मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए 'राजस्व महाअभियान-3' शुरू किया है, जिसका उद्देश्य भूमि विवादों और अन्य प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करना है। लेकिन इसी अभियान के दौरान मंदसौर जिले में एक भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। मंदसौर में लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार को हल्का नंबर 42 के पटवारी जगदीश पाटीदार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
यह कार्रवाई साकपुर तहसील के निवासी धर्मेंद्र मालवीय की शिकायत के आधार पर की गई। धर्मेंद्र ने लोकायुक्त पुलिस को बताया कि पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे से जुड़े एक मामले में पटवारी ने 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। यह रकम तहसीलदार के नाम पर मांगी गई थी।
ऐसे पकड़ाया रिश्वतखोर पटवारी
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। एसपी अनिल विश्वकर्मा ने शिकायत की पुष्टि कर डीएसपी राजेश पाठक और एएसपी सुनील तालान के नेतृत्व में एक 10 सदस्यीय टीम गठित की। टीम ने पटवारी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए विशेष जाल (ट्रैप) बिछाया। मंगलवार को धर्मेंद्र मालवीय ने पटवारी को रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर 10 हजार रुपए देने की योजना बनाई। पटवारी को कोर्ट परिसर स्थित एसबीआई बैंक के बाहर बुलाया गया। जैसे ही पटवारी ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, लोकायुक्त पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया।
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मामला दर्ज और जांच जारी
गिरफ्तारी के बाद पटवारी जगदीश पाटीदार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। लोकायुक्त टीम ने आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है, ताकि रिश्वत की पूरी योजना और तहसीलदार की भूमिका का खुलासा किया जा सके।
डीएसपी का बयान
लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान ने बताया कि जांच में पुष्टि हुई कि पटवारी ने पारिवारिक बंटवारा करने के बदले 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। टीम ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की, जिसके तहत आरोपी को पहली किस्त लेते हुए पकड़ा गया।
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किसानों के लिए सरकार की योजनाओं पर सवाल
राजस्व महाअभियान जैसे अभियानों का उद्देश्य किसानों को सहायता और विवादों का त्वरित समाधान देना है। लेकिन इस प्रकार के भ्रष्टाचार से सरकारी योजनाओं पर सवाल उठते हैं। लोकायुक्त पुलिस की सक्रियता ने मामले को उजागर कर दिया है, जिससे प्रशासन में पारदर्शिता की उम्मीद बनी है।
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