लोकसभा चुनावःMP में BJP ने 19 तो Congress ने 21 किसानों को दिया टिकट

मध्यप्रदेश में 70 से 80 फीसदी विधायक-सांसद कृषि क्षेत्र से ही आते हैं। हाल ही में हुए विधानसभा और पिछले लोकसभा के आंकड़े भी यही कहते हैं। यानी प्रदेश में चुनाव जीतने की कुंजी किसान ही हैं। फिर भी ये जनप्रतिनिधि सदन में किसानों की ही आवाज नहीं उठा पाते...

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Jitendra Shrivastava
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अन्नदाता के हाथों में जीत की चाबी।

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संजय शर्मा, BHOPAL. मध्‍य प्रदेश में 70 से 80 फीसदी विधायक-सांसद कृषि क्षेत्र से ही आते हैं। इस बार भी लोकसभा चुनाव के लिए BJP ने 19 तो Congress ने 21 किसानों को टिकट है। ये सिलसिला क्या यूं ही चलता रहेगा, सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा। ये शेर या शायरी नहीं किसानों के मन में चुभती पीड़ा है जो राजनीति उन्हें दशकों से देती आ रही है। लोकसभा चुनाव जीतने एक बार फिर नेता किसानों के बीच पहुंच रहे हैं। तमाम वादे और दावे कर रहे हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही इनका क्या होगा किसान इस पर मंथन कर रहा है। कोई खेती से दोगुना फायदा तो कोई उपज की ज्यादा से ज्यादा कीमत दिलाने का दावा कर रहा है। आखिर चुनावी मौसम में नेताओं और राजनीतिक दलों को किसानों को याद क्यों आने लगती है। किसान कभी समर्थन मूल्य देने की मांग करते हैं तो कभी खाद-बीज के लिए सर्द रात और तपती दोपहरी में कष्ट झेलते हैं, लेकिन उनकी फरियाद सुनी ही नहीं जाती। हर बार सबसे ज्यादा विधायक-सांसद बनने वाले नेता कृषि पृष्ठभूमि वाले होते हैं, लेकिन चाहे राज्य की विधान सभा हो या देश की लोकसभा मध्य प्रदेश के किसानों की आवाज न जाने क्यों दबी रह जाती है। 

किसान वर्ग के नेता ही नहीं उठाते सदन में उनकी आवाज

मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और यहां की 72 फीसदी आबादी न केवल ग्रामीण परिवेश से आती है बल्कि किसी न किसी जरिए हमारी आजीविका का मूल भी खेती-किसानी ही है। प्रदेश में साढ़े 7 करोड़ की आबादी में सवा करोड़ किसान हैं जो पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं। यानी प्रदेश में सीधे तौर पर किसानों का वोट शेयर 20 फीसदी है। और तो और राजनीतिक दलों के अधिकांश बड़े नेता भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खेती से जुड़े हैं। यहीं वजह है पार्टियां चुनावों में जिन्हें उम्मीदवारी देती हैं उनमें से 70 से 80 फीसदी कृषि क्षेत्र से ही आते हैं। साफ शब्दों में कहा जाए तो गलत नहीं होगा की प्रदेश में चुनाव जीतने की कुंजी किसान ही हैं। हाल ही में हुए विधानसभा और पिछले लोकसभा के आंकड़े भी यही कहते हैं। फिर क्या वजह है की प्रदेश से विधानसभा और लोकसभा में सबसे ज्यादा किसान पहुंचते हैं, लेकिन उनकी आवाज सदनों में क्यों दबकर रह जाती है। प्रदेश के किसान लम्बे समय से लागत का उचित मूल्य, सस्ता खाद-बीज और हर खेत और फसल के हिसाब से नुकसान पर बीमा क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं। वे जिला और राजधानी स्तर पर प्रदर्शन-आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार की तरह सियासत ने फिर उन्हें केवल छलावा ही दिया है। 

बीजेपी-कांग्रेस में कृषि से जुड़े नेताओं का दबदबा

चुनावी हलचलों भरा मौसम है तो अब प्रदेश की राजनीति में कृषक वर्ग के दखल की स्थिति पर भी बात कर लेते हैं। 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए प्रदेश में कांग्रेस ने 28 और बीजेपी ( BJP ) ने 29 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इन दोनों ही दलों में टिकट पाने वाले सबसे ज्यादा प्रत्याशी खेती-किसानी से जुड़े हैं। कांग्रेस ( Congress ) ने 28 में से 21 यानी 75 फीसदी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिनकी पृष्ठभूमि कृषि है। जबकि बीजेपी ने ऐसे 19 यानी 66 फीसदी प्रत्याशी खड़े किए हैं। टिकट देने से लेकर चुनाव कैंपेन में बीजेपी से मीलों तक पिछड़ने वाली कांग्रेस ने इस मामले में किसानों पर ज्यादा भरोसा जताया है। 

शिवराज-दिग्विजय भी करते हैं खेती-किसानी

अब प्रदेश के उन नेताओं की चर्चा करते हैं जो खेती-किसानी से जुड़े हैं। प्रदेश में 18 साल तक सीएम और 5 बार के सांसद रहे शिवराज सिंह चौहान का नाम इसमें सबसे ऊपर हैं। शिवराज राजनीति में सक्रिय होने के बाद भी लगातार खेतों में पहुंचते हैं। उनका मुख्य व्यवसाय भी खेती ही है। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी मूल रूप से कृषि से जुड़े हैं। इसके अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का व्यवसास भी खेती है और इसका जिक्र उनके द्वारा चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में भी दिया जाता है। 

बीजेपी से कृषि पृष्ठभूमि से आने वाले 19 नेताओं को टिकट

बीजेपी से कृषि पृष्ठभूमि से आने वाले 19 नेताओं को टिकट दिए हैं। इनमें भोपाल से अलोक शर्मा, ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाहा, जबलपुर से आशीष दुबे, मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते, होशंगाबाद से दर्शन सिंह चौधरी, विदिशा से शिवराज सिंह चौहान, राजगढ़ से रोडमल नागर, भिंड से संध्या राय, मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर, सतना गणेश सिंह, जनार्दन मिश्रा रीवा से, वीडी शर्मा खजुराहो, दमोह से राहुल लोधी, बंटी साहू को छिंदवाड़ा से, ज्ञानेश्वर पाटिल को खंडवा से, सावित्री ठाकुर को धार, हिमाद्रि सिंह को शहडोल और अनीता नागर सिंह चौहान को रतलाम सीट से टिकट दिया है। इसके मुकाबले में कांग्रेस के उज्जैन से उम्मीदवार महेश परमार, देवास से राजेंद्र मालवीय, धार से राधेश्याम मुवेल, पोरलाल खरते खरगोन, दिलीप सिंह गुर्जर मंदसौर, नरेंद्र पटेल खंडवा, कांतिलाल भूरिया रतलाम, भानु प्रताप शर्मा विदिशा, दिग्विजय सिंह राजगढ़, राव यादवेंद्र सिंह यादव गुना-शिवपुरी, भिंड से फूल सिंह बरैया, मुरैना से सत्यपाल सिंह सिकरवार, ओमकार सिंह मरकाम मंडला, दिनेश यादव जबलपुर, फुंदेलाल मार्को शहडोल, सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा, नीलम मिश्रा रीवा, गुड्डू राजा बुंदेला सागर, पंकज अहिरवार टीकमगढ़, दमोह से तरवर सिंह लोधी, होशंगाबाद से संजय शर्मा खेती-किसानी से जुड़े हैं।

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