Jabalpur Lok Sabha Seat: 7 अप्रैल यानी कल रविवार की शाम नरेंद्र मोदी जबलपुर पहुंच रहे हैं। पहले तंग गलियों वाली सड़कों पर प्रधानमंत्री का रोड शो होने वाला था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने आपत्ति दर्ज की तो रोड शो का रूट बदल गया। मजबूत गढ़ होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर जबलपुर या महाकौशल से ही क्यों चुनाव अभियान की शुरुआत करना चाहते हैं? आइए समझने की कोशिश करते हैं…
जीत को तरस रही कांग्रेस
जबलपुर लोकसभा सीट को कांग्रेस 28 साल से नहीं जीत सकी है। उससे पहले भी कांग्रेस को बीजेपी और अन्य दल कड़ी चुनौती देते आए हैं। बता दें कि 28 साल से तो कांग्रेस यहां दोहरा वनवास झेल रही है। बीजेपी ने मजबूत स्थिति में होने के बावजूद ग्राउंड पर आक्रामक प्रचार की रणनीति पर फोकस किया है, इसी के तहत आगामी 7 अप्रैल को खुद पीएम नरेंद्र मोदी जबलपुर में एक बड़ा रोड शो करने जा रहे हैं। दरअसल कांग्रेस को बड़ा झटका तभी लग गया था, जब कांग्रेस के कद्दावर नेता और जबलपुर महापौर जगत बहादुर अनु कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी आ गए थे। यह बात और है कि कांग्रेस में उनको लोकसभा चुनाव लड़ाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। अनु की पलटी के बाद कांग्रेस को उम्मीदवार को तलाश करने में खासा माथा-पच्ची करना पड़ी है।
कमलनाथ का गढ़ है महाकौशल
दरअसल महाकौशल क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। उनके बेटे नकुलनाथ परिवार के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा से मौजूदा सांसद हैं। महाकौशल कुल आठ जिलों-जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट में फैला हुआ है।
पांच लोकसभा सीटें कवर होंगी
जबलपुर, मंडला (एसटी), शहडोल (एसटी), बालाघाट और छिंदवाड़ा। मंडला से भाजपा ने मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से फिर से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कमलनाथ नौ बार कर चुके हैं।
अभी कैसा है आमने- सामने का गणित
NO |
LOK SABHA |
BJP |
INC |
1 |
जबलपुर |
आशीष दुबे |
दिनेश यादव |
2 |
छिंदवाड़ा |
विवेक बंटी साहू |
नकुलनाथ |
3 |
बालाघाट |
डॉ भारती पारधी- F |
सम्राट सारस्वत |
4 |
मण्डला - ST |
फग्गन सिंह कुलस्ते |
ओंकार सिंह मरकाम |
5 |
शहडोल- ST |
हिमाद्री सिंह -F |
फुन्देलाल मार्को |
आदिवासी सीटों पर फोकस
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में BJP को खासा नुकसान हुआ था। आदिवासी सीटों पर फोकस 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को महाकौशल से निराशा हाथ लगी थी। कांग्रेस ने क्षेत्र के आठ जिलों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 11 पर जीत हासिल की थी जबकि दो सीटों पर ही भाजपा को जीत मिली थी। तब इसकी सबसे बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गई थी। हालांकि इसकी भरपाई 2023 में भाजपा ने चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही 39 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करके की थी। लोकसभा में भी आदिवासी वोटर पर पार्टी फोकस कर रही है।
2023 में भी मोदी ने बदला था गेम
2023 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल का किला फतह करने के लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मोर्चा संभाला था। पीएम मोदी तो तीन बार इस अंचल में अपनी रैली करने आए थे।