JABALPUR. क्या किसी एक की इच्छा किसी दूसरे पर जबरन डाल दी जाए वो भी यौन संबंधी मामले में, भले ही वो दंपती का मामला क्यों ना हो, वो भी वो, जिसकी चौखट पर न्याय की गुहार के लिए अर्जी लगाई हो। तो समझिए सबकुछ खत्म हो गया। हालांकि कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता, लेकिन अननैचुरल सेक्स जैसे मामले में किसी की इच्छा के विपरीत फैसले सुनाने पर सवाल जरूर पूछा जा सकता है। महिलाएं अपनी इच्छा के लिए न्याय की मांग किससे करें... आइए समझते हैं किन मुद्दों पर जज साहब ने ऐसा फैसला सुनाया है जो चौतरफा चर्चा का विषय बना हुआ है।
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पति ने अपने खिलाफ FIR को हाईकोर्ट में चुनौती दी
24 अक्टूबर 2023 को एक महिला ने पति के खिलाफ नरसिंहपुर कोतवाली में आईपीसी की धारा 377, 506 के तहत एक और शिकायत कर दी। नरसिंहपुर पुलिस ने जीरो पर केस दर्ज कर मामला जबलपुर कोतवाली भेज दिया। 14 फरवरी 2023 को पति ने इस FIR को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस याचिका पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया ( Justice GS Ahluwalia ) की कोर्ट में गुरुवार (02.05.24 ) को सुनवाई हुई। फैसला शुक्रवार (03.05.24) को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
पति-पत्नी के मामलों में धारा 377 लागू नहीं होती
याचिकाकर्ता पति के वकील साजिदउल्ला ने बताया कि पति- पत्नी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। महिला ने अपने पति पर जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप भी लगाया था। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए FIR निरस्त करने के आदेश दिए हैं कि पति-पत्नी के मामलों में धारा 377 लागू नहीं होती।
जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने सुनाया था फैसला
न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वो जबलपुर हाईकोर्ट में पदस्थ है। आइए जानते हैं उनकी प्रोफाइल के बारे में...
प्रोफ़ाइल
शिक्षा: बी.ए., एल.एल.एम.
एक वकील के रूप में नामांकित: 1988
न्यायालयों में अभ्यास: भारत का सर्वोच्च न्यायालय, मध्य प्रदेश, मुंबई, गुजरात, पंजाब और हरियाणा, छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय
क्या- क्या जिम्मेदारियां निभाईं
उप शासकीय अधिवक्ता
सरकारी वकील
उप महाधिवक्ता
लोकायुक्त/एसपीई के लिए स्थायी वकील
सीआईडी, नागपुर के लिए विशेष लोक अभियोजक
प्रक्टिस की : सिविल, आपराधिक, संवैधानिक और सेवा मामले
जज के रूप में कैरियर
अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त: 2016
स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त: 2018
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