लोकसभा चुनाव में MP-CG की 8 सीटों पर BJP की जीत का अंतर बढ़े हुए मतदान से ज्यादा!

एक बार फिर लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बहस छिड़ गई है। चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र स्थित नागरिक मंच वोट फॉर डेमोक्रेसी (वीएफडी) ने कुछ सनसनीखेज दावे करके चुनाव और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है...

Advertisment
author-image
Ravi Kant Dixit
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. क्या इस लोकसभा चुनाव में किसी तरह की धांधली हुई है? क्या ईवीएम को हैक किया गया? क्या चुनाव आयोग ने आंकड़ों में फेरबदल किया? क्या प्रशासनिक मशीनरी ने सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाया? देश में लोकसभा चुनाव के बाद कुछ ऐसे ही सवाल उभरे थे। समय के साथ ये बिसरा दिए गए। अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बहस छिड़ गई है। असल में, चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र स्थित नागरिक मंच वोट फॉर डेमोक्रेसी (वीएफडी) ने कुछ सनसनीखेज दावे करके चुनाव और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है। वीएफडी का दावा है कि देश में 79 लोकसभा सीटों पर आखिरी मतदान प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी एनडीए अथवा बीजेपी उम्मीदवारों की जीत के अंतर से ज्यादा है। इसमें मध्यप्रदेश की तीन और छत्तीसगढ़ की पांच लोकसभा सीटें शामिल हैं। 

आपको बता दें कि देश में सात चरणों में हुए लोकसभा चुनाव हुए हैं। वीएफडी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि हर फेस में वोटिंग वाले दिन शाम 7 बजे तक भारत निर्वाचन आयोग यानी ईसीआई की ओर से जारी आंकड़े और फिर बाद में जारी किए गए आंकड़ों के बीच का अंतर ज्यादा है। यह 4 करोड़ 65 लाख 46 हजार 885 वोटों का अंतर है। कुल मतों की संख्या में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है। 

क्या हैं वीएफडी के दावे 

वीएफडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक रिपोर्ट भी जारी की है। इसमें वीएफडी के सदस्यों ने चुनाव प्रक्रिया में खामियों की ओर इशारा करने के साथ तीन महत्वपूर्ण दावे किए हैं। 

दावा 1.

वीएफडी की रिपोर्ट की मानें तो पिछले चुनावों में वोटिंग के दिन शाम को जारी अनुमानित आंकड़े और आखिरी मतदान के बीच वोट प्रतिशत में वृद्धि करीब करीब 1 फीसदी के आसपास रही है। इस बार 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में सभी सात चरणों में यह अंतर 3.2 प्रतिशत से लेकर 6.32 प्रतिशत के बीच रहा है।

दावा 2.

वीएफडी का कहना है कि अंतिम मतदान प्रतिशत में तेज वृद्धि 15 राज्यों में 79 सीटों पर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत के अंतर से अधिक थी। कई सीट एनडीए उम्मीदवारों ने कम अंतर से जीती हैं। इन 79 सीटों में मध्यप्रदेश की 3 और छत्तीसगढ़ की 5 सीटें शामिल हैं। वहीं, ओडिशा की 18, महाराष्ट्र की 11, पश्चिम बंगाल की 10, आंध्र प्रदेश की 7, कर्नाटक की 6, राजस्थान की 5, बिहार, हरियाणा और तेलंगाना की 3-3, असम की 2 और अरुणाचल प्रदेश, गुजरात व केरल की एक-एक सीट शामिल हैं। 

दावा 3.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 राज्यों की 18 सीटों पर एनडीए उम्मीदवार बहुत कम अंतर से जीते हैं। इन सीटों पर वोटिंग और काउंटिंग के दौरान ईवीएम की खराबी जैसी कई समस्याएं आई थीं। इनमें से कुछ सीटें बिहार की सारण, महाराष्ट्र की मुंबई उत्तर-पश्चिम और उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद, बांसगांव और फूलपुर हैं, जहां एनडीए अथवा बीजेपी उम्मीदवार बेहद कम अंतर से जीते हैं।

मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ की आठ सीटें?

चलिए अब आते हैं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की कहानी पर। वीएफडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अंतिम मतदान प्रतिशत में वृद्धि 79 सीटों पर एनडीए की जीत के अंतर से अधिक रही है। इनमें मध्यप्रदेश की मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर सीट शामिल है। वहीं छत्तीसगढ़ की कांकेर, राजनांदगांव, बस्तर, जांजगिर चंपा और सरगुजा सीट के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए गए हैं।

वीएफडी का मध्यप्रदेश को लेकर विश्लेषण

दावा किया गया है कि मध्यप्रदेश में वोटिंग वाले दिन और फाइनल आंकड़ों में करीब 3.6 प्रतिशत का अंतर है। कुल पड़े 3 करोड़ 54 लाख 51 हजार 317 वोटों के हिसाब से यदि 3.5 फीसदी निकाला जाए तो यह 20 लाख 62 हजार 899 होता है। फिर यदि इसे प्रदेश की 29 सीटों के हिसाब से देखें तो हर सीट पर करीब 71 हजार 134 वोट बैठते हैं। इसी हिसाब से वीडीएफ ने तीन सीटों को निकाला है, जिसमें मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर सीट शामिल है।

बीजेपी प्रत्याशी की जीत का अंतर

सीट जीत का अंतर 
मुरैना 52530
भिण्ड 64840
ग्वालियर 70210

वीएफडी का छत्तीसगढ़ को लेकर विश्लेषण

दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़ में वोटिंग वाले दिन और फाइनल आंकड़ों में करीब 4.93 प्रतिशत का अंतर है। कुल पड़े 1 करोड़ 41 वोटों के हिसाब से यदि 4.93 फीसदी निकाला जाए तो यह 9 लाख 54 हजार होता है। फिर यदि इसे छत्तीसगढ़ की 11 सीटों के हिसाब से देखें तो हर सीट पर औसत 86 हजार 752 वोट होते हैं। इसी हिसाब से वीडीएफ ने पांच सीटों को निकाला है, जिनमें कांकेर, राजनांदगांव, बस्तर, जांजगिर चंपा और सरगुजा के वोटों पर सवाल खड़े किए गए हैं। 

बीजेपी प्रत्याशी की जीत का अंतर

सीट जीत का अंतर
कांकेर 1884
राजनांदगांव 44411
बस्तर 55245
जांजगिर चंपा 60000
सरगुजा 64522

नहीं बताए विपक्ष के आंकड़े

हालांकि वीएफडी की रिपोर्ट में एक ही ओर इशारा किया गया है। संगठन ने उन सीटों की संख्या रिपोर्ट में नहीं बताई है, जहां विपक्षी उम्मीदवार अंतिम मतदान में हुई वृद्धि की तुलना में कम अंतर से जीते हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दोनों पक्ष शामिल किए जाते तो दावा और अधिक प्रभावी होता।

thesootr links

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

लोकसभा चुनाव