बगैर पंजीकृत नहीं किया जाएगा, इस मामले में अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद 3 जनवरी 2025 को होगी।

दूध की डेरी चलाता था अब्दुल रज्जाक

अब्दुल रज्जाक का सफर डेयरी चलाने से शुरू होकर अपराध की दुनिया का कुख्यात नाम बनने तक का है। 1959 में नरसिंहपुर के रॉकई करेली में जन्मा रज्जाक परिवार सहित जबलपुर आकर बसा और क्राइस्ट चर्च स्कूल से आठवीं तक पढ़ाई के बाद पिता के साथ दूध की डेयरी में काम करने लगा। पहलवानी का शौक रखने वाले रज्जाक ने डेयरी के धंधे से खूब पैसा कमाया और बरेला में 40 एकड़ जमीन खरीदकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की। 1990 में उसने टोल टैक्स के ठेकों में कदम रखा और जल्द ही इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली। लेकिन प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व की लड़ाई के चलते उसने अपराध की राह पकड़ ली।

महबूब अली गैंग के साथ टोल बैरियर के ठेकों को लेकर शुरू हुई रंजिश ने 1996 में पहली हिंसक झड़प सामने आई थी। जब रज्जाक ने 6 फरवरी 1996 में विरोधी मेहबूब अली गैंग पर बस स्टैंड मदनमहल में हमला किया। इसके बाद दोनों गिरोहों के बीच गैंगवार का सिलसिला शुरू हो गया। महबूब गैंग ने भी साल 2000 में हाइकोर्ट के पास रज्जाक पर फायर किया था।

हत्या के मामले में ऐसे बच निकला था रज्जाक

2003 में रज्जाक पर आरोप लगा था कि उसने महबूब के छोटे भाई अक्कू उर्फ अकबर की गोरखपुर क्षेत्र में गोली मारकर हत्या करवा दी। इस हत्याकांड में रज्जाक और उसके गैंग के 19 सदस्य आरोपी बने। हालांकि, रज्जाक ने इस मामले से बचने के लिए चालाकी भरी रणनीति अपनाई। उसने ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर खुद का चालान आरपीएफ के जरिए बिना टिकट यात्रा के मामले में कराया, जिससे वह घटना के वक्त अपनी उपस्थिति दूसरी जगह साबित करने में सफल रहा। इसके अलावा सूत्र बताते हैं कि उसने गवाहों को धमकाकर और प्रभावित कर अदालत में अपनी पकड़ मजबूत की, जिसके चलते वह कोर्ट से दोषमुक्त हो गया। रज्जाक की दहशत इतनी थी कि गवाह पलट जाते थे या शिकायतकर्ता अपनी रिपोर्ट वापस ले लेते थे।

दुबई में रह रहा है रज्जाक का बेटा

रज्जाक की दबंगई के चलते कई लोगों को अपनी जमीनें औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ी। जिससे मिले मुनाफे से जबलपुर, कटनी और नरसिंहपुर से लेकर दुबई तक उसने होटल, खनिज और प्रॉपर्टी के कारोबार में अकूत संपत्ति खड़ी की। जानकारी के अनुसार उसका बेटा पहले से दुबई में शिफ्ट हो चुका है और गिरफ्तारी के पहले खुद रज्जाक भी विदेश में बसने की तैयारी कर रहा था।

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