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मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व विधायक जीतू पटवारी के खिलाफ ग्वालियर के एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 500 रुपए का जमानती वारंट जारी किया है। मामला भिंड जिले के उमरी थाना क्षेत्र का है, जहां 4 मई 2024 को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
क्या है पूरा मामला?
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान प्रचार अभियान के समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने बसपा प्रत्याशी देवाशीष जयरिया पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया था। इस बयान के बाद बसपा प्रत्याशी के निर्वाचन अभिकर्ता अशोक गुप्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि पटवारी ने सार्वजनिक मंच से बिना किसी ठोस प्रमाण के यह बयान दिया, जिससे बसपा प्रत्याशी की छवि खराब हुई।
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उमरी थाना में दर्ज हुई थी शिकायत
बसपा प्रत्याशी के प्रतिनिधि की शिकायत पर भिंड जिले के उमरी थाने में पटवारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की। चुनावी माहौल में यह बयान खासा चर्चित रहा और इसकी गूंज राजनीतिक गलियारों में भी सुनाई दी।
कोर्ट ने जारी किया जमानती वारंट
इस मामले में सुनवाई के दौरान एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जीतू पटवारी को पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इस पर अदालत ने उनके खिलाफ 500 रुपए का जमानती वारंट जारी कर दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल 2025 को होगी।
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राजनीतिक बयानबाजी के चलते बढ़ी मुश्किलें
चुनावी माहौल में कई बार प्रत्याशी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं, लेकिन जब यह बयान कानूनी दायरे में आ जाते हैं, तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। जीतू पटवारी का यह बयान भी ऐसा ही एक मामला बन गया, जिसने अब उन्हें अदालत तक पहुंचा दिया है।
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क्या होगा आगे?
अब सभी की नजरें 7 अप्रैल 2025 को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पटवारी अदालत में हाजिर होते हैं और जमानत लेते हैं, तो मामला कुछ समय के लिए ठंडा पड़ सकता है। लेकिन यदि वे पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस प्रकरण का असर कांग्रेस की छवि पर भी पड़ सकता है।
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