कूनो सेंचुरी में जूं और पिस्सू की चपेट में चीता शावक, ट्रेंकुलाइज से बढ़ा जोखिम

कूनो सेंचुरी में अफ्रीकन चीतों की सुरक्षा और स्वास्थ्य में गंभीर लापरवाही सामने आई है, जहां 110 बार अनधिकृत ट्रेंकुलाइजेशन किया गया। चीतों को कीटों की चपेट में होने से भी खतरा बढ़ गया है, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा है।

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Sanjay Sharma
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प्रबंधन की लापरवाही की खबर के बाद CWLW ने जारी किया आदेश
चीतों को खतरे में डालकर अनाधिकृत ट्रेंकुलाइज करने की भी शिकायत

देश के सबसे बड़े वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट में अफ्रीकन चीतों की जान से खिलवाड़ शुरू हो गया है। कूनो सेंचुरी में जन्मे चीता शावक इन दिनों जूं और पिस्सुओं (Ticks) की चपेट में हैं। यह खुलासा सेंचुरी प्रबंधन के पत्राचार से हुआ है। वयस्क चीतों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर बार- बार अनाधिकृत रूप से ट्रेंकुलाइज किया जा रहा है। पता चला है कि चीतों को CWLW यानी चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की अनुमति के बिना ही 110 से ज्यादा बार ट्रेंकुलाइज किया गया है। ऐसा करना कूनो सेंचुरी में विदेशी मेहमानों के लिए जानलेवा हो सकता है।

चीता प्रोजेक्ट को पलीता लगाने की शिकायत केंद्रीय वन मंत्री और अफसरों के साथ ही NTCA यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी तक भी पहुंच गई है। इसके बाद प्रबंधन चीतों की देखरेख में हुई लापरवाही को दबाने में जुट गया है। हांलाकि अफ्रीकन चीतों की जांच सहित अन्य जानकारियां रिकॉर्ड से बाहर होना संदेह को मजबूत करता है। अब देखते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिलचस्पी वाले प्रोजेक्ट से खिलवाड़ करने पर जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है। 

कूनो सेंचुरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिलचस्पी के चलते अफ्रीकी देश नामीबिया ने चीते देने पर स्वीकृति दी थी। जिसके बाद डेढ़ दशक से अटका चीता प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाया था। पहली बार में 17 सितंबर 2022 को 8 चीते और दूसरी बार में 12 चीते  कूनो सेंचुरी लाए गए थे। इन विदेशी मेहमानों की देखरेख के लिए वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एनीमल डॉक्टर की टीम भी कूनो पहुंची थी। बदले हुए वातावरण में चीते कैसे सर्बाइव कर रहे हैं इसकी निगरानी के लिए इन सभी को अलग बाड़ों में रखा गया था। हाल ही में इन अफ्रीकी चीतों को सेंचुरी में खुला छोड़ने का निर्णय लिया गया है। 

सुरक्षित बाड़ों में ही सबसे ज्यादा खतरा 

बाड़ों में रखने के दौरान ही चीतों की सुरक्षा सबसे ज्यादा खतरे में थी। हाल ही में कूनो सेंचुरी प्रबंधन की यह लापरवाही कुछ दस्तावेज के जरिए सामने आई है। एक पत्र चीतों के हाल ही में जन्म लेने वाले शावक जूं और पिस्सू जैसे कीटों का शिकार बन रहे हैं। चीता शावकों के कीटों की चपेट में होने की जानकारी दबाकर रखी जा रही थी, लेकिन यह मामला चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन तक पहुंच ही गया। 11 सितम्बर को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन वीएन अम्बाडे को चीता शावकों को कीट व्याधि से मुक्त कराने के लिए आवश्यक उपचार का आदेश देना पड़ा। इस आदेश के बाद सेंचुरी प्रबंधन हरकत में आया। लेकिन इस बीच महीनों तक अफ्रीकी चीते यहां अफसरों की बेरुखी का कष्ट झेलते रहे। 

बेतहाशा ट्रेंकुलाइज करना जानलेवा 

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बताया कूनो नेशनल पार्क में चीतों के स्वास्थ्य और देखरेख में लापरवाही बरती गई है। यहां चीतों को 110 से ज्यादा बार ट्रेंकुलाइज किया गया है। इसके लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति भी नहीं ली गई। चीतों को बार- बार ट्रेंकुलाइज करना उनकी जान को जोखिम में डालने वाला हो सकता है। इसके अलावा चीतों पर बेहोशी की दवाओं का अत्यधिक उपयोग उन्हें बीमार भी कर सकता है। चीतों को नियंत्रित करने अफसरों के इशारे पर 110 से अधिक बार ट्रेंकुलाइज किया गया। 

अनुसूची- 1 का संरक्षित प्राणी है चीता 

चीता वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की (संशोधित  2022) की अनुसूची-1 में शामिल है। इसकी सुरक्षा बाघ या शेर के समान ही तय करनी होती है। इसका सीधा मतलब ये है कि चीते को उपचार या अन्य किसी भी जरूरत के समय बेहोश करने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति लेना जरूरी है। बिना अनुमति चीते को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सकता। अफसरों को इसकी खूब जानकारी है फिर भी कूनो में चीतों को 110 से ज्यादा बार ट्रेंकुलाइज किया गया। चीतों को मनमाने तरीके से ट्रेंकुलाइज करने की खबर लगने पर पीसीसीएफ कार्यालय में पदस्थ सहायक वन संरक्षक सौरव कुमार काबरा ने 5 सितम्बर को शिवपुरी स्थित लॉयन प्रोजेक्ट संचालक को पत्र लिखकर हिदायत भी दी थी। 

पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी हुई न रिकॉर्ड पर जांच 

वन्यजीव विशेषज्ञ अजय दुबे ने कूनो अभयारण्य में चीतों की सुरक्षा की अनदेखी को लेकर कई और खुलासे किए हैं। उनका कहना है चीतों की उपचार और जांच की रिपोर्ट, जान गंवाने वाले चीतों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मांगी गई  थी। तब प्रबंधन ने यह सब रिकॉर्ड में नहीं होने की सफाई दी है। वहीं अनुसूची 1 में दर्ज होने के बाद भी चीतों के पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी तक नहीं कराई गई।

कूनो सेंचुरी में चीता प्रोजेक्ट का जिम्मा डीएफओ और लॉयन प्रोजेक्ट डायरेक्टर उत्तम शर्मा के हाथों में है। लेकिन उनके द्वारा चीतों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामले में अनुसूची 1 का पालन नहीं किया गया। हाल ही में जान गंवाने वाले चीता पवन की निगरानी में भी कमी सामने आई है। पवन को भी बार- बार अनाधिकृत रूप से ट्रेंकुलाइज किया गया था। सेंचुरी में विदेशी मेहमानों के हेबीटेट को समझने के लिए कई सैंपल लिए गए, लेकिन इनकी रिपोर्ट NTCA से छिपाकर रखी गई और चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन को भी नहीं भेजी गई। 

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