कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया पर गरीबों के हक का पैसा कारोबारियों में बांटने का आरोप

झाबुआ से कांग्रेस विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया व उनके पिता पूर्व विधायक कांतिलाल भूरिया पर विधायक स्वेच्छानुदान के दुरुपयोग का आरोप है। झाबुआ के ही एक समाजसेवी ने राज्यपाल को शिकायत कर जांच की मांग की है।

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Ravi Awasthi
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निज स्वार्थ के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाने में राजनेताओं का कोई मुकाबला नहीं। ऐसा ही कमाल कर दिखाया, मध्य प्रदेश के झाबुआ से कांग्रेस विधायक एवं पेशे से चिकित्सक विक्रांत भूरिया एवं उनके पिता पूर्व विधायक कांतिलाल भूरिया ने। आरोप है कि इन्होंने गरीब, जरूरतमंदों की मदद के लिए दी जाने वाली विधायक स्वेच्छानुदान निधि अमीर कारोबारियों को बांट दी। डॉ. विक्रांत ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।

ग्राम दातौड़, रानापुर झाबुआ के ही एक समाजसेवी मथियास भूरिया की ओर से राज्यपाल को उक्ताशय की शिकायत सप्रमाण की गई है। शिकायत में कहा गया कि विधायक स्वेच्छानुदान गरीब, बीमार व अन्य जरूरतमंदों की मदद के लिए किए जाने का प्रावधान है, लेकिन झाबुआ से मौजूदा कांग्रेस विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया एवं इनके पूर्ववर्ती विधायक कांतिलाल भूरिया ने स्वेच्छानुदान मद का दुरुपयोग किया। यह राशि करोड़पति व्यापारी, होटल मालिक, टेंट व किराना कारोबारियों सहित विधायक के कार्यालय व घर पर काम करने वालों को आवंटित की गई।

होटल, टेंट कारोबारियों को बकाया भुगतान निपटाया

शिकायत में कहा गया कि भूरिया ने इस अनुदान का उपयोग व्यापारियों का बकाया भुगतान, राजनीतिक कार्यक्रमों में टेंट लगवाने व खुद के कार्यालय में आने वाले लोगों को चाय-नाश्ता कराने के बदले किया है। इनमें से कुछ को वर्ष में एक से लेकर तीन बार लाभ पहुंचाया गया। जबकि इस पर गरीबों व जरूरतमंदों का हक होता है।

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सवा सौ लोगों में बांटे 24 लाख, कई को एक से अधिक बार

मथियास ने अपनी शिकायत में योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग से आरटीआई में प्राप्त दस्तावेज भी शिकायत के साथ पेश किए। इनमें दर्शाया गया कि वर्ष 2019 से 2024 तक 128 लोगों को 24 लाख 21 हजार रुपए का भुगतान इस मद से किया गया। इनमें कई लोग ऐसे हैं जिन्हें एक ही साल में दो से तीन बार भी भुगतान हुआ। खास बात यह कि भूरिया पिता—पुत्र की विधायक स्वेच्छानुदान से राशि पाने वालों में कई धनाढ्य कारोबारी हैं। इनमें किसी का टेंट तो किसी का होटल का कारोबार है। ये वे लोग हैं जो विधायक भूरिया के राजनीतिक कार्यक्रमों में टेंट लगाने, चाय—नाश्ता परोसने का काम करते हैं। कुछ हितग्राही भूरिया के दफ्तर व घर पर काम करने वाले कर्मचारी भी हैं।

इन्हें बताया गया कारोबारी

शिकायत में जिन्हें कारोबारी व धनाढ्य बताया गया, उनमें रूपेश सकलेचा, चेतना सकलेचा, विक्की सकलेचा, सतीश नाहर, राजेन्द्र कुमार, अक्षत जैन, सुनील जैन, सरिता जैन, हुसैनी बोहरा, अब्दुल बोहरा, डॉक्टर दिनेश गाहरी, गोपाल, भारतलाल के नाम शामिल हैं। भारतलाल को बड़ा होटल कारोबारी बताया गया है। शिकायत में कहा गया कि भारतलाल का होटल विधायक विक्रांत भूरिया एवं कांतिलाल भूरिया के कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर है। भारतलाल को साल 2023 में 4 माह के दरम्यान ही दो किस्तों में 35 हजार रुपए स्वेच्छानुदान मद से दिए गए।

निजी कर्मचारी, परिवारजनों को भी पहुंचाया लाभ

इनके अलावा राशि पाने वालों में प्रमोद, अर्पिता, सारिका श्रीवास्तव, जुवान, सूरज, बदिया डामोर, शुभम, राजेश राव, योगेन्द्र, राजू, रेखा, अन्तर भूरिया, रोहित, प्रियांशु, पीयूष हटिला, अक्षय, दीपिका, अमित, रवीना हटिला, मुन्ना, प्रमिला डामोर, राकेश, मनीष गुप्ता, चांदनी, पासु ताहेड़, नन्दिनी, सचिन, राधा, वर्षा बामनिया, संजय, पीडू, रालू, राहुल के नाम भी शामिल हैं। शिकायत में कहा गया कि इनमें अधिकांश या तो संबंधित कारोबारियों या विधायक के निजी कर्मी एवं परिवार से हैं। प्रियांशु, पीयूष हटिला को एक ही साल में तीन बार तो अक्षय, शुभम, रूपेश, सतीश, राजेन्द्र, गोपाल, योगेन्द्र, राजू, रेखा व अन्तर को एक साल में दो बार स्वेच्छानुदान मद से लाभ पहुंचाया गया। शिकायतकर्ता ने राज्यपाल से इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कर विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

75 लाख सालाना है स्वेच्छानुदान राशि

साल 2023 के चुनाव से ठीक 3 माह पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने विधायक निधि व स्वेच्छानुदान में 25 लाख का इजाफा कर यह राशि सवा तीन करोड़ रुपए की गई। इसमें ढाई करोड़ रुपए विधायक के क्षेत्र विकास व शेष 75 लाख गरीब, बीमार व अन्य जरूरतमंदों की मदद के लिए उपयोग किए जाने का प्रावधान नियमों में रखा गया।

कलेक्टर को भी बताया जिम्मेदार

शिकायतकर्ता मथियास भूरिया ने विधायक स्वेच्छानुदान राशि के दुरुपयोग मामले में झाबुआ जिला कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विधायक निधि या स्वेच्छानुदान का आवंटन जिला कलेक्टर के माध्यम से होता है, जबकि जिम्मेदार अधिकारियों ने भी हितग्राहियों की सही पहचान किए बिना यह राशि आवंटित कर दी।

ऐसा होना तो नहीं चाहिए, होगी जांच

इस संबंध में जिला कलेक्टर नेहा मीणा ने कहा कि वह इस मामले की जांच कराएंगी। "ऐसा होना तो नहीं चाहिए।"

इधर... विक्रांत भूरिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा

मथियास भूरिया के लगाए आरोपों पर विक्रांत भूरिया ने कहा कि जिस स्वैच्छानुदान मद से मथियास भूरिया साल 2023 में भुगतान करने की बात कर रहे हैं, उस समय तक मेरे कार्यकाल स्वैच्छानुदान मिला ही नहीं था। साथ ही उन्होंने कहा कि मथियास पहले कांग्रेस में ही थे, वे अपराधी प्रवृत्ति के होने के साथ उन पर जिलाबदर की कार्रवाई भी हो चुकी है। इसीलिए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया था। इसी बात को लेकर वे अपनी दुश्मनी निकालते हुए निराधार आरोप लगाते रहते हैं। 

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