BHOPAL. चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे मध्यप्रदेश में जल्द ही 20वा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आएगा।सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा झाबुआ में घोषणा करने के बाद इसके लिए कार्रवाई भी शुरू हो गई है। झाबुआ में शुरू होने वाला मेडिकल कॉलेज प्रदेश में अपनी तरह का अनूठा कॉलेज होगा। इसके संचालन की जिम्मेदारी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर को सौंपी गई है। विश्वविद्यालय इस मेडिकल कॉलेज को अपने टीचिंग डिपार्टमेंट की तरह चलाएगा। फिलहाल यह झाबुआ इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन में शुरू होगा और जिला अस्पताल से संबद्ध होगा।
मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ी
मध्य प्रदेश में लगातार मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। बीते सत्र तक प्रदेश में 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई कराई जा रही थी। पिछले साल इनमें पांच नए मेडिकल कॉलेज शामिल होने से संख्या अब 19 हो चुकी है। इसी महीने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने झाबुआ में नए मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए एनएमसी यानी राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद से अनुमतियों पर भी काम शुरू कर दिया है। वहीं प्रदेश में भी इस 20वें नए मेडिकल कॉलेज को लेकर शासन स्तर पर तैयारियां तेज हो गई है।
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झाबुआ मेडिकल कॉलेज का संचालन
आदिवासी अंचल में शुरू होने वाले मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। संभवतया सोमवार को होने वाली बैठक में दोनों विभाग इस मेडिकल कॉलेज के संचालन की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं। बताया जाता है सीएम की दिलचस्पी को देखते हुए नए मेडिकल कॉलेज को लेकर उच्च शिक्षा विभाग और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय आगे आया है। बिना किसी लेट-लतीफी के इस मेडिकल कॉलेज को इसी सत्र से शुरू करने के भी प्रयास तेज हो गए हैं। उच्च शिक्षा द्वारा नए मेडिकल कॉलेज की शुरूआत के लिए झाबुआ इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन का प्रस्ताव दिया गया है। वहीं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इसका संचालन अपने टीचिंग डिपार्टमेंट की तरह करना चाहता है।
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डीएवी इंदौर करेगा कॉलेज का संचालन
चिकित्सा शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच बैठक में सबकुछ ठीक रहता है तो संसाधनों की चिंता के बिना इसी सत्र से मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएगा। क्योंकि फिलहाल मेडिकल कॉलेज के लिए नए भवन की जरूरत नहीं होगी। वहीं जिला अस्पताल से संबंद्धता से छात्रों को अध्ययन और अंचल के मरीजों को इलाज की व्यवस्था में फायदा होगा। सीएम की घोषणा के बाद शासन स्तर और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद से अनुमतियां लेने का काम भी तेज हो गया है। प्रदेश का यह अपने तरह का इकलौता मेडिकल कॉलेज होगा जिसके संचालन की व्यवस्था फिलहाल उच्च शिक्षा और डीएवी इंदौर के हाथ होगी।
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