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BHOPAL.मध्य प्रदेश में सरकारी महकमों से लेकर निगम मंडल और अन्य संस्थाओं में अधिकारियों के खींचतान का दौर जारी है। ऊर्जा विकास निगम में चीफ इंजीनियर की प्रतिनियुक्ति का विरोध थमा नहीं और अब महिला एवं बाल विकास विभाग में डिप्टी कलेक्टर को अतिरिक्त निदेशक बनाने पर विरोध शुरू हो गया है।
विभाग के अधिकारी इस नियुक्ति के विरोध में एकजुट हो गए हैं और उनके प्रतिनिधिमंडल ने विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया के सामने भी अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी प्रशासनिक नियुक्ति रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
इसलिए हो रहा नियुक्ति का विरोध
विभागों में दूसरे विभाग या प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति के विरोध में मामले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। ताजा मामला महिला एवं बाल विकास विभाग से आया है। शासन द्वारा हाल ही में बुरहानपुर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर लता शरणागत की पोस्टिंग अतिरिक्त निदेशक के पद की गई है। अब तक इस पद पर विभाग से ही किसी वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की जाती रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश से इस पद के दावेदार अधिकारी नाराज हैं। वहीं विभाग में इस परिपाटी के आगे जारी रहने पर दूसरे लोग भी प्रभावित हो सकते हैं। इस वजह से सभी डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति के खिलाफ लामबंद हैं।
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मंत्री के सामने दर्ज कराई आपत्ति
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने भोपाल में मंत्री निर्मला भूरिया के सामने आपत्ति दर्ज कराई है। उनक कहना है कि इस पद पर अब तक विभागीय अधिकारी को पदस्थ किया जाता था। जीएडी द्वारा डिप्टी कलेक्टर लता शरणागत को अतिरिक्त निदेशक बनाया गया है जबकि वे प्रशासनिक अधिकारी हैं।
सेवा काल के नजरिए से उनसे वरिष्ठता रखने वाले कई अधिकारी विभाग में हैं उन्हें नजरअंदाज किया गया है। वहीं इस पद पर डिप्टी कलेक्टर की पोस्टिंग को नियम विरुद्ध भी बताया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने इस मामले में कर्मचारियों को आश्वस्त किया है।
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डिप्टी कलेक्टर नहीं एक्सपर्ट
अतिरिक्त निदेशक के पद पर डिप्टी कलेक्टर को बैठाए जाने पर महिला एवं बाल विकास विभाग में उथल-पुथल मची हुई है। प्रशासनिक अधिकारी की विभाग में नियुक्ति को अधिकारी अपने अधिकारों पर अतिक्रमण मान रहे हैं। उनका कहना है शरणागत 2008 बैच की प्रशासनिक अधिकारी हैं, जबकि विभाग में कई अधिकारी 2009 से संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
24 साल से इस पद पर काम करने के बाद अतिरिक्त निदेशक के पद पर उनका दावा बनता है। वहीं इस विभाग में महिला एवं बच्चों से संबंधिक कार्यक्रमों का संचालन होता है। इसके लिए प्रशासनिक अनुभव से ज्यादा संवेदनशीलता की जरूरत होता है। डिप्टी कलेक्टर इस मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं।
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