द सूत्र की खबर का असर... एक साल बाद पिता को मिलीं अपने इकलौते बेटे की अस्थियां

दमोह जिले के पिपरिया छक्का गांव के रहने वाले लक्ष्मण अब अपने इकलौते बेटे जयराज का अंतिम संस्कार कर सकेंगे। द सूत्र की ओर से प्रमुखता से खबर प्रकाशित किए जाने के बाद पुलिस ने लक्ष्मण को उनके बेटे की अस्थियां सौंप दी हैं।

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Marut raj
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भोपाल. दमोह जिले के पिपरिया छक्का गांव के रहने वाले लक्ष्मण अब अपने इकलौते बेटे जयराज का अंतिम संस्कार कर सकेंगे। द सूत्र में खबर और वीडियो स्टोरी आने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और उसने  जयराज की अस्थियां परिवार को सौंप दी हैं। ज्ञात हो कि 'द सूत्र' ने 4 मई को इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। 

क्या था मामला

छक्का गांव के रहने वाले किसान लक्ष्मण पटेल का इकलौता बेटा जयराज 10वीं का विद्यार्थी था। वह दमोह के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ता था। 29 मार्च 2023 को जयराज गांव से लापता हो गया। 14 मई 2023 को गांव के तालाब के पास एक नरकंकाल मिला। लक्ष्मण ने कपड़ों से पहचान लिया कि यह उन्हीं के बेटे का नरकंकाल है।

नहीं मिली थीं बेटे की अस्थियां 
इस घटना को गुजरे एक साल एक माह बीत गया था, लेकिन लक्ष्मण को बेटे की ​अस्थियां नहीं मिली थीं। वे इन 13 महीनों में सैकड़ों बार थाने के चक्कर काट चुके थे। थानेदार से लेकर एसपी और भोपाल मुख्यालय तक गुहार लगा चुके थे, लेकिन डीएनए जांच के फेर में उन्हें बेटे की अस्थियां नसीब नहीं हुई थीं। 

टेस्ट ट्यूब से हुआ था जयराज 
लक्ष्मण पटेल पुलिस की लचर जांच से बेहद नाराज थे। उनका दावा था कि नरकंकाल उन्हीं के बेटे का है, लेकिन पुलिस यह मानने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल, नरकंकाल और लक्ष्मण तथा उनकी पत्नी का डीएनए नरकंकाल से मैच नहीं हो रहा था। 'द सूत्र' ने जब पड़ताल की तो चला कि जयराज का जन्म टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति से हुआ था। 

यहां उलझ गया था मामला 
थोड़े पीछे चलें तो पूरा मामला समझ में आता है। वर्ष 2004 में लक्ष्मण और यशोदा की शादी हुई। चार साल बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने इंदौर के एक आईवीएफ अस्प्ताल में जांच कराई। आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से लक्ष्मण की पत्नी ने गर्भ धारण किया और 2008 में उन्होंने जयराज को जन्म दिया। अब मामला यह फंस रहा है कि दंपती के पास वे दस्तावेज नहीं हैं, जो ये साबित कर पाएं कि उनके बेटे का जन्म आईवीएफ से हुआ था। लिहाजा पुलिस अस्थियों को नहीं दे पा रही है।  

अस्पताल से नहीं मिले थे कागजात 
आईवीएफ के दस्तावेजों के सवाल पर लक्ष्मण ने कहा कि इंदौर के अस्पताल से पुलिस को कागजात नहीं मिले थे। अस्पताल वालों का कहना था कि वे अपने मरीज का रिकॉर्ड पांच साल तक रखते हैं, लिहाजा, ये मामला तो काफी पुराना है। इसलिए लक्ष्मण और पुलिस दोनों को अस्पताल से आईवीएफ से जुड़े दस्तावेज नहीं मिल सके थे। 

 देखें वीडियो....

दमोह जिले के पिपरिया छक्का गांव इकलौते बेटे जयराज का अंतिम संस्कार कर सकेंगे