भारतीय रेलवे कर रहा कमर्शियल हाइपरलूप टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग, जानिए कैसे करता है काम

भारत में ट्रांसपोर्टेशन में एक और ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है। वंदे भारत ट्रेनों की सफलता के बाद भारतीय रेलवे अब हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जो भविष्य के तेज, सस्टेनेबल और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम का आधार बनेगा।

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Sandeep Kumar
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भारतीय रेलवे वंदे भारत ट्रेनों के बाद अब हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जिससे भारत दुनिया का पहला कमर्शियल हाइपरलूप सिस्टम लॉन्च करेगा। आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित हाइपरलूप प्रोजेक्ट को भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) से तकनीकी समर्थन मिलेगा।

भारतीय रेलवे का हाइपरलूप प्रोजेक्ट

भारत में ट्रांसपोर्टेशन में एक और ऐतिहासिक बदलाव आने वाला है। वंदे भारत ट्रेनों की सफलता के बाद भारतीय रेलवे अब हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जो भविष्य के तेज, सस्टेनेबल और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम का आधार बनेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में घोषणा की कि आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित हाइपरलूप प्रोजेक्ट को भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई से तकनीकी समर्थन मिलेगा।

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क्या है कमर्शियल हाइपरलूप?

हाइपरलूप एक अत्यधिक तेज ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जो मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है और ट्रेनों को 1,000 किमी/घंटा या उससे अधिक की गति से चलाने में सक्षम बनाता है। यह तकनीक एक सील्ड ट्यूब के अंदर काम करती है, जिसमें हवा का प्रेशर बहुत कम होता है, जिससे एअर रेजिस्टेंस (वायु प्रतिरोध) कम होता है और गति में वृद्धि होती है। आईआईटी मद्रास में इनक्यूबेटेड स्टार्टअप, टुटर हाइपरलूप इस सिस्टम को विकसित कर रहा है और भारत दुनिया का पहला कमर्शियल हाइपरलूप सिस्टम लॉन्च करने की तैयारी में है।

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हाइपरलूप और वंदे भारत

आईसीएफ चेन्नई, जो वंदे भारत ट्रेनों के लिए एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजाइन तैयार करता है। अब हाइपरलूप प्रोजेक्ट के लिए भी तकनीकी विकास में योगदान देगा। वंदे भारत ट्रेनों की सफलता को ध्यान में रखते हुए, हाइपरलूप सिस्टम में अपग्रेड की गई तकनीक भारतीय रेलवे को भविष्य की ओर ले जाने में मदद करेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए भारतीय रेलवे वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, जिससे स्वदेशी हाइपरलूप सिस्टम का विकास संभव हो सके।

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सेमीकंडक्टर हो सकता है लॉन्च 

भारत में पहले से ही पांच सेमीकंडक्टर प्लांट्स पर काम चल रहा है। इस साल के अंत तक भारत का पहला सेमीकंडक्टर लॉन्च हो सकता है। भारतीय युवा तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रगति कर रहे हैं, जो हाइपरलूप प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता और युवा इंजीनियर हाइपरलूप सिस्टम को सस्टेनेबल, फास्ट और कॉस्ट-इफेक्टिव बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

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FAQ

हाइपरलूप क्या है और यह कैसे काम करता है?
हाइपरलूप एक अल्ट्रा-फास्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम है। यह मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी और कम दबाव वाली सील्ड ट्यूब का उपयोग करके ट्रेनों को 1,000 किमी/घंटा से अधिक की गति से चलाता है। यह सिस्टम हवा के प्रतिरोध को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे तेज गति प्राप्त की जा सकती है।
हाइपरलूप प्रोजेक्ट भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
हाइपरलूप प्रोजेक्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को अधिक तेज, सस्टेनेबल और कॉस्ट-इफेक्टिव बनाएगा। इस तकनीक से भारत को भविष्य में एक स्मार्ट और फास्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम मिलेगा, जो न केवल यात्रा को तेज करेगा बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करेगा।

 

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