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महिला बाल विकास विभाग में 4 अगस्त को अपर कलेक्टर लता शरणागत की अपर संचालक के पद पर नियुक्ति के बाद से लगातार विरोध देखा जा रहा है। विभागीय कर्मचारियों ने इसका विरोध करते हुए काली पट्टी बांधकर काम करना शुरू कर दिया है।
इस नियुक्ति के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया ने जीएडी को पत्र भेजकर इस नियुक्ति को रद्द करने का अनुरोध किया है। मंत्री ने अपनी नोटशीट में यह लिखा कि अपर संचालक पद के लिए प्रतिनियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस नियुक्ति के प्रस्ताव पर उनकी सहमति या अनुमोदन नहीं लिया गया था।
जीएडी से नहीं आया कोई जवाब
हालांकि, एक हफ्ते का समय बीत जाने के बाद भी जीएडी ने नोटशीट पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जीएडी के सूत्रों के अनुसार, महिला बाल विकास विभाग में प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करने के लिए एडिशनल कलेक्टर का पद मांगा गया था, जिसे जीएडी ने अपनी सहमति दे दी।
इसलिए हो रहा नियुक्ति का विरोध
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खबर यह भी...डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति के विरोध में लामबंद महिला एवं बाल विकास अधिकारी
मंत्री के सामने दर्ज कराई आपत्ति
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने भोपाल में मंत्री निर्मला भूरिया के सामने आपत्ति दर्ज कराई है। उनक कहना है कि इस पद पर अब तक विभागीय अधिकारी को पदस्थ किया जाता था। जीएडी द्वारा डिप्टी कलेक्टर लता शरणागत को अतिरिक्त निदेशक बनाया गया है जबकि वे प्रशासनिक अधिकारी हैं।
सेवा काल के नजरिए से उनसे वरिष्ठता रखने वाले कई अधिकारी विभाग में हैं उन्हें नजरअंदाज किया गया है। वहीं इस पद पर डिप्टी कलेक्टर की पोस्टिंग को नियम विरुद्ध भी बताया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने इस मामले में कर्मचारियों को आश्वस्त किया है।
डिप्टी कलेक्टर नहीं एक्सपर्ट
अतिरिक्त निदेशक के पद पर डिप्टी कलेक्टर को बैठाए जाने पर महिला एवं बाल विकास विभाग में उथल-पुथल मची हुई है। प्रशासनिक अधिकारी की विभाग में नियुक्ति को अधिकारी अपने अधिकारों पर अतिक्रमण मान रहे हैं। उनका कहना है शरणागत 2008 बैच की प्रशासनिक अधिकारी हैं, जबकि विभाग में कई अधिकारी 2009 से संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
24 साल से इस पद पर काम करने के बाद अतिरिक्त निदेशक के पद पर उनका दावा बनता है। वहीं इस विभाग में महिला एवं बच्चों से संबंधिक कार्यक्रमों का संचालन होता है। इसके लिए प्रशासनिक अनुभव से ज्यादा संवेदनशीलता की जरूरत होता है। डिप्टी कलेक्टर इस मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं।
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