संजय गुप्ता. INDORE. जय आदिवासी युवा शक्ति यानी जयस की नजरें अब अगले चुनाव पर है। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है। जयस (लोकेश मुजाल्दा गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर लोकेश मुजाल्दा ने जयस के 11वें स्थापना दिवस के मौके पर 'द सूत्र' से चर्चा करते हुए अपनी रणनीति का खुलसा किया। लोकेश मुजाल्दा ने बताया कि चुनाव में उतरने के लिए अलग राजनीतिक दल बनेगा और हमारा खुद का अलग चुनाव चिन्ह होगा, इसी पर हम अपने प्रत्याशी उतारेंगे।
अलग से दल बनेगा, चुनाव चिन्ह होगा
मुजाल्दा ने साफ कहा कि हम जयस में कोई बदलाव नहीं करेंगे यह सामाजिक संगठन है और वही रहेगा। लेकिन हमारे युवा जो राजनीति में जाना चाहते हैं, उन्हें लोकसभा, विधानसभा में भेजने के लिए हमारी भविष्य की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव में उतरने के लिए अलग राजनीतिक दल ( JAYS political party ) बनेगा और हमारा जयस का चुनाव चिन्ह होगा, इसी पर हम अपने प्रत्याशी उतारेंगे। अभी तक हम निर्दलीय प्रत्याशी उतारकर उनका समर्थन कर रहे थे, लेकिन अब इस दल और चिन्ह के साथ हम मैदान में उतरेंगे।
'द सूत्र' से यह भी बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष...
जयस की आगे किस तरह की तैयारी है
मुजाल्दा- हम 11वां स्थापना दिवस मना रहे हैं और आज देश की सबसे बड़ी आदिवासी विचाराधारा जयस की हो गई है। यहां भी इंदौर में पांच राज्यों मप्र, राजस्थान, गुजरात, झारखंड और महाराष्ट्र से लोग आए हैं। हम आदिवासियों के लिए जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
विधानसभा में आप उतरे, लेकिन लोकसभा में कोई नहीं था
मुजाल्दा- हमने निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन किया था और विधानसभा में चुनाव में उतरे थे, हमे अच्छा समर्थन मिला, भले ही जीत नहीं पाए हो। चुनाव के लिए संसाधन चाहिए, इसमें समय लगेगा, लोकसभा में क्षेत्र बड़ा होता है इसलिए नहीं उतरे।
जयस क्या राजनीतिक दल बनेगा
मुजाल्दा- नहीं जयस हमेशा से सामाजिक संगठन है और वही रहेगा। हम आदिवासियों के हक में आवाज उठाते रहेंगे और इसे राजनीतिक दल नहीं बनाएंगे।
फिर चुनाव में हिस्सेदारी किस तरह होगी
मुजाल्दा- हमारी भविष्य की तैयारी शुरू हो गई है। अब अगले चुनाव में हम किसी चिन्ह और दल के साथ चुनाव में हिस्सा लेंगे। जयस समाजिक सगंठन रहेगा लेकिन, एक अलग दल होगा और चिन्ह होगा, जो युवा राजनीति में जाना चाहते हैं उन्हें इससे उतारेंगे।
जयस के कई गुट है फिर कैसे संभालेंगे
मुजाल्दा- नहीं जयस के गुट नहीं है वह एक है, कुछ चुनाव के लिए कांग्रेस में गए तो कुछ बीजेपी में गए। हमारी संवैधानिक विचारधारा एक है।
आदिवासी वोट बैंक बंट रहा है इन गुटों के कारण
मुजाल्दा- हमने निर्दलीय प्रत्याशी उतारे थे। आने वाले चुनाव में हम बीजेपी और कांग्रेस को अपनी ताकत का एहसास करा देंगे।
अब तो भारतीय आदिवासी पार्टी बाप भी मैदान में हैं
मुजाल्दा- हां लोकतंत्र है और कोई भी चुनाव में आ सकता है। सैलाना विधायक को हमारे वहां जयस के जिला पंचायत सदस्य होने के कारण चुनाव में फायदा मिला है।
जयस के हैं तीन गुट
मप्र में जयस के तीन गुट हैं, एक गुट मनावर विधयाक डॉ. हीरालाल अलावा का है, जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। वहीं दूसरा गुट लोकेश मुजाल्दा है और तीसरा गुट अंतिम मुजाल्दा का है। यह सभी अलग-अलग राह पर है और विधानसभा चुनाव में तीनों के रास्ते अलग थे। मई 2013 में जयस की स्थापना हुई थी। यह लगातार चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और निर्दलीय प्रत्याशियों को मैदान में उतार रहा है, लेकिन अलग गुट होने के चलते इनके वोट बंट जाते हैं।