चीता प्रोजेक्ट 3.0 : नेशनल पार्क और गांधी सागर के बाद अब MP में यहां होगा चीतों का नया घर
चीता प्रोजेक्ट 3.0 के तहत भारत में 72 साल बाद चीतों को पुनः बसाने का बड़ा कदम उठाया गया, जो अब सफल हो रहा है। कूनो नेशनल पार्क के बाद गांधी सागर अभ्यारण को चीतों का नया घर बनाया गया था। अब प्रदेश के इस जिले में चीतों को तीसरा स्थायी आश्रय मिलने जा रहा है।
चीतों के पुनर्वास की दिशा में भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मध्य प्रदेश, जो अब "चीता स्टेट" के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है, जल्द ही नौरादेही अभयारण्य को चीतों का तीसरा स्थायी आवास बनाएगा। यह कदम कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभयारण्य में चीतों की सफलता के बाद उठाया गया है।
नौरादेही- चीतों के लिए आदर्श आवास
सागर और दमोह जिले के पठारी क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य प्राकृतिक रूप से पर्णपाती वन, घास के मैदान और शाकाहारी जीवों से भरपूर है। यहां साल, सागौन, महुआ, बेल और बांस के घने जंगल हैं जो चीतों के लिए आदर्श पर्यावरण उपलब्ध कराते हैं।
यह क्षेत्र पहले से ही हिरण, जंगली सुअर और अन्य शिकार प्रजातियों से संपन्न है। यही वजह है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने इसका गहन सर्वेक्षण कर इसे उपयुक्त घोषित किया।
नौरादेही अभयारण्य में कुल 93 गांव थे, जिनमें से 44 गांवों को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है। शेष 49 गांवों के पुनर्वास की प्रक्रिया भी जारी है। वन विभाग द्वारा मोहली, झापा और सिंगपुर रेंज के 30 किलोमीटर क्षेत्र को चीतों के लिए चिन्हित कर बाड़ेबंदी का कार्य शुरू हो चुका है।
सिंगपुर रेंज (कुल 13 गांवों का पुनर्वास प्रस्तावित)
चीतलों की शिफ्टिंग से मजबूत होगी खाद्य श्रृंखला
वन विभाग कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को नौरादेही लाने की योजना बना रहा है ताकि चीतों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध हो सके। शिकार श्रृंखला को स्थायित्व देने से चीतों का रहवास भी स्थायी रूप से सुनिश्चित होगा।
-हालांकि चीतों की शिफ्टिंग की तारीख अभी तय नहीं की गई है, लेकिन नौरादेही को अब "चीता प्रोजेक्ट 3.0" के तहत औपचारिक रूप से तीसरे चीता बेस के रूप में चुना गया है।
-वर्तमान में मध्यप्रदेश के दो अभयारण्यों में कुल 31 चीते हैं—कूनो में 29 (जिनमें से 19 शावक) और गांधी सागर में 2 चीते।
फिलहाल, वन विभाग और एनटीसीए द्वारा सर्वेक्षण और बाड़ेबंदी का कार्य चल रहा है। चीतों की शिफ्टिंग की कोई आधिकारिक तारीख अभी घोषित नहीं की गई है।
नौरादेही को चीतों के लिए क्यों चुना गया?
नौरादेही का भौगोलिक और पारिस्थितिकी तंत्र चीतों के लिए अनुकूल है। यहां घास के मैदान, पर्याप्त शाकाहारी जीव और घने जंगल चीतों की जरूरतों को पूरा करते हैं।
नौरादेही में चीतों के लिए क्या खास तैयारी की जा रही है?
यहां 30 किमी क्षेत्र को बाड़े में लिया जा रहा है, 13 गांवों का पुनर्वास होगा और पेंच-कान्हा से चीतल लाकर चीतों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
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