/sootr/media/media_files/2025/06/13/FYasZ0yhpQ4Y5lWIqB0F.jpeg)
The sootr
चीतों के पुनर्वास की दिशा में भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मध्य प्रदेश, जो अब "चीता स्टेट" के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है, जल्द ही नौरादेही अभयारण्य को चीतों का तीसरा स्थायी आवास बनाएगा। यह कदम कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की सफलता के बाद उठाया गया है।
नौरादेही- चीतों के लिए आदर्श आवास
सागर और दमोह जिले के पठारी क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य प्राकृतिक रूप से पर्णपाती वन, घास के मैदान और शाकाहारी जीवों से भरपूर है। यहां साल, सागौन, महुआ, बेल और बांस के घने जंगल हैं जो चीतों के लिए आदर्श पर्यावरण उपलब्ध कराते हैं।
यह क्षेत्र पहले से ही हिरण, जंगली सुअर और अन्य शिकार प्रजातियों से संपन्न है। यही वजह है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने इसका गहन सर्वेक्षण कर इसे उपयुक्त घोषित किया।
44 गांव विस्थापित, पुनर्वास की प्रक्रिया जारी
नौरादेही अभयारण्य में कुल 93 गांव थे, जिनमें से 44 गांवों को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है। शेष 49 गांवों के पुनर्वास की प्रक्रिया भी जारी है। वन विभाग द्वारा मोहली, झापा और सिंगपुर रेंज के 30 किलोमीटर क्षेत्र को चीतों के लिए चिन्हित कर बाड़ेबंदी का कार्य शुरू हो चुका है।
चीतों के लिए तय क्षेत्र में ये गांव होंगे शामिल
- मोहली रेंज
- झापा रेंज
- सिंगपुर रेंज
(कुल 13 गांवों का पुनर्वास प्रस्तावित)
चीतलों की शिफ्टिंग से मजबूत होगी खाद्य श्रृंखला
वन विभाग कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को नौरादेही लाने की योजना बना रहा है ताकि चीतों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध हो सके। शिकार श्रृंखला को स्थायित्व देने से चीतों का रहवास भी स्थायी रूप से सुनिश्चित होगा।
कब आएंगे चीते नौरादेही?
- -हालांकि चीतों की शिफ्टिंग की तारीख अभी तय नहीं की गई है, लेकिन नौरादेही को अब "चीता प्रोजेक्ट 3.0" के तहत औपचारिक रूप से तीसरे चीता बेस के रूप में चुना गया है।
- -वर्तमान में मध्यप्रदेश के दो अभयारण्यों में कुल 31 चीते हैं—कूनो में 29 (जिनमें से 19 शावक) और गांधी सागर में 2 चीते।
FAQ
कूनो में चीता प्रोजेक्ट | दमोह का नौरादेही अभयारण्य | अपडेट | नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ | नौरादेही अभ्यारण्य सागर