भूमाफिया महेंद्र जैन के खिलाफ 400 बीसी यानी धोखाधड़ी से जमीन हड़पने के मामले में पांचवां मामला दर्ज किया गया है। इस मामले के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को 20 दिन तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। जैन को इस बात की भनक लग गई थी कि केस हो रहा है, क्योंकि नोटिस देकर उससे जवाब मांगा था। जब प्रशासनिक गलियारे में दाल नहीं गली तो उसने पुलिस के गलियारों में अपनी सांठगांठ, रसूख का इस्तेमाल शुरू किया। आखिर इस मामले में कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता की एंट्री हुई, जिसके बाद यह केस दर्ज हुआ।
इस तरह हुई शुरुआत
प्रिंसेस एस्टेट मामले में लसूड़िया थाने में पहले से चार मामलों में महेंद्र जैन आरोपी हैं। उन्होंने अपने पार्टनर पंकज सुराणा के साथ पीएम डेवलपर्स के नाम पर शंकरा निकेतन एक्सटेंशन नाम से कॉलोनी की विकास मंजूरी की फाइल लगाई। जब कलेक्टर के सामने इसे लेकर प्रेजेंटेशन हुआ, तब अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बैनल की नजर इस कॉलोनी के डेवलपर्स पर गई। इसमें जैसे ही महेंद्र जैन का नाम आया तो टोका गया, इन पर तो केस है और कई शिकायतें कलेक्ट्रेट में हैं। फिर यह विकास मंजूरी कैसे ले सकते हैं। इनका तो कायदे से कॉलोनी लाइसेंस ही नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह गैर आपराधिक व्यक्ति को ही जारी होता है।
इसके बाद पूरा रिकार्ड खंगाला गया
इसके बाद जैन का पूरा ट्रैक रिकार्ड खंगाला गया। इसमें उनके कॉलोनी लाइसेंस की फाइल निकाली गई। इसमें शपथपत्र नजर आया। शपथपत्र उनके अपराध दर्ज होने के बाद का है। इसमें उनके द्वारा कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं होने की झूठी जानकारी दी गई और प्रशासन को गुमराह करते हुए कॉलोनी का लाइसेंस लिया गया था। इसके बाद जैन के खिलाफ केस कराने की फाइल चली। कलेक्टर की मंजूरी के बाद इसे पुलिस को भेजा गया।
पुलिस में फिर इस तरह 20 दिन तक घूमी फाइल
इसके बाद पुलिस के पास केस दर्ज करने की फाइल 20 दिन तक विविध कारणों से घूमती रही। पहले इसमें डीपीओ से विधिक राय पुलिस ने ली। यह पॉजिटिव आई। डीसीपी हंसराज सिंह के यहां से केस दर्ज करने के आदेश हो रहे थे कि फिर आया कि यह जोन अलग आएगा। थाना पंढरीनाथ में केस होगा। इसके बाद फाइल को डीसीपी ऋषिकेश मीना के पास भेजा गया। उनकी इस केस को लेकर अपनी क्वेरी थी, जिस पर प्रशासन से उन्होंने जानकारी मांगी, जो दे दी गई। इसके बाद भी पंढरीनाथ में केस दर्ज नहीं हुआ। फाइल दस दिन तक रुकी रही।
फिर कलेक्टर और सीपी की हुई बात
इस मामले में हो रही देरी के बाद अधिकारियों से कलेक्टर ने अपडेट ली, तब पता चला कि अभी केस दर्ज नहीं हुआ है। फिर कलेक्टर ने डीसीपी से बात की और उनकी क्वेरी को दूर किया, लेकिन इसके बाद भी जब देरी हुई तो फिर उन्होंने पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता से ही सीधी बात की। तब जाकर इसमें जैन पर केस दर्ज हो सका।
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धारा एक ही लगी जो है जमानती
इन सारी कवायद के बाद भी जैन पर एक ही धारा आईपीसी 420 लगी है, जो थाने से ही जमानती वाला मामला है। इस मामले में उसने झूठा शपथपत्र दिया। इसके आधार पर कॉलोनी लाइसेंस लिया और इसके जरिए फिर विकास मंजूरी लेने की कोशिश की। कूटरचित दस्तावेज भी बना और इसका उपयोग भी किया गया। जिसमें धारा 467 और 468 भी बनती है लेकिन अभी यह धाराएं नहीं बढ़ाई गई हैं।
जमीन अपराधियों पर रासुका क्यों नहीं?
उधर जैन का यह पहला केस नहीं है, पांचवीं एफआईआर है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जमीन के धंधे में आकर आमजन की जिंदगी भर की कमाई को हड़पने वाले आदतन बड़े अपराधियों पर रासुका कब लगेगी? इसके पहले बड़े भूमाफिया को देखा जाए तो दीपक मद्दा पर रासुका लगी थी और गिरफ्तार हुआ था।
कब-कब जैन पर केस दर्ज?
जैन पर एक नहीं पांच केस दर्ज हैं। इसमें लसूड़िया मोरी थाने में अगस्त 2016 में, जुलाई 2020 में, जनवरी 2020 और अप्रैल 2024 में भी धोखाधड़ी की धारा 420 में केस दर्ज किया गया था। साथ ही धारा 409, 120 बी और 34 भी लग चुकी है। इसकी जानकारी जैन ने नहीं दी। इसके बाद अब पांचवां केस पंढरीनाथ थाने में 420 का लगा है।
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