लिवर डोनेट मामला : इंदौर में एक नाबालिग बेटी (उम्र 17 साल 10 महीने) द्वारा अपने पिता की जिंदगी बचाने के लिए की जा रही लड़ाई में हाईकोर्ट इंदौर में गुरुवार को सुनवाई हुई। इसमें सभी पक्षकारों से जवाब मांगा गया और राज्य शासन की धीमी गति से चल रही इस क्रिटिकल मामले में कार्रवाई को लेकर नाराजगी जाहिर की। उल्लेखनीय है कि पिता शिवनारायण बाथम को लिवर डोनेट करने के लिए 17 साल 10 माह की नाबालिग लड़की प्रीति कानूनी लड़ाई लड़ रही है। 18 साल से कम उम्र वालों को आर्गन डोनेट मंजूरी नहीं होती है, इसलिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। रेयर केस में पहले भी हाईकोर्ट से मंजूरी मिली है।
हाईकोर्ट ने यह दिए निर्देश
हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ ने इस मामले में पहले शासन से पूछा कि वह क्या कर रहा है. तो बताया गया कि कमेटी बनाई है और भोपाल में इस स्तर पर रिपोर्ट भेजी गई है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा गया कि जब इंदौर में एमवाय में मेडिकल जांच हो सकती है तो फिर भोपाल रिपोर्ट की क्या जरूरत है? हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि 21 जून को बच्ची मेडिकल बोर्ड एमवाय में पेश हो, वहां जांच हो और तीन दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाए।
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अधिवक्ता ने बताया इमरजेंसी क्लॉज
इस मामले में 24 जून को सुनवाई होगी। इन सभी रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट लिवर डोनेट की मंजूरी पर फैसला करेगा। वही अधिवक्ता नीलेश मानोरे ने बताया कि आर्गन डोनेट के रूल 5(3) जी में ही आपातकालीन मेडिकल स्थिति में डोनेट करने के प्रावधान है। पहले भी हाईकोर्ट ने इसके तहत मंजूरी दी है। ऐसे में यह मंजूरी मिलना चाहिए। पिता की हालत काफी गंभीर है और उनके लिए हर दिन कीमती है।
बीमारी से 6 साल से पिता लड़ रहे हैं
6 साल से पिता शिवनारायण बाथम लिवर की बीमारी से घिरे हैं। डोनर नहीं मिला। अब डॉक्टर कह चुके हैं कि 10 से 15 दिन में लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो जान को खतरा है। यह सुनकर 17 साल 10 महीने की उनकी नाबालिग बेटी प्रीति सामने आई। उसने कहा कि मैं अपने पिता को लिवर देना चाहती हूं। डॉक्टर ने नाबालिग होने के चलते लिवर ट्रांसप्लांट से मना कर दिया। परिवार में पत्नी भी देना चाहती थी, लेकिन उन्हें शुगर है, वहीं घर के अन्य सदस्य प्रीति से छोटे हैं। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें यह मंजूरी मिली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केस में दी थी मंजूरी
इस पर 'द सूत्र' ने दिल्ली में आर्गन डोनेशन संस्था के मुख्यालय पर जानकारों से बात की और इसमे सामने आया कि यह मामला कोर्ट के आदेश से ही संभव है, क्योंकि 18 साल से कम को मंजूरी नहीं दे सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में इसी तरह का मामला था, जिसमें पिता को लिवर सीरोसिस बीमारी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्ची को (उसकी उम्र भी 17 साल 10 माह थी) लिवर का हिस्सा डोनेट करने की मंजूरी दी थी। फैसले में कहा था कि नाबालिग द्वारा अंग या ऊतक दान करने में पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन असाधारण परिस्थितयों में और नियमों के अनुसार। कोर्ट ने लड़की के जीवन पर किसी भी तरह का जोखिम नहीं होने पर लिवर डोनेट की मंजूरी और इसके लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने आदेश दिया जो देखेगी कि लड़की के जीवन को कोई खतरा तो नहीं है।