भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बनाई है। लोकायुक्त पुलिस ने शिकायतकर्ताओं को राहत देने के लिए 40 लाख रुपए की विशेष निधि बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसका उद्देश्य यह है कि ट्रैपिंग के दौरान रिश्वत के रूप में दी गई राशि तुरंत शिकायतकर्ता को वापस कर दी जाए।
अभी तक यह राशि शिकायतकर्ता को कोर्ट के फैसले के बाद ही मिल पाती है, जिसमें औसतन 10 साल का समय लग सकता है। इस देरी के चलते कई लोग भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से कतराते हैं। नई योजना के तहत, शिकायतकर्ता को तुरंत पैसे वापस किए जाएंगे, और कोर्ट के फैसले के बाद राशि दोबारा निधि में जमा की जाएगी।
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सीबीआई में भी नहीं है ऐसी व्यवस्था
लोकायुक्त पुलिस के विशेष पुलिस स्थापना प्रमुख जयदीप प्रसाद ने बताया कि इस नई व्यवस्था से भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी आएगी और शिकायतकर्ताओं का भरोसा बढ़ेगा। फिलहाल, सीबीआई और अन्य एजेंसियों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जहां रिश्वत की रकम तुरंत लौटाई जा सके।
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ईओडब्ल्यू में भी लागू हो सकती है योजना
इस योजना को फिलहाल लोकायुक्त पुलिस में लागू करने की तैयारी है। भविष्य में इसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में भी शुरू किया जा सकता है। राज्य में हर साल 500 से 700 अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़े जाते हैं। यह रिश्वत 10 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक होती है। इस कदम से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में शिकायतकर्ताओं की भूमिका मजबूत हो सकती है।
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