एक जुलाई से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में पर्यटन संबंधी गतिविधियां बंद हो जाएंगी। जानकारी के मुताबिक एक जुलाई से एक अक्टूबर तक पार्क में सैलानियों का प्रवेश बंद रहेगा।
इस दौरान जंगल में मानसून गश्त की जाएगी। इसके लिए एसटीआर ने प्लान तैयार कर लिया है। 700 कर्मचारियों की अलग-अलग टोलियां जंगल में पैदल गश्त कर वन्य प्राणियों की सुरक्षा करेंगी।
इन टोलियों में पिछले साल कर्नाटक से लाए गए हाथी कृष्णा, पूजा, गजा और मारिसा को भी शामिल किया गया है।
यह चारों एसटीआर के कैंप में गश्ती का प्रशिक्षण ले रहे हैं। आपको बता दें कि पार्क की सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा हाथियों को दिया गया है।
हाथी करेंगे रेस्क्यू
जानकारी के मुताबिक मानसून गश्त के दौरान कोई शिकारी या अनजान जंगल में प्रवेश ना कर सके इस पर नजर रखी जाएगी।
इसी के साथ अगर मानसून के तीन महीने में जंगल में कोई वन्यप्राणी घायल या नदी, नालों की बाढ़ में फस जाएगा तो हाथी उसका रेस्क्यू करेंगे।
जानकारी के अनुसार रोजाना हथियों को जंगल में लंबी दूर तक गश्त कराकर एसटीआर के जंगलों और जलवायु से परिचित कराया जा रहा है।
हाथी कृष्णा और गजा जंगल रेस्क्यू करने में माहिर है। मादा हाथी पूजा और मारिसा को भारी वजन उठाने में महारत हासिल है।
चारों हाथियों को एसटीआर के पुराने हाथियों के साथ गश्त पर भेजा जाएगा। ये सभी नर्मदापुरम से छिंदवाड़ा, बैतूल जिले की सीमा तक फैले एसटीआर की सीमाओं की सुरक्षा करेंगे।
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