MP News: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के कसरावद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां यूरिन जांच के लिए चाय के डिस्पोजल कप का इस्तेमाल हो रहा है। इससे जांच की शुद्धता पर सवाल उठते हैं और मरीजों की जान को जोखिम हो सकता है। अस्पताल प्रबंधन इसे सामग्री की कमी का नतीजा बता रहा है।
स्वास्थ्य विभाग नियमित रूप से अस्पतालों को आवश्यक लैब सामग्री मुहैया कराता है। सीएमएचओ एमएस सिसोदिया ने मामले की जांच और नोटिस जारी करने की बात कही है। यह घटना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। स्थानीय जनता में लापरवाही को लेकर नाराजगी है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग हो रही है।
जांच की शुद्धता पर सवाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यूरिन टेस्ट के लिए सैनिटाइज्ड प्लास्टिक कंटेनरों का उपयोग जरूरी है। कागज के चाय कप न सिर्फ सैंपल को रिसने का जोखिम बढ़ाते हैं, बल्कि इनसे वैज्ञानिक जांच भी विश्वसनीय नहीं होती। ऐसे में रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता और दवाइयां भी गलत हो सकती हैं।
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प्रभारी बीएमओ का सफाईनामा
प्रभारी बीएमओ ने मामले को स्टोर से सामग्री की अनुपलब्धता से जोड़ा। उन्होंने कहा कि जल्द ही छोटे यूरिन कंटेनर अस्पताल को मुहैया कराए जाएंगे। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सभी अस्पतालों को नियमित रूप से सामग्री दी जाती है, तो कसरावद केंद्र में यह कमी क्यों रही?
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खुली लापरवाही का प्रमाण
स्वास्थ्य केंद्र की लैब में जब निरीक्षण हुआ तो स्टैंड पर रखे दर्जनों डिस्पोजल कप में यूरिन सैंपल भरे हुए पाए गए। यह दृश्य दिखाता है कि यह कोई अस्थायी गलती नहीं बल्कि लंबे समय से चली आ रही नियमित लापरवाही का हिस्सा है। यह भी पता चला है कि इन कपों से लिए गए सैंपल्स की जांच की रिपोर्ट भी मरीजों को दी जा रही थी।
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डॉक्टरों की गैरहाजिरी पर सवाल
स्थानीय नागरिकों ने केवल यूरिन जांच ही नहीं, बल्कि अस्पताल की समग्र व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने डॉक्टरों की अनुपस्थिति, जनरेटर और सोलर पैनल की खराबी, और अनावश्यक खरीदारी के आरोप भी लगाए हैं। जनता का आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र केवल नाम मात्र का बचा है और असल में यह केवल खानापूर्ति कर रहा है।
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