MP News: भारत में बाघों के संरक्षण पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें मध्यप्रदेश स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व को देश का सबसे उपयुक्त निवास स्थान बताया गया है। देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या और घनत्व दोनों ही स्तरों पर कान्हा में राष्ट्रीय स्तर पर सबसे आगे हैं। यह स्थिति बाघों के लिए एक स्थायी और सुरक्षित आवास का संकेत देती है, जो उनके संरक्षण प्रयासों को मजबूती प्रदान करती है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
WII की इस रिपोर्ट में देशभर के उन 8 टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 50 या उससे अधिक शाकाहारी वन्य जीव मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार:
कान्हा टाइगर रिजर्व: 1,02,485 शाकाहारी जीव, 69.86% घनत्व
पेंच टाइगर रिजर्व (Pench Tiger Reserve): 81,594 शाकाहारी जीव, 94.22% घनत्व
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: 74,838 शाकाहारी जीव, 55.15% घनत्व
इन आंकड़ों के आधार पर कान्हा पहले और पेंच दूसरे स्थान पर आए हैं। 2023 की गणना के मुताबिक, कान्हा में 105 बाघ और पेंच में 77 बाघ दर्ज किए गए हैं।
शाकाहारी जीवों की समृद्धि क्यों है जरूरी?
बाघों की जीवनशैली पूरी तरह से मांसाहारी होती है, और वे अपने भोजन के लिए शाकाहारी वन्यजीवों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में यदि जंगलों में चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर और बार्किंग डियर जैसी प्रजातियां पर्याप्त संख्या में मौजूद हों, तो बाघों को भोजन आसानी से मिल जाता है। कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व में इन प्रजातियों की भरपूर मौजूदगी एक संतुलित और समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करती है, जो बाघों के लिए सुरक्षित और स्थायी आवास सुनिश्चित करता है।
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मध्यप्रदेश: टाइगर स्टेट
देश में सबसे अधिक बाघों की मौजूदगी के चलते मध्यप्रदेश को पहले ही "टाइगर स्टेट" का सम्मान प्राप्त हो चुका है। अब ताज़ा अध्ययन से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि राज्य न केवल बाघों की संख्या में आगे है, बल्कि उनके संरक्षण और प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने में भी अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है। यह सफलता राज्य सरकार की प्रभावी वन नीति और पर्यावरणीय संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस रिपोर्ट को मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि “हमारे वन अभयारण्यों का संरक्षण अब राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है।”
कान्हा टाइगर रिजर्व:
- मध्यप्रदेश के मांडला और बालाघाट जिलों में फैला
- भारत का पहला 'प्रोजेक्ट टाइगर' क्षेत्र (1973)
- स्वच्छ और प्रबंधित वन्यजीव क्षेत्र
पेंच टाइगर रिजर्व:
- सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में स्थित
- जंगल बुक की प्रेरणा माने जाने वाला क्षेत्र
- घना वन और विविध जैवविविधता
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