शिक्षक भर्ती के नियमों में होगा बदलाव, सरकार ने हाई लेवल कमेटी बनाई

मध्‍य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि भर्ती नियमों में बदलाव के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है, जो नियमों में संशोधन कर एनसीटीई (NCTE) के मानकों के हिसाब से बदलाव करेगी। अदातल ने इसके लिए सरकार ने दो सप्ताह का समय दिया है।

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Neel Tiwari
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Jabalpur High Court teacher recruitment case hearing
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में गुरुवार, 19 दिसंबर को शिक्षक भर्ती के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं से संबंधित मामले में स्थिति साफ की। सरकार ने कोर्ट को बताया कि भर्ती नियमों में बदलाव के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है, जो नियमों में संशोधन कर एनसीटीई (NCTE) के मानकों के हिसाब से बदलाव करेगी। इसके लिए सरकार ने एक से दो सप्ताह का समय मांगा है।

भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का मामला

हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि 2021 से 2024 के बीच हुई हाई स्कूल शिक्षकों की भर्ती में एनसीटीई के नियमों का उल्लंघन हुआ। 448 उम्मीदवार, जिनके स्नातकोत्तर अंकों में 45% से अधिक लेकिन 50% से कम हैं और जिनकी मार्कशीट में "द्वितीय श्रेणी" अंकित है, उन्हें नियुक्ति दी गई। वहीं, समान अंकों के बावजूद "तृतीय श्रेणी" अंकित उम्मीदवारों को प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

पिछली सुनवाई में जारी हुए थे संशोधन के आदेश

16 दिसंबर 2024 को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने शासन को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि भर्ती नियमों में तत्काल संशोधन कर 18 दिसंबर तक कोर्ट को सूचित किया जाए। इसके साथ ही एससी, एसटी, और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण अधिनियम की धारा 4-A के अनुसार योग्यता में छूट का प्रावधान किया जाए। 

गुरुवार 19 दिसंबर को हुई इस मामले की सुनवाई में महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से प्रस्तुत जानकारी में बताया गया कि:

1. नियमों में संशोधन के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है।
2. नियमों में संशोधन की प्रक्रिया को पूरा करने में 2 से 3 सप्ताह का समय लगेगा।
3. कमेटी एनसीटीई के मानकों के अनुरूप भर्ती प्रक्रिया को संशोधित कर, विवादित प्रावधानों को हटाएगी।

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गलत भर्तियों को रद्द कर याचिकाकर्ताओं को न्याय दिलाने की है मांग

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार बार-बार समय मांगकर मामले को टाल रही है, जबकि याचिकाकर्ताओं को लंबे समय से न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि अगर समय सीमा के भीतर संशोधन नहीं होता, तो 50% से कम अंक वाले सभी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां रद्द की जाएं।

हाईकोर्ट ने दिया संशोधन के लिए सुझाव

हाईकोर्ट ने इस नियम में संशोधन के लिए सुझाव दिए हैं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि भर्ती नियमों में जहां पर तृतीय श्रेणी का उल्लेख है, उसे प्रतिशत से बदला जाए इस तरह भर्ती नियमों में श्रेणी के आधार पर नहीं बल्कि 50 फीसदी के आधार पर भर्ती होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने अब तक की गई भर्तियों का स्टेटस सरकार से जानते हुए यह भी आदेश किया है कि, जब तक भर्ती नियम में संशोधन नहीं होता तब तक रिक्त पदों की भर्ती नहीं की जाएगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि समयसीमा में संशोधन प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।

संशोधन के लिए मिला तीन हफ्तों का समय

मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें राज्य सरकार को नियमों में संशोधन की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले में हाईकोर्ट की कड़ी निगरानी और सरकार द्वारा हाई लेवल कमेटी का गठन संकेत देता है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, याचिकाकर्ताओं को अब भी न्याय की प्रतीक्षा है, और यह देखना होगा कि राज्य सरकार संशोधन प्रक्रिया को तय समय में पूरा कर पाती है या नहीं।

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