BHOPAL. मध्य प्रदेश का जय आदिवासी युवा शक्ति ( JAYS Foundation Day ) गुरुवार 16 मई को अपना 11वां स्थापना दिवस मनाएगा। 10 साल पहले 16 मई को जयस नींव रखी गई थी। आदिवासियों की आखिरी उम्मीद से पीली क्रांति के सफर का नाम कहा जाने वाला जयस अपने स्थापना दिवस पर इंदौर में कार्यक्रम करने जा रहा है। 16 मई गुरुवार को इंदौर में मध्य प्रदेश के अलग- अलग हिस्सों के आदिवासी वर्ग के लोग जुटेंगे। सुबह 11 बजे से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके लिए संगठन की ओर से कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपील की गई है।
10 साल पहले हुआ था गठन
जयस की स्थापना 16 मई 2013 को मध्य प्रदेश के युवाओं द्वारा की गई थी। इसमें राष्ट्रीय प्रभारी के पद को विलोपित कर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद बनाया गया। इस पर लोकेश मुजाल्दा की नियुक्ति की गई। जयस संगठन के दूसरे गुट के संरक्षक विधायक डॉ. हीरालाल अलावा माने जाते हैं।
इन इलाकों में है जयस की पकड़
जयस का मध्य प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर तगड़ा होल्ड माना जा रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में डॉ. हीरालाल अलावा ने मनावर सीट से कांग्रेस से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी डॉ. अलावा ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। जयस ने मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ समेत कई आदिवासी जिले धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, मंडला, बालाघाट, अनूपपुर, डिंडौरी, राजगढ़, देवास जिलों की कई सीटों पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करवाई है।
फेसबुक के बाद मिले थे फेस-टू-फेस
गौरतलब है की जयस की शुरुआत सोशल मीडिया साइट फेसबुक से हुई थी। इसके बाद विभिन्न स्थानों के आदिवासी युवा 16 मई 2013 को बड़वानी की कृषि उपज मंडी परिसर में फेस-टू-फेस मिले थे। यहीं जयस की स्थापना की गई थी। तब से अब तक संगठन में कई बदलाव होते रहे हैं। हर साल 16 मई को प्रदेश में जयस का स्थापना दिवस मनाया जाता है।
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आदिवासी वर्ग की बड़ी आबादी
आपको बता दें कि आदिवासी आबादी के लिहाज से मध्यप्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। प्रदेश में देश की सबसे अधिक जनजातीय आबादी निवास करती है। देश की कुल आदिवासी आबादी का 14.70 प्रतिशत (वर्ष 2011 की जनगणना) यहां निवास करती है। देश की जनजातीय आबादी 10.4 करोड़ है और मध्यप्रदेश की 1.53 करोड़।
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मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय को तीन क्षेत्रों से जाना जाता है।
1. मध्य क्षेत्र: इसके तहत नर्मदापुरम, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, रायसेन आदि जिले हैं। इनमें गौंड, बैगा, कोल, कोरकू परधान, भारिया और मुरिया निवास करते हैं।
2. पश्चिम क्षेत्र: झाबुआ, आलीराजपुर, धार, खरगोन, बड़वानी और रतलाम जिलों से यह क्षेत्र पहचाना जाता है। इसमें भील, भिलाला, परितबा, बारेला और तड़नी आदिवासी हैं।
3. चंबल क्षेत्र: श्योपुर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, ग्वालियर आदि जिलों में सहरिया जनजाति का बसेरा है।जय युवा आदिवासी संगठन, जयस स्थापना दिवस, जयस की स्थापना कब हुई थी, विधायक डॉ. हीरालाल अलावा
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