यहां हुआ था भगवान कृष्ण का शिक्षा ग्रहण संस्कार, बलराम और सुदामा के साथ सीखी थीं 16 कलाएं

उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण ने 64 विद्या और 16 कलाएं सीखी थीं। हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां भव्य धार्मिक आयोजन होते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस स्थल को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।

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Deeksha Nandini Mehra
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Krishna Janmashtami 2024 Story
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Krishna Janmashtami 2024 Story : भगवान श्री कृष्ण का शिक्षा ग्रहण संस्कार बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हुआ था। यहां भगवान श्री कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलदाऊ और मित्र सुदामा के साथ ऋषि सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ली थी। पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि इस दौरान भगवान कृष्ण ने यहां बाल्यकाल में ही उन्होंने 64 विद्या और 16 कलाएं सीख ली थीं। 

जल्द होंगे तीर्थस्थल के रूप में विकसित 

भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा ग्रहण स्थली उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर संदीपनी आश्रम है। इस आश्रम में ही श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ मिलकर ज्ञान और कला की विविध विधाओं में पारंगत हुए थे। इसे सीएम यादव ने तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश की अन्य श्री कृष्ण से जुड़ी स्थली हैं, जिनको तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें सांदीपनि आश्रम (उज्जैन), नारायण धाम (उज्जैन), अमझेरा धाम (धार) और जानापाव धाम (इंदौर) शामिल हैं। 

जन्माष्टमी पर होते हैं भव्य कार्यक्रम 

हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर इस आश्रम में भव्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस साल, मंदिर को रंग-बिरंगे कागज के फूलों से सजाया जाएगा, जो दर्शनार्थियों के लिए एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करेगा। रेलवे स्टेशन से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित इस धार्मिक स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है जो भगवान कृष्ण के दर्शन और पूजा के लिए यहाँ आते हैं।

भगवान कृष्ण ने 64 दिन में सीखीं 64 विद्याएं 

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने दुष्ट राजा कंस को पराजित किया, तब वह अपने भाई बलराम के साथ उज्जैन आए। संदीपनी आश्रम में भगवान कृष्ण ने 64 दिनों में 64 विद्या और 16 कलाओं की शिक्षा प्राप्त की, जिसमें वेदों और पुराणों का अध्ययन भी शामिल था। यहीं पर कृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता की नींव पड़ी, जिसे आज भी एक आदर्श मित्रता के रूप में देखा जाता है। 

भगवान कृष्ण की श्रद्धा का प्रतीक गोमती कुंड 

इस आश्रम में एक प्रमुख धार्मिक स्थल गोमती कुंड भी है, जहाँ भगवान कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनी के स्नान के लिए गोमती नदी का जल प्रदान किया। यह पवित्र जल स्रोत कृष्ण की श्रद्धा का प्रतीक है। यहाँ गुरु संदीपनी, भगवान कृष्ण, बलराम, और सुदामा की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।

6 हजार साल पुराना शिवलिंग

इसके अतिरिक्त आश्रम परिसर में स्थित श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर में 6 हजार साल पुराना शिवलिंग स्थापित है, जिसे एक ऋषि द्वारा बिल्व पत्र से उत्पन्न माना जाता है। इस शिवलिंग के जलाधारी में दुर्लभ पत्थर के शेषनाग की आकृति भी है।

 विशेष रूप से मंदिर के बाहर नंदी की एक छोटी और दुर्लभ मूर्ति भी है, जिसे पूरे भारत में अनूठा माना जाता है। कहा जाता है कि यह मूर्ति उस पल का प्रतिनिधित्व करती है जब नंदी भगवान कृष्ण को पढ़ते हुए देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे।

मंदिर के पुजारी रूपम व्यास के अनुसार, देशभर से लोग अपने बच्चों के विद्या-ग्रहण संस्कार के लिए यहाँ आते हैं। यह परंपरा परिवारों के लिए महत्वपूर्ण हो गई है जो अपने बच्चों को ज्ञान की आशीर्वाद देना चाहते हैं।

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