सर संघचालक केएस सुदर्शन भी आपातकाल में इंदौर जेल में रहे, कांग्रेस ने अपने ही नेताओं को करा दिया था जेल में बंद

आपातकाल को भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय माना जाता है, जिसे 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर लागू किया गया था।

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Sanjay Gupta
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देश में आपातकाल को काले अध्याय के रूप में जाना जाता है। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के समय 25 जून 1975 को यह देश में लगाया गया था। इसके बाद पूरे देश भर में आंदोलनकारियों की गिरफ्तारियां हुई। इस दौरान इंदौर में भी 500 से ज्यादा नेता गिरफ्तार हुए। यह करीब 6 माह तक जेल में रहे। इस आंदोलन से बाहर आने के बाद जनता के बीच में इनकी और साख बढ़ी। इसमें एक प्रमुख नाम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख रहे केएस सुदर्शन का भी है (इनका साल 2012 में निधन हो गया)। यह भी इंदौर जेल में बंद रहे।

सुदर्शन जेल में लगाते थे शाखाएं

जून 1975 में आपातकाल के बाद जुलाई में गिरफ्तारियां शुरू हो गई। सुदर्शन के साथ मामा बालेश्वर दयाल और कई अन्य संघ से जुड़े नेता जेल भेजे गए। इस दौरान उनके साथ ही जेल में रहने वाले पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा बताते हैं कि सुदर्शन जी उस समय जेल में शाखाएं लगाते थे। हमारा पूरा समय विचार गोष्ठी, संगीत, पढ़ने और लेखन में जाता था। देश के हालात पर लगातार जानकारी लेते रहते थे। वीरेंद्र सकलेचा, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी जैसे नेता भी इंदौर जेल में ही थे। एबीवीपी में सक्रिय रहे नेता गोपी नेमा, महेंद्र हार्डिया के साथ ही भंवरसिंह शेखावत (वर्तमान में कांग्रेस से बदनावर विधायक) यह सभी भी जेल में रहे।

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आपातकाल में इंदौर कलेक्टर द्वारा इस तरह से जेल में बंद रखने के आदेश हुए थे

कांग्रेस नेताओं को आपसी रंजिश में भेजा जेल

उधर कांग्रेस में अजीब घटना हुई। तत्कालीन सीएम प्रकाश सेठी और गृहमंत्री सीपी शेखर की कांग्रेस के मुखर नेता महेश जोशी से पटरी नहीं बैठती थी। ऐसे में जोशी की टीम के सभी साथियों को आपातकाल के बहाने जेल पहुंचा दिया। इसमें सुरेश मिंडा, केके मिश्रा, तुलसी सिलावट (जो अब बीजेपी में मंत्री हैं) जैसे सभी नेता भी जेल पहुंचा दिए गए।

खीर-पूड़ी खाई, शांति से समय निकाला

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा उन दिनों को लेकर बताते हैं कि आराम से दिन गुजरे। खूब बातें होती थीं और फुर्सत में थे तो अलग-अलग तरह का खाना, कभी-कभी खीर-पूड़ी भी बनाते थे और मिल-जुलकर खाते थे। सभी के अपने-अपने गुट बन गए थे। वह दिन भर बातें करते और संगीत चलता रहता।

30 हजार महीने की पेंशन

आपातकाल में बंद मीसा बंदियों को शासन की ओर से पेंशन दी जाती है। इन नेताओं को भी हर माह 30 हजार रुपए की पेंशन मिलती है और यह मीसा बंदी के रूप में भी रजिस्टर्ड हैं।

आज बीजेपी कर रही इंदौर में आयोजन

इस काले अध्याय को लेकर बीजेपी इंदौर में बड़ा आयोजन कर रही है। यह ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में शाम चार बजे से होगा। इसमें मुख्य वक्ता बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी हैं और सीएम डॉ. मोहन यादव भी रहेंगे। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।

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